Bihar Teacher News: बक्सर में हेडमास्टर पर एक्शन, मिड डे मील में बच्चों की फर्जी उपस्थिति बनाना पड़ गया महंगा
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जागरण संवाददाता, बक्सर। जिले के चौगाईं प्रखंड के दंगौली प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक नित्यानंद सिंह को एमडीएम में बच्चों की फर्जी उपस्थिति बनाना महंगा पड़ गया।
ऐसे में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना विष्णुकांत राय ने उनको निलंबित कर दिया है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मध्याह्न भोजन योजना रजनीश उपाध्याय ने उक्त विद्यालय का निरीक्षण कर गड़बड़ी पाई थी।
उसके आलोक में किए गए स्पष्टीकरण को असंतोषजनक पाए जाने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए विभाग को अनुशंसा की थी।
डीपीएम एमडीएम की अनुशंसा के आलोक में डीपीओ स्थापना ने प्रभारी प्रधानाध्यापक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
इन मामलों को लेकर हुई कार्रवाई
इस बाबत जारी कार्यालय आदेश में डीपीओ स्थापना ने कहा है कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, एमडीएम के प्रतिवेदन में बच्चों की उपस्थिति पंजी से बच्चों के भौतिक उपस्थिति में अंतर, बच्चों की उत्तर पुस्तिकाओं की नियमित जांच नहीं करना, बच्चों को गृह कार्य नहीं देना, एलपीजी गैस के विपरीत लकड़ी एवं उपला पर भोजन बनाने संबंधी आरोप की पुष्टि की गई है।
ऐसे में उपरोक्त वर्णित आरोपों में बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण अपील एवं नियंत्रण) नियमावली 2005 के नियम 17 के आलोक में डीपीओ स्थापना ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई के अधीन कर दिया है।
मुख्यालय में लगेगी ड्यूटी
- डीपीओ ने कहा है कि निलंबन अवधि में प्रधानाध्यापक को जीवनयापन भत्ता निलंबन मुख्यालय के पदाधिकारी द्वारा निर्गत अनुपस्थिति विवरणी के आधार पर विभागीय नियमानुसार देय होगा।
- निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, कार्यालय, सह- प्रखंड संसाधन केंद्र इटाढ़ी निर्धारित किया गया है।
- कहा गया है कि उनके विरुद्ध आरोप पत्र का गठन अलग से करते हुए संचालन एवं उपस्थापन पदाधिकारी नामित किए जाएंगे।
चौगाईं हाई स्कूल में लाखों के कम्प्यूटर बन गए कबाड़
सरकार द्वारा डिजिटल स्किल के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर वर्षों पहले अनुमंडल के सभी उच्च माध्यमिक स्कूलों में कंप्यूटर सेंटर स्थापित किए गए थे, लेकिन इनमें से अधिकांश कंप्यूटरों का उपयोग नहीं हो रहा है।
चौगाईं के प्लस टू हाई स्कूल में लाखों रुपये की लागत से लगाए गए कंप्यूटर जंग खा रहे हैं। कंप्यूटर शिक्षा पर ध्यान न दिए जाने से सरकार के डिजिटल भारत के सपने को भी झटका लग रहा है।
शुरुआती दौर में अनुमंडल के सिमरी, डुमरांव, नावानगर और ब्रह्मपुर प्रखंड के कुछ हाई स्कूलों में कंप्यूटर लगाए गए थे, ताकि छात्रों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ा जा सके। इसके बाद धीरे-धीरे अनुमंडल के प्रत्येक विद्यालय में लाखों रुपये की लागत से कंप्यूटर सेंटर स्थापित किए गए।
शनिवार को दैनिक जागरण ने चौगाईं के प्लस टू हाई स्कूल के कंप्यूटर लैब का जायजा लिया, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
कंप्यूटर कक्ष में रखे गए कुल दस कंप्यूटरों पर धूल की मोटी परत जमी थी और किसी भी कंप्यूटर में सीपीयू सहित अन्य उपकरण नहीं मिले।
स्कूल में पदस्थापित कंप्यूटर शिक्षिका प्रियंका सिंह ने बताया कि 15 महीने पहले योगदान देने के बाद उन्होंने देखा कि कंप्यूटर कक्ष की छत की सीलिंग टूटी हुई थी और तब से ही पूरा सिस्टम अस्त-व्यस्त पड़ा है।
इसके कारण आज तक कंप्यूटर लैब का संचालन नहीं हो पाया है। कभी-कभार चालू हालत में एक कंप्यूटर को छात्राएं चलाती हैं। हालांकि, कंप्यूटर और शिक्षक होने के बावजूद अधिकांश छात्राएं तकनीकी शिक्षा से वंचित हैं।
जिस कमरे में कंप्यूटर लैब है, उसका सीलिंग टूटा हुआ था, लेकिन अब ठीक हो गया है। यहां वर्षों से रखे गए कंप्यूटर को दुरुस्त करने की प्रक्रिया चल रही है, ताकि बच्चों को तकनीकी शिक्षा से वंचित नहीं होना पड़े।-संतोष कुमार ओझा, प्रभारी प्रधानाध्यापक
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