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    Bhagalpur News: भागलपुरी रेशमी वस्त्र की पहचान बताएगा जीआई टैग, धोखाधड़ी से बचेंगे खरीददार

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 01:29 PM (IST)

    भागलपुर के रेशमी वस्त्रों को जीआई टैग मिलने से उनकी पहचान सुरक्षित होगी। ऑनलाइन बाजार में नकली वस्त्रों की बिक्री पर रोक लगेगी जिससे उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाया जा सकेगा। जीआई टैग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए शिविर का आयोजन किया गया जिसमें 125 से अधिक बुनकरों ने टैग के लिए आवेदन किया। अब टैग का गलत इस्तेमाल करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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    भागलपुरी रेशमी वस्त्र की पहचान बताएगा जीआइ टैग। जागरण फोटो

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। रेशमी शहर भागलपुर में तैयार सिल्क के नफीस कपड़े की अब खास पहचान होगी। उनकी कोई नकल नहीं कर सकेगा। आए दिन ऑनलाइन मार्केट में भागलपुरी सिल्क के नाम से रेशमी वस्त्रों की बिक्री की जाती है।

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    इस दौरान जीआई टैग का उपयोग नहीं किए जाने से कभी-कभी उसकी शुद्धता की गारंटी नहीं रहती व उपभोक्ता ठगे जाते हैं। लेकिन टैग युक्त भागलपुरी रेशमी वस्त्र खरीदे जाने व ठगे जाने पर उपभोक्ता व टैग लेने वाले बुनकर साइबर थाने में ठगी का मामला दर्ज करा सकते हैं।

    जीआई टैग की जागरुकता के लिए आयोजन

    बुनकरों के बीच जीआइ टैग के प्रति जागरूकता लाने के लिए मंगलवार को खंजरपुर स्थित एक होटल में भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय के राष्ट्रीय हस्तकरघा विकास निगम लिमिटेड द्वारा शिविर का आयोजन किया गया।

    125 से अधिक बुनकरों ने किया आवेदन

    उसमें 150 से अधिक बुनकर शामिल हुए। उन्हें जीआइ टैग लेने के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान 125 से अधिक बुनकरों ने जीआई टैग लेने के लिए आवेदन दिए। उन आवेदनों को बुनकर सेवा केंद्र भेजा जा रहा है।

    उसके बाद उन्हें स्वीकृति के लिए राष्ट्रीय हस्तकरघा विकास निगम लिमिटेड को भेजा जाएगा। तत्पश्चात उन्हें चेन्नई स्थित जीआई कार्यालय भेजा जाएगा। इसके बाद जीआई टैग का प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा।

    कानूनी कार्रवाई में कर सकेंगे जीआई टैग का उपयोग

    उसका सीधा लाभ भागलपुर के बुनकरों को मिलेगा। अभी तक जिले भर में 11 बुनकरों के पास ही इस टैग के प्रमाण पत्र हैं। इस टैग के रहने से खरीदारों को धोखा नहीं होगा। भागलपुर के बुनकर के अलावा कोई जीआई टैग का उपयोग करेगा तो उसपर कानूनी कार्रवाई होगी।

    भागलपुर रेशमी वस्त्रों के टैग का इस्तेमाल पड़ोस के बांका जिले के बुनकर भी नहीं कर सकेंगे। अगर कोई फर्जी तरीके से इसका उपयोग करेगा तो वह पकड़ा जाएगा। टैग मिलने के बाद बुनकर कानूनी रूप से वैध होंगे।

    साथ ही एक्सपोर्ट में इसका इस्तेमाल हो सकेगा। इस दौरान कच्चा माल आपूर्ति योजना के तहत छह बुनकरों को यार्न पास बुक का वितरण किया गया।

    इस अवसर पर वाराणसी के एक्सपर्ट जलाल उद्दीन ने जीआई की विशेषता पर विस्तार से जानकारी दी। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता एनएचडीसी के मैनेजर कमर्शियल चंदन मनी त्रिपाठी ने की।

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