Sharad Purnima Special: आज आसमान से होगी अमृत वर्षा, शरद पूर्णिमा पर खीर खाने के क्या हैं फायदे?
आज भागलपुर में शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि आज रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और अमृत वर्षा करता है जिससे खीर औषधीय गुणों से भरपूर हो जाती है। लोग खुले आसमान में खीर रखकर ग्रहण करेंगे जिससे शारीरिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।

संवाद सहयोगी, भागलपुर। शरद पूर्णिमा आज सोमवार को मनाई जाएगी। गंगा व अन्य नदियों में स्नान कर गंगा व भगवत पूजा कर गरीबों को दान का विशेष महत्व है।
आज की रात पूर्णिमा की चांदनी मिश्रित ओस कण औषधि सदृश्य प्रभावकारी होते हैं। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार वह खीर विशेषकर दमा व श्वांस संबंधी रोगों के शमन के लिए प्रभावकारी औषधि की तरह काम करती है।
सनातन धर्म की मान्यता अनुसार शरद पूर्णिमा एकमात्र ऐसी रात है, जब चंद्रदेव अपनी सोलहों कलाओं के साथ पूर्ण तेज में होते हैं और उनकी किरणों से अमृत वर्षा होती है।
इसी आस्था के साथ आज अन्य जिलों की तरह भागलपुर में भी हजारों लोग खुले आकाश के नीचे रखी अमृत मिश्रित खीर ग्रहण करेंगे। यह प्रसाद ग्रहण करने से मानव कई तरह की शारीरिक व्याधियों (रोगों) से मुक्त रहता है।
धर्म विज्ञानी शरद पूर्णिमा को विशिष्ट त्योहार मानते हैं। उनके अनुसार, यह वह पल है, जब धर्म, विज्ञान और प्रकृति एक साथ मिलकर हमें संतुलित जीवन जीने का संदेश देते हैं।
चंद्रमा की अमृत-किरणें, खीर का औषधीय गुणों से युक्त होने और भक्ति का वातावरण सब मिलकर इस रात को देवों का उत्सव बना देते हैं।
खुले आसमान में सजी खीर की थालियां
लगभर हर घरों में आज मिट्टी, चांदी या सामान्य धातु की थालियों में खीर तैयार की जाएगी। रात होते ही उन्हें छतों और आंगनों में चांद की छटा के नीचे रखा जाएगा।
ऐसा माना जाता है कि उस खीर पर चंद्रमा की किरणें पड़ने से वह औषधीय गुणों से युक्त हो जाती है।उसमें चंद्रमा की शीतल ऊर्जा समाहित हो जाती है।
आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार इस रात वातावरण में पित्त शांत करने वाले प्राकृतिक तत्व बढ़ जाते हैं। इसी कारण चंद्रमा की छटा तले रखी खीर दमा व श्वांस संबंधी रोगों में औषधि की तरह काम करती है।
1960 से चलती आ रही चमत्कारी खीर वाली दवा
शहर की विभिन्न जगहों पर आज शरद पूर्णिमा को लेकर कई आयोजन होंगे। इस कड़ी में गुरुद्वारा रोड स्थित अग्रसेन भवन में आज शाम सात बजे से निःशुल्क दमा शिविर लगेगा।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप पोद्दार के अनुसार चित्रकूट पर्वत की विशेष जड़ी-बूटियों से बनी औषधि आज सैकड़ों रोगियों को खीर के साथ दी जाएगी। यहां पिछले 64 वर्षों से लगातार यह परंपरा जारी है। कई मरीज इसे चंद्र औषधि के नाम से जानते हैं।
गंगा घाटों से आश्रमों तक में रातभर जमेगा भक्ति का रंग
गंगा तटों पर सुबह से ही स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगेगी। बूढ़ानाथ रोड स्थित रंगनाथ स्वामी मंदिर में भगवान को खीर, पूरी और सब्जी का भोग लगेगा।
इस अवसर पर कुप्पाघाट स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम में विशेष साधना होगी। वहीं दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में आध्यात्मिक आयोजन होगा।
क्यों कही जाती है अमृतवर्षा?
पुराणों में चंद्रमा को मन, शीतलता और औषधि का देवता कहा गया है। वर्षा ऋतु के बाद शरीर में बढ़े पित्त और गर्मी को शांत करने के लिए प्रकृति शरद पूर्णिमा जैसी विशेष रात देती है।
इस समय आकाश में हल्के बादल छाए रहने व नमी कम होने से चंद्र किरणें बिना किसी बाधा के सीधे धरती पर गिरती हैं।
वैज्ञानिक मानते हैं कि इस रात हवा में जीवाणुओं की वृद्धि रुक जाती है। उससे वातावरण अधिक शुद्ध और स्वस्थ्यकर हो जाता है।
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