Bihar Police: दुष्कर्म के मामले में निर्दोष को दिलवा दी सजा, चौंका देगी इस थानेदार की करतूत
बिहार में एक निर्दोष व्यक्ति को दुष्कर्म के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने उसे दोषमुक्त करार दिया लेकिन तब तक वह तीन साल जेल में बिता चुका था। अब डीजीपी के आदेश पर उस थानेदार और अनुसंधानक को सस्पेंड कर दिया गया है जिन्होंने उसे फंसाया था। इस मामले में एसडीपीओ को भी नोटिस दिया गया है।

जागरण संवाददाता, दरभंगा। नाबालिग से दुष्कर्म मामले में 20 वर्ष की सजा काट रहे आरोपित बहेड़ा थानाक्षेत्र निवासी मुकेश कुमार को हाईकोर्ट पटना के बाद डीजीपी से भी इंसाफ मिल गया।
डीजीपी के निर्देश पर निर्दोष को सजा दिलाने वाले अनुसंधानक और थानेदार को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही एसडीपीओ को नोटिस दिया गया है। जवाब मिलने पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
पूरे मामले को लेकर डीजीपी विनय कुमार काफी गंभीर थे। कमजोर वर्ग और अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक ने इसे लेकर जांच टीम गठित की थी।
इसमें बहेड़ा थाना कांड संख्या 283/20 के अनुसंधानक सहायक दारोगा जावेद आलम (वर्तमान में सारण जिले के अवतारनगर थानाध्यक्ष), तत्कालीन बहेड़ा थानाध्यक्ष सुनील कुमार (वर्तमान में एसएसपी कार्यालय मधुबनी में पुलिस निरीक्षक) और बेनीपुर के तत्कालीन एसडीपीओ उमेश्वर चौधरी (वर्तमान में डीएसपी पालीगंज टू) दोषी पाए गए।
एसपी द्वारा की गई कार्रवाई
इसे देखते हुए अनुसंधानक और तत्कालीन थानाध्यक्ष पर दरभंगा एसएसपी को कार्रवाई करने का आदेश दिया गया। लेकिन, दोनों के तबादला हो जाने के कारण संबंधित जिले के एसपी के द्वारा कार्रवाई की गई है। साथ ही विभागीय कार्रवाई के लिए एक सप्ताह के अंदर स्पष्टीकरण की मांग की गई है।
बता दें कि हाईकोर्ट से मुकेश के दोषमुक्त होने के बाद पुलिस मुख्यालय ने पूरे मामले पर संज्ञान लिया और जांच शुरू हुई। सीआईजी के उप पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी पूरी टीम के साथ पीड़ित से पूरी जानकारी प्राप्त की।
एक निर्दोष को अनुसंधान और पर्यवेक्षण में कैसे दोषी बना दिया गया, इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे, दोषी बनाने के पीछे क्या कारण था आदि सवालों का उत्तर टीम ने प्राप्त किया।
6 लाख रुपये की मांग
साथ ही 57 मिनट के उस ऑडियो क्लिप को सुरक्षित किया, जिसमें पीड़ित के पिता से पंचायती के दौरान छह लाख रुपये की मांग की जा रही थी। जिसे नहीं देने के कारण निर्दोष को आरोपित बना दिया गया।
बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्रनाथ सिंह उर्फ चिंटू पीड़ित की लिए लड़ाई लड़ने का काम किया है। ज्ञात हो कि बहेड़ा थानाक्षेत्र के एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में मुकेश कुमार की गिरफ्तारी आठ अगस्त 2020 को हुई थी।
दरभंगा पॉक्सो कोर्ट ने 29 नवंबर 2023 को आरोपित को दोषी पाते हुए 20 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के खंडपीठ ने 28 नवंबर 2024 को आरोपित को दोषमुक्त कर दिया।
इसके बाद मुकेश तीन दिसंबर 2024 को वह दरभंगा जेल से बाहर आया। इसके बाद से उसे न्याय दिलाने के लिए कोशिश जारी है।
बता दें कि अनुसंधानक जावेद आलम ने हाईकोर्ट में आरोपित को निर्दोष बताया था। उन्होंने कहा था कि मुकेश पूरे मामले में निर्दोष है और उस गांव के दिनेश कुमार असली दोषी है। लेकिन, वरीय पदाधिकारी के दबाव में मुकेश के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित कर दिया।
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