Darbhanga News: डीटीओ का खेल, 1 ही नंबर पर जारी किए 7 ड्राइविंग लाइसेंस; हिंदू को बना दिया मुसलमान
दरभंगा में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस (Fake Driving License) का बड़ा खेल सामने आया है। एक ही लाइसेंस नंबर पर सात लोगों को डीएल जारी किए गए। यह फर्जीवाड़ा बिहार झारखंड और अरुणाचल प्रदेश तक फैला है। डीटीओ शशि शेखरम पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान यह खेल किया। इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं।

मुकेश कुमार, दरभंगा। जिला परिवहन विभाग दरभंगा में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस (Fake Driving License) का बड़ा खेल चल रहा है। पैसा दीजिए, डीएल लीजिए। यहां फर्जीवाड़े का स्तर कितना बड़ा है, उसका सहज अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक ही लाइसेंस नंबर पर एक-दो नहीं, सात लोगों को डीएल दे दिया गया।
यह काम बैकलॉग में जाकर किया गया। इसमें हिंदू को मुसलमान तो मुसलमान को हिंदू बना दिया गया। फर्जीवाड़े का यह खेल बिहार के अलावा, झारखंड व अरुणाचल प्रदेश तक फैला है। वहां तक फर्जी डीएल बेचा गया।
क्या है फर्जी DL का पूरा खेल?
नौ नवंबर, 2023 से 15 मार्च, 2024 तक दरभंगा के प्रभारी जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) रहे शशि शेखरम ने अपने कार्यकाल के दौरान डीएल जारी करने में बड़ा खेल किया है।
सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के साथी पोर्टल के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबनसिरी जिले के मुख्यालय जीरो के डीटीओ ने राना देव नाम से चार जनवरी, 2019 को डीएल (नंबर एआर0620190072011) निर्गत किया था।
21 अप्रैल, 2022 को इस डीएल को दरभंगा डीटीओ कार्यालय में बैकलॉग एंट्री के माध्यम से माइग्रेट कर नाम और पता बदलते हुए इसी नंबर से सोहराब अली के नाम से 13 मार्च, 2024 को जारी कर दिया गया। इसके बाद पुनः इस डीएल को विपिन राम के नाम से झारखंड के हजारीबाग जिला परिवहन कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
सात लोगों के नाम से जारी हुए फर्जी डीएल
इस एक नंबर से इसी तरह नौ से लेकर 15 मार्च, 2015 के बीच सात लोगों के नाम से फर्जी डीएल जारी किए गए। तीन राज्यों में फर्जी डीएल का नेटवर्क यह मामला तब सामने आया जब अधिवक्ता राशिद खान ने दरभंगा व्यवहार न्यायालय में वाद दायर किया। इस पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश पर डीएम ने जांच कराई तो कई साक्ष्य मिले। फर्जी डीएल बिहार व झारखंड के अलावा, अरुणाचल प्रदेश के पते पर भी जारी मिले।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा
- जांच में पता चला कि डीटीओ का तीनों राज्यों में फर्जी डीएल बेचने का नेटवर्क है।
- फर्जी डीएल का उपयोग गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियों में भी किया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।
- इसमें डीटीओ शशि शेखरम, प्रोग्रामर विक्रमजीत, ऑपरेटर रूपेश और लिपिक कुमार गौरव की संलिप्तता बताई गई।
- परिवहन विभाग के संयुक्त सचिव ने तीन जनवरी को डीएम को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई है।
- आदेश के तहत डीटीओ और लिपिक पर विभागीय कार्रवाई भी की जानी है।
अब मधुबनी में पदस्थापित हैं शशि शेखरम
ज्ञात हो कि आरोपित डीटीओ शशि शेखरम पिछले दो वर्षों से मधुबनी में पदस्थापित हैं। इस दौरान नौ नवंबर, 2023 से 15 मार्च, 2024 तक दरभंगा जिले के भी प्रभार में रहे। करीब एक साल से सुपौल जिले के भी प्रभार में हैं। डीटीओ शेखरम ने बताया कि यह सोची-समझी साजिश है। लाइसेंस का कार्य डाटा एंट्री ऑपरेटर स्तर से होता है।
फर्जी डीएल निर्गत करने में तत्कालीन डीटीओ एवं अन्य कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई में विभागीय निर्देश का अनुपालन हो रहा है। इसमें किसी तरह की कोताही नहीं होगी। वर्तमान डीटीओ को प्राथमिकी दर्ज कराने और विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। - राजीव रौशन, जिलाधिकारी, दरभंगा।
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