कौन हैं स्वामी आगमानंद जी महाराज? अब बने जगद्गुरु रामानुजाचार्य, भागलपुर से अयोध्या तक हो रही चर्चा
श्री उत्तरतोताद्रिमठ विभीषणकुंड अयोध्या में विशेष मंगलाशासन समारोह हुआ था। इस दौरान स्वामी अनन्ताचार्य जी महाराज की कथा हुई थी। कार्यक्रम का संयोजन व संचालन स्वामी आगमानंद जी महाराज ने किया। स्वामी आगमानंद जी महाराज श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर और श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी हैं। अब स्वामी आगमानंद जी महाराज को जगद्गुरु रामानुजाचार्य की उपाधि से विभूषित किया गया है।

दिलीप कुमार शुक्ला, भागलपुर। श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर स्वामी आगमानंद जी महाराज 10 दिवसीय अयोध्या प्रवास के बाद वापस भागलपुर लौटे। स्वामी आगमानंद जी महाराज श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या में उत्तराधिकारी हैं।
अपने प्रवास के दौरान स्वामी आगमानंद ने वहां के विधि व्यवस्था, आश्रम संचालन आदि की जानकारी ली। इस दौरान श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के पीठाधीश्वर श्रीमद्जगदगुरु रामानुजाचार्य अनंत श्री विभूषित बाल ब्रह्मचारी स्वामी अनन्ताचार्य जी का सातदिवसीय भागवत कथा का आयोजन किया गया था।
वहां आयोजित सभी धार्मिक कार्यक्रमों का संयोजन व संचालन स्वामी आगमानंद ने किया था। स्वामी आगमानंद के आध्यात्मिक गुरु स्वामी अनन्ताचार्य जी महाराज हैं।
अयोध्या और प्रयागराज प्रवास के दौरान उनके साथ हजारों की संख्या में अनुयायी उनके साथ गए थे। स्वामी आगमानंद ने भगवान रामलला, हनुमान गढ़ी आदि मंदिरों में जाकर दर्शन पूजन किया। अयोध्या के बाद स्वामी आगमानंद जी प्रयागराज गए, जहां उन्होंने संगम में पवित्र स्नान किया।
सातदिवसीय भागवत कथा के दौरान एक दिन अचानक स्वामी अनन्ताचार्य जी ने कहा कि आगमानंद अब आप इस पीठ को संभालिए। इसके बाद स्वामी अनन्ताचार्य जी दिवस के अवतरण दिवस के दिन स्वामी आगमानंद जी महाराज का मंगलाशासन समारोह आयोजित किया गया।
अयोध्या में आयोजित एक विशेष समारोह में स्वामी आगमानंद जी महाराज का मंगलाशासन किया गया। यह उपाधि जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर जी ने एक दर्जन से ज्यादा रामानुजाचार्य संतों के समाने प्रदान की।
इससे पहले विद्या भास्कर जी ने विश्व के समस्त तोताद्रिमठ के परमाधिपति श्रीमज्जदगुरु रामानुजाचार्य श्रीवानममलैमठ नांगुनेरी तमिलनाडु के 31वें पीठाधिपति अनन्तश्री संपन्न श्री मधुरकवि रामानुज जीयर स्वामी से सहमति ली। इसकी मान्यता समस्त रामानुजाचार्या संतों ने दे दी है।
इन संतों ने तिलक लगाकर किया मंगलाशासन
मंगलाशासन समारोह के दौरान श्रीमद्जगदगुरु रामानुजाचार्य अनंत श्री विभूषित बाल ब्रह्मचारी स्वामी अनन्ताचार्य (स्वामी आगमानंद महाराज के अध्यात्मिक गुरु), जगद्गुरु स्वामी विष्णुप्रपण्ण जी, जगद्गुरु स्वामी बालकृष्णचार्य जी, स्वामी दासरथी जी आदि अनेक संतों ने स्वामी आगमानंद जी का तिलक लगाकर मंगलाशासन किया।
सभी संतों ने स्वामी आगमानंद को माला पहनाया और अंगवस्त्र प्रदान किया। मंच पर भजन सम्राट डॉ. हिमांशु मोहन मिश्र दीपक जी उपस्थित थे। स्वामी आगमानंद जी महाराज अब जगद्गुरु रामानुजाचार्य हो गए।
अब वे श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के रूप में जाने जाएंगे। अंग क्षेत्र के प्रसिद्ध संत स्वामी आगमानंद जी महाराज जगद्गुरु रामानुजाचार्य बन गए।
स्वामी आगमानंद का परिचय
- स्वामी अगमानंद जी महाराज का वैष्णवनाम-स्वामी रामचंद्राचार्य है। इसका पूर्वाश्रम नाम-रामचंद्र पांडेय 'रसिक' है। उनका पैतृक आवास भागलपुर जिले के नवगछिया के नगरह में है। बचपन का नाम रामू है।
- यदुनंदन पांडेय और राधा देवी की संतान आज स्वामी आगमानंद के रूप में भारत में प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म रामनवमी के दिन हुआ है। तीन भाई और एक बहन में स्वामी आगमानंद जी सबसे बड़े हैं। वे ब्रह्मचारी हैं।
- आगमानंद जी महाराज श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर हैं। उन्होंने नवगछिया और भागलपुर में शिक्षा ग्रहण किया। हिंदी, संस्कृत, अंगिका सहित कई भाषाओं के वे ज्ञाता हैं।
- स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई उन्होंने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से की है। स्वामी आगमानंद जी ने संपूर्ण देश में 10 लाख से ज्यादा लोगों को आध्यात्मिक दीक्षा दी है। उनके अनुयायियों की संख्या 15 लाख के आसपास है।
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