Updated: Wed, 02 Apr 2025 02:26 PM (IST)
विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। केंद्रीय शिक्षा विभाग ने बिहार सरकार को पत्र लिखकर भूमि अधिग्रहण के लिए समयसीमा निर्धारित करने को कहा है। जिला प्रशासन ने भू-अर्जन विभाग को भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों विश्वविद्यालय के शिलान्यास की संभावना है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए जमीन का अधिग्रहण एक समयसीमा के अंदर किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा विभाग के उपसचिव श्रेया भारद्वाज ने सूबे के शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव को पत्र लिखकर जमीन अधिग्रहण के लिए समयसीमा निर्धारित करने के कहा है।
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उक्त पत्र के आलोक में शिक्षा विभाग के सचिव अजय यादव ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर प्रस्तावित विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए आवश्यक कार्रवाई की प्रक्रिया में तेजी लाने व भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक समयसीमा निर्धारित करने को कहा है।
पीएम मोदी कर सकते हैं शिलान्यास
इसके बाद जिलाधिकारी ने भू-अर्जन विभाग को केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर सक्रिय कर दिया है। कहा जा रहा है कि भू-अर्जन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री का दौरा हो सकता है। प्रधानमंत्री विधानसभा चुनाव की घोषणा के पूर्व विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने कहलगांव आएंगे।
28 मार्च को एक दिवसीय दौरे पर आए मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने विक्रमशिला में बनने वाली केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए अर्जित की जाने वाली जमीन उनके नक्शे को देख विस्तार से जानकारी ली थी।
उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालय निर्माण के लिए 215 एकड़ जमीन अर्जन की स्वीकृति दे दी है। भू अर्जन प्रक्रिया के तहत होगी। सामाजिक आर्थिक आंकलन का कार्य चल रहा है। रिपोर्ट समर्पित होते ही जमीन अर्जन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। एप्रोच रोड की आवश्यकता है। इसको देखे हैं। आने वाले समय में कार्य दिखने लगेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका शिलान्यास किए जाने की संभावना है।
भव्य आकार लेगा केंद्रीय विश्वविद्यालय
विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय 215 एकड़ में भव्य आकार लेगा। जमीन अधिग्रहण के पूर्व सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट) किया जा रहा है। प्रस्तावित परियोजना व जमीन अधिग्रहण से जुड़े सामाजिक लागत और फायदों का आकलन होने के बाद टेक्नीकल एक्सपर्ट कमेटी आकलन करेगी। रिपोर्ट आने के बाद भू-अर्जन विभाग जमीन के भू-अर्जन को लेकर अधिसूचना जारी करेगी।
विभाग अधिसूचना के प्रतियों को पोर्टल पर अपलोड करेगी। कोई भी व्यक्ति अपने गांव या प्रभावित खसरे के आधार पर संबंधित अधिसूचना का खोज कर सकेंगे। इसके लिए ग्राम, खसरा, अधिसूचना का प्रकार, अवधि आदि खोज का आधार बना सकेंगे। भू-अर्जन विभाग अपने स्तर से जमीन का सर्वे करा चुकी है।
विक्रमशिला में प्रस्तावित केंद्रीय विश्वविद्यालय निर्माण के लिए करीब 215 एकड़ जमीन चिह्नित कर नजरी नक्शा के साथ अधिग्रहण के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। अंतिचक मौजा में 92 एकड़ 70 डिसमिल एवं मलकपुर मौजा में 84 एकड़ 33 डिसमिल जमीन रैयती है। 28 एकड़ 33 डिसमिल जमीन बिहार सरकार की है। सभी जमीन भीट टू दो फसला है। उक्त रैयती जमीन पर आम बगान भी है।
करीब दो हजार पेड़ लगे हुए हैं। रैयती जमीन पर एक भी घर नहीं है। बसोवासी जमीन नहीं है। बिहार सरकार की जमीन पर कुछ जगहों पर बासा किस्म की झोपडी है। अंतीचक की जमीन अर्जित करने के लिए मुआवजे की राशि 54 करोड़ 81 लाख 63 हजार 142 रुपये और मलकपुर के लिए 33 करोड़ 18 लाख 18 हजार 213 रुपये आंकी गई है, उक्त राशि की स्वीकृति राज्य सरकार ने दी है।
दो सदस्यीय टीम कर चुकी है दौरा
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा विक्रशिला विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण के लिए नियुक्त कंसलटेंट, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. वीरेंद्र कुमार पाल व प्रोफेसर अभिजीत रस्तोगी ने विक्रमशिला के प्रस्तावित स्थल अंतिचक के आसपास का 15 सितंबर को दौरा किया था।
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली विक्रमशिला विश्वविद्यालय के लिए डीपीआर बनाएगी। भू-अर्जन व डीपीआर अप्रूवल के बाद प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत विक्रमशिला विश्वविद्यालय परिसर का निर्माण आरंभ हो जाएगा।
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