वैशाली से लेकर भागलपुर तक... Bihar में बोली जाती हैं ये प्रमुख भाषाएं, सदियों पुराना है इतिहास
बिहार अपनी समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार सिर्फ हिंदी भाषी राज्य नहीं है? यहां और भी कई बोलियां बोली जाती हैं जो इस राज्य की भाषाई विविधता को और भी खूबसूरत बनाती हैं। आइए जानते हैं बिहार की कुछ प्रमुख भाषाओं के बारे में।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब हम बिहार की बात करते हैं, तो अक्सर हमारे मन में इसकी संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत और हां, हिंदी भाषा का ख्याल आता है। यह सच है कि हिंदी यहां बड़े चाव से बोली जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार सिर्फ हिंदी भाषी राज्य नहीं है?
यह भाषाओं का एक खूबसूरत गुलदस्ता है, जहां हर कोने में एक नई बोली, एक नई धुन सुनने को मिलती है। आइए, बिहार की इस अनोखी भाषाई दुनिया (Languages of Bihar) को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि हिंदी के अलावा यहां और कौन-कौन सी मीठी बोलियां लोगों के दिलों पर राज करती हैं।
मैथिली
बिहार के मिथिला क्षेत्र और भारत के अन्य हिस्सों में बोली जाने वाली मैथिली, लगभग 3.2 करोड़ लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती है। यह नेपाल में दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा भी है। कभी इसे सिर्फ एक बोली माना जाता था, लेकिन अब यह भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। पहले इसे 'मिथिलाक्षर' लिपि में लिखा जाता था, लेकिन अब ज्यादातर देवनागरी लिपि का इस्तेमाल होता है। मैथिली का सबसे पुराना लिखित पाठ 14वीं सदी का है, जो इसकी प्राचीनता को दर्शाता है।
भोजपुरी
बिहार के कुछ हिस्सों और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भोजपुरी खूब बोली जाती है। ब्रिटिश काल में बिहार से दूसरे देशों में जाने वाले लोगों के साथ यह भाषा दुनिया के कई कोनों तक पहुंची। पहले इसे 'कैथी' लिपि में लिखा जाता था, लेकिन अब यह देवनागरी में लिखी जाती है। भोजपुरी को एक अलग भाषा के रूप में पहचान दिलाने की कोशिशें लगातार जारी हैं, लेकिन इसे अभी तक आधिकारिक दर्जा नहीं मिला है।
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मगही
मगही भाषा का गहरा संबंध प्राचीन 'मगधी प्राकृत' से है, जो सीधे महात्मा बुद्ध से जुड़ी हुई मानी जाती है। लगभग 1.3 करोड़ लोग मगही बोलते हैं, खासकर पटना, नालंदा, गया, नवादा, जहानाबाद और औरंगाबाद जैसे जिलों में इसका ज्यादा चलन है। इसकी ऐतिहासिक जड़ें इसे बिहार की एक महत्वपूर्ण भाषा बनाती हैं।
अंगिका
अंगिका मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्वी बिहार के साथ-साथ झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। यह बंगाली और मैथिली से काफी मिलती-जुलती है और कई बार इसे मैथिली की ही एक उप-बोली भी मान लिया जाता है। अंगिका बोलने वालों की संख्या के अनुमान अलग-अलग हैं, लेकिन इसकी खास बात यह है कि इसका लिखित साहित्य लगभग 800 ईस्वी जितना पुराना है, जो इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा को दर्शाता है।
बज्जिका
बज्जिका भाषा बिहार के बज्जिकांचल क्षेत्र और नेपाल के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। अनुमान है कि इसे बोलने वालों की संख्या लगभग 1.5 करोड़ हो सकती है। इसे पहले 'वैशाली की बोली', 'वृज्जिका' या 'ब्रिज्जिका' जैसे नामों से भी जाना जाता था। इसका नाम लगभग 600 ईसा पूर्व के प्राचीन वज्जि साम्राज्य के नाम पर पड़ा है, जो इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है।
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