Bihar Kisan News: किसानों के लिए बड़ी खबर, 31 मार्च तक करें ऑनलाइन आवेदन; वरना नहीं मिलेगा इस योजना का लाभ
किसानों की फसल बाढ़ सूखा ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण क्षति हो जाती है तो उन्हें बिहार सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी नवानगर दिनेश सिंह ने बताया कि फसल क्षतिपूर्ति योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित किसानों को 31 मार्च तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा। अधिकतम दो हेक्टेयर तक किसानों को योजना का लाभ दिया जाएगा।

संवाद सहयोगी, केसठ (बक्सर)। किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बिहार कृषि सहायता योजना 2024-25 की शुरुआत की गई है।
इसके तहत किसानों की फसल बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण क्षति हो जाती है, तो उन्हें सरकार द्वारा आर्थिक सहायता देती है।
यह योजना राज्य के किसानों को विपरीत मौसम और अन्य आपदाओं से हुए फसल नुकसान पर राहत प्रदान करेगी। इस योजना के लाभ के लिए किसानों को 31 मार्च तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
प्रखंड कृषि पदाधिकारी नवानगर दिनेश सिंह ने बताया कि फसल क्षतिपूर्ति योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित किसानों को 31 मार्च तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा। अधिकतम दो हेक्टेयर तक किसानों को योजना का लाभ दिया जाएगा।
बदलते मौसम ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें, रबी की फसलों को हो सकता है नुकसान
वहीं, दूसरी ओर बेन प्रखंड क्षेत्र में दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश एवं मौसम में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है।
दिन-रात मेहनत करके खेतों में फसल उगाने वाले किसान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। मौसम की स्थिति को देखते हुए कयास लगाया जा रहा है कि इस बार भी किसानों को रबी फसल में भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
खासकर दलहन, तिलहन, सब्जी और गेहूं लगाने वाले किसानों का कहना है कि मौसम की बेरुखी की वजह से इस बार किसानों की लागत मूल्य भी आने की संभावना नहीं है।
परेशान किसानों के द्वारा सरकार से मदद की गुहार भी लगाई जा रही है। खासकर अनुकूल ठंड नहीं पड़ने की वजह से तिलहन के पौधे जरूरत से ज्यादा बढ़ गए और जिस कारण उसमें दाना भी कम हो पाया है।
सभी फसलों में किसानों के हिसाब से प्रतिकूल प्रभाव ही देखने को मिल रहा है। जिससे किसान काफी परेशान हैं।
किसान खेती से मोड़ रहे मुंह
प्रखंड क्षेत्र के बेन, नोहसा, जफरा, कोसनारा, एक सारा आदि के किसानों का कहना है कि एक तो समय पर यूरिया, डीएपी और अन्य खाद उपलब्ध नहीं हो पाता और यदि ब्लैक से बाजार में खाद खरीदी भी जाती है।
इसके लिए किसानों को अतिरिक्त शुल्क देय करना पड़ता है, जिससे किसानों की खेती महंगी हो गई है। आलम यह है कि अब किसान खेती की ओर से मुंह मोड़ रहे हैं।
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