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    Rohu Fish: बिहार में मछली पालने वाले होंगे मालामाल, नीतीश सरकार देने जा रही है बड़ी सौगात

    Updated: Wed, 12 Mar 2025 12:52 PM (IST)

    मिथिला की रोहू मछली को जीआई टैग मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। पशु एवं मत्स्य विभाग अनुसंधान केंद्र पटना की टीम ने दरभंगा के होरलपट्टी स्थित गंगासागर तालाब का निरीक्षण किया और मछली का सैंपल लिया। जिले में दो जगहों पर रोहू मछली की 10 से 15 साल पुरानी प्रजाति पाई जाती है। रोहू मछली खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है।

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    बिहार में रोहू मछली को मिलेगा जीआई टैग (जागरण)

    जागरण संवाददाता, दरभंगा। Bihar News: मिथिला की रोहू मछली को जीआई टैग मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। पशु एवं मत्स्य विभाग अनुसंधान केंद्र पटना के डा. टुनटुन सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने पिछले दिनों हायाघाट के होरलपट्टी स्थिल गंगासागर तालाब का जिला मत्स्य पदाधिकारी के साथ निरीक्षण किया था।

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    इसके बाद किशनगंज और मुजफ्फरपुर की टीम यहां से मछली का सैंपल लेकर गई है। जिले में दो जगहों पर रोहू मछली की 10 से 15 साल पुरानी प्रजाति पाई जाती है। इसमें बिरौल प्रखंड की पोखराम पंचायत स्थित कोनी घाट और हायाघाट प्रखंड के होरलपट्टी स्थित गंगासागर तालाब शामिल हैं।

    टीम तालाब की मछलियों का सैंपल लेगी

    पिछले दिनों कोनी घाट में पानी काला हो जाने के कारण बड़े पैमाने पर मछलियां मर गई थीं। इस कारण पटना की टीम ने होरलपट्टी स्थित गंगासागर तालाब का चयन कर निरीक्षण किया। जिले की टीम उक्त तालाब से मछली का सैंपल लेगी। रोहू मछली तालाब की मछलियों की सबसे विशिष्ट प्रजातियों में से एक है।

    मिथिला क्षेत्र की रोहू मछली विशेष रूप से दरभंगा और मधुबनी में अपने स्वाद के लिए जानी जाती है। मत्स्य विभाग की मानें तो विशेषज्ञों ने इसे लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय को सौंप दिया है।

    मछली पालकों की आय में होगी बढ़ोतरी

    मिलेगा वैश्विक बाजार, बढ़ेगी आय: मत्स्य पालकों का कहना है कि मिथिला की रोहू मछली को जीआई टैग मिलने से विशेष पहचान के साथ वैश्विक बाजार मिलेगा। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। मत्स्य विभाग के अनुसार, जिले में 17 हजार टन रोहू मछली का वार्षिक उत्पादन होता है। इसके साथ ही जिले में रोहू, नैनी, कतला सहित अन्य मछलियों का सालाना उत्पादन 75 हजार टन है। 

    रोहू मछली को जीआई टैग मिलने की दिशा में प्रक्रिया तेज हो चुकी है। इसके लिए रोहू मछली का सैंपल एकत्रित कर जांच के लिए किशनगंज और मुजफ्फरपुर के लैब में भेजा गया है। यह क्षेत्र निकट भविष्य में मछली निर्यातक बन जाएगा। अनुपम कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी, दरभंगा।

    मछली पालन में इन बातों का रखें ध्यान

    1. तालाब या टैंक का निर्माण

    • तालाब का चयन: यदि आपके पास पहले से ही एक तालाब है, तो उसका उपयोग करें। अन्यथा, एक नया तालाब बनाएं।
    • टैंक का चयन: यदि आपके पास तालाब बनाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, तो आप एक बड़ा प्लास्टिक या कंक्रीट टैंक भी उपयोग कर सकते हैं।

    2. तालाब या टैंक की तैयारी

    •  साफ-सफाई: तालाब या टैंक को अच्छी तरह से साफ करें।
    •  जैविक पदार्थों को हटाना: तालाब में मौजूद किसी भी जैविक पदार्थ को हटा दें।
    •  तालाब की गहराई और मिट्टी की जांच: तालाब की गहराई और मिट्टी की गुणवत्ता की जांच करें।

    3. मछली का चयन

    •  मछली की प्रजाति: अपने तालाब या टैंक के अनुसार मछली की प्रजाति का चयन करें। कुछ लोकप्रिय प्रजातियां हैं - रोहू, कतला, ग्रास कार्प, और सिल्वर कार्प।
    • - मछली की संख्या: तालाब या टैंक के आकार और गहराई के अनुसार मछली की संख्या तय करें।

    4. मछली पालन के लिए आवश्यक सामग्री

    •  मछली का बीज: मछली के बीज को खरीदने के लिए स्थानीय मछली बीज केंद्र से संपर्क करें।
    •  मछली का आहार: मछली के लिए उचित आहार का चयन करें। आप मछली के लिए व्यावसायिक आहार भी खरीद सकते हैं।
    •  तालाब या टैंक की देखभाल: तालाब या टैंक की नियमित देखभाल करें, जैसे कि पानी की गुणवत्ता की जांच करना और आवश्यकतानुसार पानी बदलना।

    5. मछली पालन के लिए सावधानियां

    •   मछली की स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से मछली की स्वास्थ्य जांच करें।
    •  तालाब या टैंक की सुरक्षा: तालाब या टैंक की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय करें, जैसे कि तालाब या टैंक के चारों ओर बाड़ लगाना।
    •  मछली का बीमा: मछली का बीमा कराने पर विचार करें, जो आपको मछली की मृत्यु या अन्य खतरों से होने वाले नुकसान के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगा।

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