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    दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का हाल: शिक्षकों और कर्मियों को रास नहीं आ रही बायोमेट्रिक मशीन, मर्जी से आ रहे कॉलेज

    Updated: Mon, 08 Jan 2024 05:07 PM (IST)

    दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के विभागों और कार्यालयों के साथ काॅलेजों में शिक्षकों और कर्मियों को बायोमेट्रिक मशीन रास नहीं आ रही है। इस कारण विश्वविद ...और पढ़ें

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    शिक्षकों और कर्मियों को रास नहीं आ रही बायोमेट्रिक मशीन।

    जागरण संवाददाता, दरभंगा। शिक्षा विभाग की सख्ती के बाद भी ललित नारायण मिथिला और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के विभागों और कार्यालयों के साथ काॅलेजों में बायोमेट्रिक मशीन से शत प्रतिशत हाजिरी नहीं बन रही है। इस कारण विश्वविद्यालय के कई शिक्षक और कर्मचारी विभाग और कार्यालय मनमानी तरीके से आते-जाते हैं।

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    खराब मशीन को भी नहीं कराया जा रहा ठीक

    बता दें दोनों विश्वविद्यालय के विभागों और इसके अधीन अधिकांश काॅलेजों में कोरोना काल से ही बायोमेट्रिक मशीन खराब चल रही है। अब भी कई विभागों और अंगीभूत काॅलेजों से मैन्युअल हाजिरी भेजी जा रही है। जबकि हर हाल में बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है।

    जिन विभाग और काॅलेजों में बायोमीट्रिक मशीन नहीं है या खराब चल रही है। वहां मशीन लगाने एवं खराब मशीन को दुरुस्त कराने का निर्देश जारी है। इसके बाद भी कुछ विभाग और काॅलेज प्रशासन की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

    बायोमेट्रिक मशीन खराब करने की भी मंशा हो रही उजाग

    काॅलेजों से लेकर विश्वविद्यालय तक शिक्षक-कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए लगीं बायोमैट्रिक मशीनें भी कारगर नहीं हो पा रहीं। सरकार ने ये व्यवस्था लागू कर बंक मारने वालों को घेरने की तरकीब भले ही अपनाई, लेकिन लोगों ने इसका भी काट निकाल लिया है। कई कालेजों एवं विभागों में वर्षों से बायोमेट्रिक मशीनें खराब हैं।

    सूत्रों की मानें तो ऐसे कुछ काॅलेज व स्नातकोत्तर विभाग हैं, जहां जानबूझकर बायोमेट्रिक मशीन खराब कर दिया गया है। मशीन को ठीक कराने के लिए संबंधित मेंटेनेंस कंपनी को भी नहीं बुलाया जाता है। नियम के मुताबिक शिक्षकों की प्रत्येक कार्य दिवस में कम से कम पांच घंटे तथा प्रत्येक सप्ताह न्यूनतम 40 घंटे की उपस्थिति अनिवार्य बताई गई है।

    बायोमेट्रिक उपस्थिति नहीं दर्ज होने पर कार्रवाई का निर्देश 

    बिहार सरकार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पत्र में बताया गया है कि अधिकांश कालेजों में पूर्व से बायोमीट्रिक मशीनें लगी हैं, लेकिन उसका उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति को अब स्पष्ट करना होगा। इस आदेश के बाद भी नये साल में भी यह व्यवस्था अब तक संबंधित पीजी विभागों एवं कालेजों में लागू नहीं हो सकी है।

    अब तक सुनिश्चित नहीं हो सकी बायोमेट्रिक उपस्थिति

    शिक्षा विभाग के आदेश के 14 माह बाद भी बायोमेट्रिक सिस्टम के तहत छात्र-छात्राओं की उपस्थिति नहीं बन रही है। अब भी विश्वविद्यालय और कालेज प्रशासन की शिथिलता के कारण पीजी विभाग और कालेजों में छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज नहीं हो पा रही है।

    शिक्षा विभाग के अलावा हाल ही में राजभवन ने भी बिहार के सभी विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम पत्र जारी कर वर्ग में छात्र-छात्राओं की 75 प्रतिशत उपस्थित दर्ज करवाने को निर्देशित किया है। इसके बाद भी आदेश को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

    बता दें कि शिक्षकों के लिए बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली को अनिवार्य करने के बाद शिक्षा विभाग ने उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों के लिए भी यह व्यवस्था एक जनवरी 2023 से शुरू करने को निर्देशित किया गया था। लेकिन अब तक इस दिशा में सकारात्मक प्रभाव नहीं दिख रहा है।

    बायोमेट्रिक से हाजिरी लगने पर फ्लाइंग स्टूडेंट होंगे चिन्हित

    शिक्षा विभाग की मानें तो छात्र-छात्राओं की बायोमीट्रिक हाजिरी से कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ेगी। कालेजों में शिक्षक और विद्यार्थी अधिक संख्या में आएंगे, इससे पढ़ाई के माहौल में गुणात्मक सुधार होगा।

    दूसरी तरफ, इस आदेश के बाद जो फ्लाइंग स्टूडेंट होंगे, उनको परेशानी हो सकती है। क्याेंकि, उनको भी बायोमीट्रिक हाजिरी बनाने के लिए विश्वविद्यालय या कालेज में पढ़ने के लिए नियमित आना पड़ेगा।

    फ्लाइंग स्टूडेंट उनको कहा जाता है, जो केवल डिग्री के लिए विश्वविद्यालय या कालेजों में नामांकन कराते हैं। लेकिन प्रतियोगिता परीक्षा या अन्य कोर्स की तैयारी के लिए कोटा, दिल्ली, पटना या अन्य बड़े शहरों में रहकर विभिन्न संस्थानों में कोचिंग क्लास करते हैं।

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