Bihar News: कम हो जाएगी बिहार से यूपी की दूरी, दो हफ्ते में आरा वालों को मिलेगी खुशखबरी
बड़हरा में पीपा पुल जोड़ने का कार्य हुआ शुरू हो गया है जो लगभग दो हफ्ते में पूरा हो जाएगा। शनिवार को पहले दिन दो पीपा जोड़े गए। इस बार लगभग 60 पीपा जोड़ा जाएगा। पीपा पुल तैयार होने के बाद बिहार से उत्तर प्रदेश आने-जाने वाले लोगों को काफी राहत मिलेगी। इससे दोनों प्रदेशों के बीच की दूरी कम हो जाएगी।

जागरण संवाददाता, आरा। बड़हरा के महुली गंगा घाट पर पीपा पुल बनाने का कार्य शुरू हो गया। लगभग दो सप्ताह से ज्यादा समय तक इसके जोड़ने का कार्य चलने के बाद रास्ता निर्माण आदि किया जा रहा है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस माह के अंतिम सप्ताह से उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच इस रास्ते से आवागमन भी शुरू हो जाएगा।
समय की बचत होगी
पीपा जोड़ने का कार्य ठेकेदार द्वारा शुरू किए जाने के साथ लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। लंबी प्रतीक्षा के चार माह बाद पीपा पुल का निर्माण एक बार फिर से शुरू हो गया है।
पीपा पुल के शुरू हो जाने के बाद बिहार से यूपी जाने वाले लोगों का सफर भी आसान हो जाएगा। साथ ही समय की भी बचत होगी।
शनिवार से शुरू हुआ काम
ठेकेदार को पांच वर्षों के लिए शुक्रवार को ही टेंडर का आवंटन हुआ था। टास के द्वारा फैसला होने के बाद ठेकेदार ने बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के कार्यपालक अभियंता द्वारा मिले कड़े निर्देश के बाद शनिवार से पीपा जोड़ने का कार्य शुरू कर दिया।
60 पीपा जोड़ा जाएगा
पहले दिन दो से चार पीपा जोड़े गए हैं। इस बार लगभग 60 पीपा जोड़ा जाएगा। पीपा पुल चालू होने के बाद खवासपुर पंचायत समेत बिहार और उत्तर प्रदेश के सैकड़ों लोगों का रोजाना आवागमन शुरू हो जाएगा।
सोनपुर : अंधकार में डूबी गंडक पुल
विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेले के दौरान रोशनी से चकाचौंध रहने वाली सोनपुर-हाजीपुर पुरानी गंडक पुल अब घने अंधकार में डूबी हुई है। पुल पर कहीं भी एक बल्ब नहीं दिख रहे।
रात्रि के समय भगवान के भरोसे यात्री पुल पार कर रहे हैं। ऐसे में कभी भी कोई हादसा या आपराधिक घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
अंधेरे में गडंक पुल।
पुल में छाए अंधेरे के बीच अक्सर जाम भी लग जाता है। शुक्रवार की देर शाम भी यहां लोगों को भीषण जाम का सामना करना पड़ा। पुलिस की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण जाम में वाहन चालक अपनी गाड़ी पीछे करने में अपनी तौहीन ही समझते हैं। ऐसे में जाम में फंसने वाले वाहनों की संख्या बढ़ती चली जाती है।
हरिहर क्षेत्र मेले अवधि तक तो यह पुल तरह-तरह के बल्बों की रोशनी में नहाई रहती है। उसके बाद फिर यहां अंधेरा कायम हो जाता है।
लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुरानी यह गंडक पुल अभी भी यहां के लोगों के लिए जीवन रेखा बनी हुई है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि विभाग या प्रशासन इस समस्या को समझने के लिए तैयार नहीं हैं।
अन्यथा महज कुछ गज के इस पुल पर यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के दृष्टिकोण से रोशनी का प्रबंध किया जाना सरकार या प्रशासन के लिए कोई बड़ी बात नहीं है।
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