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    Machli Palan: बाजार में इन मछलियों की बढ़ी डिमांड, सरकार भी कर रही मदद; तुरंत हो जाएंगे मालामाल!

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 07:47 PM (IST)

    मछली पालन से किसान मालामाल हो सकते हैं। समस्तीपुर के नंदनी गांव में रंगीन मछलियों के उत्पादन के लिए तीन इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत जिले को लघु और मध्यम आकार की अलंकारी मछलियों के संवर्धन का लक्ष्य मिला है। इस परियोजना से किसानों की आय बढ़ाने और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने की उम्मीद है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। बिहार के समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीननगर प्रखंड के नंदनी गांव में रंगीन मछलियों के उत्पादन के लिए तीन इकाइयां स्थापित की जा रही हैं।

    प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत जिले को लघु और मध्यम आकार की अलंकारी मछलियों के संवर्धन का लक्ष्य मिला है।

    योजना के माध्यम से जिले के किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। जिला मत्स्य पदाधिकारी मो. नियाजुद्दीन ने जानकारी दी कि इन इकाइयों के निर्माण का कार्य प्रगति पर है।

    दो इकाई लघु अलंकारी मछलियों के संवर्धन के लिए बनाई जा रही है। जिसकी लागत तीन लाख रुपये निर्धारित है।

    किसानों को मिलेगा इतना अनुदान

    एक इकाई मध्यम आकार की मछलियों के संवर्धन के लिए बनाई जा रही है, जिसकी लागत आठ लाख रुपये है। योजना के तहत सामान्य वर्ग के किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।

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    महिला एवं अनुसूचित जाति वर्ग के किसानों को 60 प्रतिशत मिलेगा। लघु मछलियों के संवर्धन के लिए कम से कम एक हजार वर्गफीट जमीन की आवश्यकता होगी। इसके लिए सीमेंट टैंक, शेड, पानी की व्यवस्था और मछलियों के भोजन का इंतजाम किया जाएगा।

    किसानों के लिए रोजगार का अवसर

    • मो. नियाजुद्दीन ने बताया कि अलंकारी मछलियों का उपयोग सजावट के लिए घरों, रेस्टोरेंट और होटलों में किया जाता है। देश-विदेश में इनकी काफी मांग है, जिससे किसानों को अच्छे लाभ की संभावना है।
    • सरकार का लक्ष्य है कि इस व्यवसाय के जरिए किसानों की आय को दोगुना किया जा सके। यह परियोजना जिले के किसानों के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आई है।
    • रं गीन मछलियों का व्यवसाय सजावटी मछलियों की बढ़ती मांग को देखते हुए एक आकर्षक क्षेत्र बन सकता है। इसके तहत किसानों को आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
    • नंदनी गांव में स्थापित हो रही इन इकाइयों से जिले में मछली उत्पादन के क्षेत्र में नए आयाम जुड़ेंगे। यह न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी प्रोत्साहित करेगा।

    वीटीआर में नहीं हुआ मत्स्य पालन

    उधर, वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) के बीच बहने वाली त्रिवेणी मृत कैनाल को चार साल से पर्यटकों की तलाश है।

    21 दिसंबर 2021 में वाल्मीकिनगर में कैबिनेट बैठक के दौरान राज्य स्तर पर इसके नाम को भुनाया तो गया मगर जरूरी विकास यहां नहीं हो सका।

    प्रशासनिक स्तर पर पूर्व में इस पानी में नौका विहार और मत्स्य पालन करने का ताना बाना बुना गया लेकिन न नौका विहार को गति मिली और न ही इसमें मछली पाली गई। नहर मृत अवस्था में है। नहर के जीर्णोद्धार के नाम पर 10 से 15 लाख रुपये पानी की तरह बहाया गया।

    कैबिनेट बैठक के दौरान जिला प्रशासन के निर्देश पर मत्स्यजीवी सहयोग समिति ने लोन लेकर नहर का जीर्णोद्धार कराया। शुरू में सब कुछ अच्छा चला,लेकिन बाद में पर्यटकों के न आने से सब कुछ बंद हो गया। आज भी समूह से जो लोन लिया गया लेकिन उसे भर नहीं पाया। अधिकारियों के संज्ञान के बाद भी कोई रुचि नहीं ले रहा है।-नंदकिशोर, मंत्री, मत्स्यजीवी सहयोग समिति

    मृत कैनाल में मत्स्य पालन योजना की जानकारी नहीं है। जानकारी के बाद प्रयास कराया जाएगा कि योजना सुचारू रूप से चले और लोगों को रोजगार मिले।-ज्ञानशंकर सहनी, जिला मत्स्य पदाधिकारी

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