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लोगों को लगा वो लौट आएगी... नहीं पसीजा मां का दिल; एक हफ्ते पहले जन्‍मी बच्‍ची को ट्रेन में छोड़कर भागी

Mother Left infant Girl In Train मां की बेबसी थी या लाचारी जिससे विवश होकर अपने कलेजे के टुकड़े को ट्रेन के बर्थ पर छोड़ चली गई। हालांकि वह नवजात को क्यों छोड़कर चली गई? इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। अब जन्‍म देने वाली मां नहीं तो क्या हुआ? नवजात को ममता की छांव जरूर मिल गई जिसका पालन-पोषण अब मोतिहारी बाल संरक्षण समिति बालिका गृह में होगा।

By Laxmikant TripathiEdited By: Prateek JainMon, 30 Oct 2023 08:21 PM (IST)
लोगों को लगा वो लौट आएगी... नहीं पसीजा मां का दिल; एक हफ्ते पहले जन्‍मी बच्‍ची को ट्रेन में छोड़कर भागी
लोगों को लगा वो लौट आएगी... नहीं पसीजा मां का दिल; एक हफ्ते पहले जन्‍मी बच्‍ची को ट्रेन में छोड़कर भागी

लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, रक्सौल।  मां की बेबसी थी या लाचारी, जिससे विवश होकर अपने कलेजे के टुकड़े को ट्रेन के बर्थ पर छोड़ चली गई। हालांकि, वह नवजात को क्यों छोड़कर चली गई? इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

अब जन्‍म देने वाली मां नहीं तो क्या हुआ? नवजात को ममता की छांव जरूर मिल गई। जिसका पालन-पोषण अब मोतिहारी बाल संरक्षण समिति बालिका गृह में होगा।

सीतामढ़ी से चलकर रक्सौल प्लेटफार्म संख्या दो पर डेमू 05213 पहुंची थी। तब सभी यात्री उतरकर चले गऐ थे। तभी डूयूटी पर तैनात राजेश काजी एवं चाइल्ड लाइन की सुपरवाइजर चांदनी कुमारी को कोच में एक सीट पर नवजात बच्ची अकेले पड़ी मिली।

यात्रियों ने पूछताछ में दी जानकारी

इसके बाद वहां मौजूद यात्रियों से नवजात बच्ची के संबंध में पूछा। इस दौरान यात्रियों ने बताया कि एक महिला को अपने नवजात को बर्थ पर रख ट्रेन से उतरते देखा गया है, लेकिन तब यात्रियों को ऐसा लगा कि मां नीचे कुछ सामान लेने जा रही है, लेकिन कुछ देर बाद भी वह लौटकर नवजात के पास नहीं पहुंची।

इसके बाद अधिकारी व जवानों ने बच्ची को बरामद कर चाइल्ड लाइन को कागजी प्रक्रिया पूरी कर सौंप दिया और उसे मेडिकल जांच के लिए अनुमंडलीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उपाधीक्षक डॉ. राजीव रंजन कुमार ने बच्ची को देखा।

फोटो- नवजात बच्ची के साथ आरपीएफ के अधिकारी, माहेर व चाइल्ड लाइन संस्था के सदस्य  

जांच में ब‍च्‍ची पूरी तरह स्वस्थ मिली। फिर उसके देखभाल के लिए माहेर ममता निवास रक्सौल बिहार के प्रोजेक्ट इंचार्ज बीरेन्द्र कुमार, सुप्रिया बोदरा एवं चाइल्ड लाइन के द्वारा बालिका गृह मोतिहारी को सौंप दिया गया।

कहीं अनाथ ना बन जाए ट्रेन में मिली नवजात बच्ची

ट्रेन के बर्थ पर मिली नवजात करीब सात से आठ दिन पूर्व दुनिया में आई है। इससे पहले वह नौ माह तक मां के गर्भ में रही। तब मां ने बड़े हौंसले से अपनी गर्भस्थ शिशु का लालन-पालन की जिम्मेवारी संभाली है, लेकिन ना जाने कौन-सी विपत्ति ने विवश कर दिया कि जन्म के साथ ही बच्ची को अनाथ बनने के लिए विवश कर दिया।

हालांकि, मां की ममता असीमिति होती है। विवश मां को यदि अपने बच्ची पर ममता आ गई तो उसे फिर अपनी सगी मां की ममता की छांव मिल सकती है। लोग यही चर्चा कर रहे है कि किस मोह ने मां की ममता पर चादर डाल दिया, जिससे विवश होकर मां बच्ची को ट्रेन में छोड़ जाना पड़ा।

इस संबंध में आरपीएफ इंस्पेक्टर ऋतुराज कश्यप ने बताया कि प्लेटफॉर्म संख्या दो पर खड़ी ट्रेन से नवजात बच्ची मिली है, जिसे उचित देखभाल के लिए चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया।

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