Bihar News: बिहार का पहला गोवर्धन गैस प्लांट एक साल में बंद, सामने आई बड़ी वजह
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के कोटवा प्रखंड के मच्छरगांवां में बना राज्य का पहला गोवर्धन गैस प्लांट एक साल के अंदर ही बदहाल हो गया है। इस प्लांट से गैस और बिजली दोनों का उत्पादन किया जा सकता है। तकनीकी खराबी के कारण प्लांट का संचालन अनियमित हो गया है। प्रशासनिक पहल के बाद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिला।

सत्येंद्र कुमार झा, मोतिहारी। पूर्वी चंपारण के कोटवा प्रखंड के मच्छरगांवां में 50 लाख रुपये खर्च कर बना राज्य का पहला गोवर्धन गैस प्लांट एक साल के अंदर बदहाल हो गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उद्घाटन किया था, एक-दो महीने चला, इससे विद्युत का उत्पादन भी प्रारंभ हुआ। गांवों की गलियां रोशन होने लगीं, लेकिन तकनीकी कारणों से प्लांट का संचालन अनियमित हो गया।
मशीन में खराबी आने के कारण उत्पादन ठप हो गया। प्रशासनिक पहल के बाद पटना की कार्य एजेंसी ने इसकी तकनीकी समस्या को ठीक तो कर लिया है, पर इसे अभी तक चालू कराने में सफलता नहीं मिल सकी है।
बता दें कि इस प्लांट से गैस व विद्युत दोनों का उत्पादन का विकल्प है। इससे विद्युत का उत्पादन किया जा रहा था। इससे उत्पादित विद्युत से गांव की सड़क व गलियों में स्ट्रीट लाइट लगाया गया था।
इसका लाभ गांव के आसपास के लोगों को मिल रहा था। इस प्लांट का निर्माण करीब दो साल पूर्व हुआ था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 फरवरी 2023 को मोतिहारी से इसका उद्घाटन भी किया था।
प्लांट के निर्माण पर खर्च हुए थे पचास लाख रुपये
गोवर्द्धन गैस प्लांट के निर्माण पर पचास लाख रुपये खर्च किए गए हैं। यह प्लांट बिहार का पहला प्लांट है, जहां गोबर से गैस व विद्युत का उत्पादन की व्यवस्था की गई है।
पशुपालकों की सहमति के बाद इस प्लांट को यहां स्थापित किया गया। बताया गया कि इसके संचालन में प्रतिदिन 1500 किलो गोबर की आवश्यकता है। पशुपालकों को गोबर के बदले उन्हें तय राशि दी जा रही थी।
जिला परिषद के मद से संचालन की होगी व्यवस्था
सरकार ने गोवर्धन प्लांट के संचालन के लिए जिला परिषद के 15वीं वित्त से चलाने के लिए दिशा-निर्देश जिलाधिकारी को दिया है।
बताया गया कि साल में इस प्लांट के संचालन के लिए 9.30 लाख रुपये का खर्च आएगा। इसे 15वीं वित्त से खर्च किया जाएगा।
साथ ही इसकी देखरेख की जिम्मेदारी जीविका को दी जाएगी। निर्देश के बाद सरकारी स्तर पर इसे फिर से चालू कराने की दिशा में जिला स्तर पर प्रयास को तेज कर दिए गए हैं।
गाेबर की व्यवस्था में भी हो रही है परेशानी
- लोहिया स्वच्छ बिहार के जिला समन्वयक गौतम कुमार ने कहा कि पिछले कुछ माह पूर्व प्लांट को चलाने का प्रयास किया गया था, पर गैस के लिक होने के बाद बंद कर दिया गया।
- पटना से आई टीम ने इस समस्या को ठीक कर लिया है। साथ ही संचालन के लिए वार्षिक खर्च की भी राशि तय कर ली गई है। फिलहाल अभी गोबर की व्यवस्था करने में परेशानी हो रही है।
- जीविका को जोड़ने के बाद ग्रामीण स्तर पर गोबर को संग्रह करने में सुविधा मिलेगी व इससे जीविका को भी लाभ मिलेगा। इस समस्या को प्रशासनिक स्तर पर जल्द दूर कर प्लांट को चलाने की व्यवस्था की जा रही है।
प्रतिदिन 80 यूनिट बिजली का उत्पादन की है क्षमता
यहां स्थापित प्लांट अगर नियमित चले तो प्रतिदिन 18 केवीए अर्थात 80 यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इसके लिए यहां पूरी व्यवस्था भी बनाई गई है।
प्रारंभ में प्लांट के संचालन व देखरेख के लिए 12 कर्मियों को रखा गया था। पंचायत के वार्ड 12, 13 एवं 15 की करीब पांच हजार की आबादी को इस प्लांट का लाभ मिल रहा था।
इससे इन क्षेत्रों में 21 स्ट्रीट लाइट लगाए गए हैं। इस प्लांट के संचालन के लिए 15 सौ किलो गोबर की प्रतिदिन की खपत है। गाेबर पचास पैसे प्रतिकिलो ग्रामीणों से खरीदारी की व्यवस्था है।
गोबर्धन प्लांट को चलाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही इसे फिर से प्रारंभ किया जाएगा।-शंभु शरण पांडेय, उप विकास आयुक्त, मोतिहारी
यह भी पढ़ें-
Bihar: इस जिले में 21 घाटों से नहीं होगी बालू की बिक्री, 20 मार्च से बंद होगा काम; सामने आई ये वजह
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।