बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नामांकन का टास्क पूरा, अब बागियों को साधने की चुनौती
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है। अब राजनीतिक दलों के सामने बागियों को मनाने की चुनौती है। कई सीटों पर बागी उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे दलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पार्टियां उन्हें मनाने की कोशिश कर रही हैं, क्योंकि बागी वोट काटकर चुनाव परिणाम बदल सकते हैं।
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बिहार चुनाव में अब बागियों को हैंडल करना है चुनौती
कंचन किशोर, आरा। पहले चरण का नामांकन पूरा हो गया और भोजपुर में सातों विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की स्थिति लगभग साफ हो गई। अब मैदान में जाने से पहले महागठबंधन और एनडीए के पास सबसे बड़ी चुनौती बागियों को साधने की है।
भाजपा और राजद में कई ऐसे बागी हैं, जो पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ नामांकन पर्चा भरे हैं। इस बार एनडीए के लिए कहीं से भी बागी प्रत्याशी भारी पड़ सकते हैं। वहीं, बागियों की चुनौती राजद में भी कम नहीं है।
2020 में जिले के सात विधानसभा सीटों में से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को केवल दो सीटों पर सीट मिली थी। यह दो सीटें भाजपा के खाते में गई था। बड़हरा से भाजपा के राघवेंद्र प्रताप सिंह और आरा से अमरेंद्र प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की थी।
भाकपा माले ने तरारी और अगिआंव में जीत दर्ज की थी, जबकि राजद ने जगदीशपुर, संदेश और शाहपुर में परचम लहराया था। इस बार एनडीए पहले से ज्यादा एकजुट है और लोक जनशक्ति पार्टी(आर.) भी साथ है। पिछले बार का स्कोर पलटने के लिए एनडीए ने प्रत्याशियों के चयन में खूब माथापच्ची की है।
जीत के लिए एनडीए के घटक दलों ने सीट का भी त्याग किया है और जदयू ने अपने खाते वाली अगिआंव सुरक्षित सीट भाजपा को दे दी। भाजपा ने यहां से पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता महेश पासवान को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में एनडीए को बागियों की चुनौती कम है। फिर भी बड़हरा में भाजपा को बागी दर्द देंगे।
यहां से पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार वर्तमान विधायक खड़े हैं और टिकट नही मिलने से नाराज पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सूर्यभान सिंह ने भी पर्चा दाखिल कर दिया है। इनकी पार्टी के काडर में गहरी पैठ है।
दूसरी ओर, महागठबंधन के सामने चुनौैतियां ज्यादा है। पिछले विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर लड़ने वाला महागठबंधन में इस बार बिखराव है और यह नामांकन में भी परिलक्षित हुआ।
भाकपा माले ने आरा, अगिआंव और तरारी से अपना उम्मीदवार उतारा है, लेकिन उनके नामांकन में घटक दल के कोई नेता और कार्यकर्ता नहीं दिखे। वहीं, जगदीशपुर, शाहपुर, बड़हरा और संदेश में राजद प्रत्याशियों के नामांकन में भाकपा माले और कांग्रेस के किसी बड़े नेता की नुमाइंदगी नहीं दिखी।
कांग्रेस के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता जिले में एक भी सीट नहीं मिलने से बिदके हुए हैं और इंटरनेट मीडिया पर अपना दुख साझा कर रहे हैं। राजद के लिए बागियों की भी चुनौती है। बड़हरा में पार्टी के पूर्व विधायक सरोज यादव ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर दिया है।
ये बड़हरा में पार्टी के समीकरण को आघात पहुंचा सकते हैं। संदेश में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ अगिआंव के प्रखंड प्रमुख सह राजद नेता मुकेश यादव ताल ठोंक रहे हैं। वहीं, जगदीशपुर में पार्टी के टिकट की रेस में शामिल नेता राजीव रंजन अब बागी होकर स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
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