Bhagalpur News: सवालों के घेरे में अतिथि शिक्षकों की बहाली, नियम-योग्यता सब ताक पर
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में अतिथि शिक्षकों की बहाली सवालों के घेरे में है। आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियमों और योग्यता को ताक पर रखकर चययन किया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि कम अंक वालों को चुना गया जबकि अधिक अंक वालों को दरकिनार कर दिया गया। छात्रों ने 28 अप्रैल को जारी परिणाम रद कर दोबारा बहाली प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में अतिथि शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पूरी कर ली गई। चयनित अतिथि शिक्षकों ने योगदान भी दे दिया। हालांकि, अतिथि शिक्षकों के चयन में नियमों की अनदेखी के आरोप लगने लगे हैं। कई अभ्यर्थियों ने अतिथि शिक्षकों के चयन में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का आरोप भी लगाया है।
विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व प्रतिनिधि डॉ. कृष्ण बिहारी गर्ग और दर्जनों अभ्यर्थियों ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियम कानून को ताक पर रख कर और मेधा को दरकिनार करते हुए बहाली की है। यह उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को तो प्रभावित करेगी ही, छात्रों का भविष्य भी बर्बाद कर देगी। 28 अप्रैल को जारी अतिथि शिक्षकों के परिणाम को रद करने की पुरजोर मांग उठी है।
कम अंक वाले अभ्यर्थियों के चयन का आरोप:
अतिथि शिक्षक की बहाली प्रक्रिया में भाग लेने वाले कई अभ्यर्थियों ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने योग्यता की अनदेखी कर कम अंक लाने वाले अभ्यर्थियों का चयन कर लिया है। नेट, जेआरएफ, एसआरएफ वाले अभ्यर्थियों की अनदेखी की गई। ओबीसी महिला में 62 अंक वाली अभ्यर्थी का चयन किया गया, जबकि 78 अंक वाली अभ्यर्थी का चयन नहीं किया गया।
ईडब्ल्यूएस में 81 अंक वाली अभ्यर्थी का चयन नहीं किया गया, जबकि 65 अंक पर अभ्यर्थी का चयन किया गया। रिजल्ट से यह स्पष्ट जाहिर है कि चयनित दोनों अभ्यर्थी को यदि मौखिक परीक्षा में पूरे 15 अंक भी दिए गए तो दोनों अभ्यर्थी से कम अंक ही होता है।
डॉ. कृष्ण कुमार गर्ग ने कहा कि यह उदाहरण सिर्फ एक विषय इतिहास का है, इस प्रकार की गलत नियुक्ति के उदाहरण अन्य विषयों में भी देखने को मिल रहा है।
देर रात मौखिक परीक्षा क्यों?
शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए टीएमबीयू में अतिथि शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया शुरू की गई थी। शुरू से ही बहाली प्रक्रिया विवादों में रही। डॉ. कृष्ण बिहारी गर्ग ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि आनन-फानन में मौखिक परीक्षा लेने के पीछे एकमात्र मकसद था, छात्रों से मोटी रकम वसूल कर बहाली करना।
देश के किसी विश्वविद्यालय में ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है, जब सुबह 10:00 बजे पेपर वेरिफिकेशन के बाद दूसरे दिन सुबह 4:00 बजे तक अभ्यर्थियों को जगा कर मौखिक परीक्षा ली गई हो। साक्षात्कार में अधिकांश अभ्यर्थियों से एक जैसे सवाल ही पूछे गए थे। मौखिक परीक्षा के नाम पर केवल खाना पूर्ति की गई थी।
सूची शॉर्ट लिस्ट नहीं किए जाने पर उठ रहे प्रश्न:
डॉ. कृष्ण बिहारी गर्ग ने कहा कि अतिथि शिक्षक की बहाली में अधिक संख्या में आवेदन प्राप्त होने के बाद अभ्यर्थियों की सूची को शॉर्ट लिस्ट करने का प्रविधान है। टीएमबीयू में अभ्यर्थियों की सूची को शार्ट लिस्ट नहीं किया गया। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह थी कि जिन लोगों का चयन मोटी रकम लेकर किया जाना था, उनका नाम शॉर्ट लिस्ट करने पर पहले ही वह सूची से बाहर हो जाते।
अब तक बिहार, झारखंड या अन्य राज्यों में भी जहां अतिथि शिक्षकों की बहाली हुई है, वहां अभ्यर्थियों की सूची को शॉर्ट लिस्ट किया गया। ऐसा कभी नहीं हुआ कि जितने भी छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया, वे सभी मौखिक परीक्षा में शामिल हुए हो। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में इस नियुक्ति के पूर्व जितनी बार नियुक्ति हुई है, उसमें अभ्यर्थियों की सूची को शार्ट लिस्ट कर नियुक्ति की गई है।
इतिहास में 15 सीट पर बहाली निकाल कर 12 का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि उन्होंने रकम अदा की। अन्य विषय में भी जितनी रिक्तियां निकाली गईं, उससे कम लोगों का चयन किया गया।
डॉ. कृष्ण बिहारी गर्ग ने कहा कि इतना ही नहीं मौखिक परीक्षा में भी पेंसिल से नंबर दिए गए, परीक्षक से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराया गया, यह भी भ्रष्टाचार की प्रकाष्ठा है। एक्सपर्ट की लिखावट से वर्तमान में जो अंक सूची है, उसका मिलान करने पर धांधली प्रक्रिया साफ देखने को मिल जाएगी।
इन्होंने उठाई आवाज:
डॉ. प्रिया कुमारी, डॉ. प्रीति कुमारी, डॉ. अभिनंदन कुमार यादव, डॉ. शिवम कुमार, डॉ. निमिषा राज, डॉ. सुप्रिया कुमारी, डॉ. विकास कुमार, डॉ. कृष्ण मुरारी , डॉ. कुंदन कुमार पासवान सहित दर्जनों अभ्यर्थियों ने अतिथि शिक्षकों की बहाली में बड़े पैमाने पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए फिर से बहाली प्रक्रिया शुरू करने की मांग की।
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