Bihar Politics: महागठबंधन को झटका, RJD-VIP की डील से नहीं मिला कोई फायदा; इस सीट पर समीकरण बदले
कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र में वीआईपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे गणेश भारती अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। नामांकन रद होने के बाद, वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इस घटनाक्रम से महागठबंधन में हलचल है। 2021 के उपचुनाव में गणेश भारती ने राजद उम्मीदवार के रूप में अच्छा प्रदर्शन किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव।
संवाद सहयोगी, कुशेश्वरस्थान। 78 कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र में वीआईपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे गणेश भारती अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। नामांकन पत्र की जांच के दौरान तकनीकी कारणों से वीआईपी के सिंबल पर दाखिल उनका नामांकन रद हो गया। हालांकि, दूसरे सेट वाले नामांकन पत्र वैध पाए जाने से वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में बने हुए हैं।
इस घटनाक्रम से न केवल वीआईपी, बल्कि महागठबंधन गठबंधन के अंदर भी हलचल मच गई है। वर्ष 2021 के उपचुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में गणेश भारती ने दमदार प्रदर्शन किया था। उस चुनाव में उन्होंने मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत की थी।
इसी आधार पर इस बार भी वे राजद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन सीट शेयरिंग के अंतिम क्षणों में कुशेश्वरस्थान विधानसभा वीआईपी के खाते में चली गई। राजद ने गणेश भारती को वीआईपी के सिंबल पर चुनाव लड़ाने का रास्ता तो निकाल लिया, लेकिन नामांकन जांच में तकनीकी खामी ने पूरा समीकरण बिगाड़ दिया।
अब निर्दलीय प्रत्याशी बनने से गणेश भारती की राह आसान नहीं होगी। बिना पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है। प्रचार-प्रसार के लिए सीमित संसाधन, संगठनात्मक सहयोग का अभाव और कार्यकर्ताओं में भ्रम जैसी स्थितियां उनके लिए बड़ी बाधा बन सकती है।
बावजूद इसके, क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता और पिछले उपचुनाव से मिली पहचान को देखते हुए वे एक प्रभावशाली प्रत्याशी बने रहेंगे, क्योंकि यहां एनडीए और महागठबंधन दोनों गठबंधन का अपना-अपना आधार वोटर है। महागठबंधन के कोर वोटर के रूप में एमवाई (मुस्लिम यादव) समीकरण को माना जाता है।
विधानसभा में यादव 16 प्रतिशत तथा मुस्लिम 6 प्रतिशत हैं। वहीं, एनडीए के कोर वोटर में अत्यंत पिछड़ा, उच्च जाति और कुर्मी शामिल है। विधानसभा में अत्यंत पिछड़ा 10 प्रतिशत, उच्च जाति के 16 प्रतिशत, तथा कुर्मी 14 प्रतिशत मतदाता हैं।
वहीं, विधानसभा अन्तर्गत अन्य जातियों में मुसहर 14 प्रतिशत, पासवान सात प्रतिशत, डोम एवं चमार जाति प्रतिशत, चौपाल नौ प्रतिशत, मल्लाह प्रतिशत मतदाता हैं। ऐसे में गणेश भारती को निर्दलीय चुनाव लड़ने से इनके स्वजातीय एवं महागठबंधन के कोर वोटर को अपने पक्ष में करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गणेश भारती के निर्दलीय मैदान में उतरने से कुशेश्वरस्थान विधानसभा की लड़ाई दिलचस्प हो गई है। इससे एक ओर महागठबंधन की एकजुटता पर असर पड़ सकता है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी खेमे को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिलने की संभावना भी जताई जा रही है।
अब देखना यह होगा कि गणेश भारती अपनी व्यक्तिगत छवि और जनाधार के बल पर निर्दलीय रहते हुए कितना असर दिखा पाते हैं।
यह भी पढ़ें- RJD की बड़ी कार्रवाई, वोटिंग से ठीक पहले 27 नेताओं को पार्टी से निकाला; देखें पूरी लिस्ट
यह भी पढ़ें- Bihar Politics: वोटिंग से ठीक पहले BJP का बड़ा एक्शन, पवन समेत 6 नेताओं को पार्टी से निकाला

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।