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    Raxaul Airport: रक्सौल एयरपोर्ट से उड़ान के सपनों को लगे पंख, नीतीश सरकार ने दिए 207 करोड़ रुपये

    Updated: Tue, 11 Feb 2025 05:26 PM (IST)

    रक्सौल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए 207.70 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। इस एयरपोर्ट के बन जाने से आसपास के इलाकों के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और सुविधाएं बढ़ेंगी। नेपाल से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा के कारण यहां सुरक्षा प्रबंध भी पहले से और मजबूत किए जा सकेंगे। एयरपोर्ट के लिए जल्द ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

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    रक्सौल एयरपोर्ट से उड़ान के सपनों को लगे पंख, नीतीश सरकार ने दिए 207 करोड़ रुपये

    सत्येंद्र कुमार झा, मोतिहारी। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल एयरपोर्ट (Raxaul Airport News) से उड़ान के सपनाें को पंख लग गए हैं। एयरपोर्ट की राह में भूमि की कमी अब शीघ्र दूर हो जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसले के आलोक में 207.70 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई है।

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    जिला प्रशासन के स्तर से एक बार फिर एयरपोर्ट अथॉरिटी को मंगलवार को पत्र भेज साफ किया गया है कि भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। अधियाचना मिलने के तुरंत बाद भूमि का अधिग्रहण कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।

    खेसरा पंजी तैयार

    बता दें कि पहले से एयरपोर्ट के पास उपलब्ध जमीन के अतिरिक्त 139 एकड़ नई जमीन के अधिग्रहण करने की दिशा में प्रशासनिक स्तर पर तैयारी पूरी कर ली गई है। खेसरा पंजी बनाया जा चुका है। पूर्व में हवाई अड्डा के पास 137 एकड़ भूमि उपलब्ध थी। शेष भूमि की उपलब्धता नहीं होने के कारण हवाई अड्डा का मामला लटका था।

    हाल के महीनों में प्रगति यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि हवाई अड्डा के लिए जितनी भूमि की आवश्यकता होगी उपलब्ध कराई जाएगी। इस घोषणा के बाद 207.70 करोड़ की राशि का आवंटन किया गया है।

    इधर, जिला भू-अर्जन विभाग कार्यालय ने भूमि अधिग्रहण से पूर्व सामाजिक प्रभाव आकलन को लेकर चार एजेंसियों को पत्र भेज प्रस्ताव मांगा है। बताया गया कि एसआईए के लिए एक सप्ताह में एजेंसी का चयन कर कार्य दे दिया जाएगा।

    नागरिक सुविधाओं के साथ मजबूत होगी आर्थिक स्थिति

    इस एयरपोर्ट के बन जाने के बाद जब नागरिक सेवाएं शुरू होंगी। इसके बाद आसपास के इलाकों के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। वहीं लोगों की सुविधाएं बढेंगी। नेपाल से सटी दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे होने के कारण यहां सुरक्षा प्रबंध भी पहले से और मजबूत किए जा सकेंगे।

    बता दें कि इस एयरपोर्ट की स्थापना 1962-63 में भारत-चीन युद्ध के समय की गई थी। तब उद्देश्य था कि युद्ध के दौरान चीन से वाया नेपाल सटने वाली इस सीमा पर भी जरूरत के हिसाब से सेना के विमान उतारे जा सकें।

    लंबे समय बाद केंद्र सरकार ने हवाई सफर के सपनों को साकार करने के लिए उड़ान योजना में इसे शामिल किया। इसके लिए पहले उपलब्ध करीब 137 एकड़ भूमि के अलावा 139 एकड़ जमीन की आवश्यकता बताई गई।

    करीब 400 रैयतों की भूमि का होना है अधिग्रहण

    हवाई अड्डा के निर्माण के लिए रक्सौल अंचल के छह गांवों में 139 एकड़ नई जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। भूमि चिह्नित कर उसकी पैमाइश कर खेसरा पंजी तैयार की गई है। छह गांवों में करीब चार सौ रैयतों की जमीन काे अधिग्रहित किया जाना है। अधिग्रहण रक्सौल अंचल के चिकनी, सिंहपुर, सिसवा, एकडेरवा, भरतमही व चंदौली गांव में किया जाना है।

    एयरपोर्ट के लिए 139 एकड़ नई जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसके लिए कैबिनेट की बैठक में 207.70 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। संबंधित भूखंडों की खेसरा पंजी तैयार की जा चुकी है। एसआईए के बाद भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की जाएगी। - सौरभ जोरवाल, जिलाधिकारी, पूर्वी चंपारण

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