Bihar News: मृत शिक्षक ने 13 माह तक उठाया वेतन, सोता रहा शिक्षा विभाग; अब 4 बड़े अफसरों पर हुआ एक्शन
Bihar Education News बिहार के सहरसा जिले में महिषी प्रखंड में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक मृत शिक्षक को उनकी मृत्यु के बाद भी 13 महीने तक वेतन मिलता रहा। शिक्षा विभाग की इस लापरवाही से सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। मामले की जांच शुरू हो गई है और संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।

संवाद सूत्र, महिषी (सहरसा)। महिषी प्रखंड क्षेत्र के मध्य विद्यालय डुमरी के मृत शिक्षक स्व. राम प्रसाद रौशन को मृत्यु के बाद भी 13 महीनों तक वेतन मिलता रहा।
शिक्षा विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। इस बीच चार पदाधिकारियों ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के पद पर कार्य किया।
अंतत: गत 13 मार्च को तत्कालीन प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सविता कुमारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी।
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इस मामले में 27 मार्च को पूर्व में कार्यरत बीईओ सह तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा एवं साक्षरता वर्तमान में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सारण रजनीश कुमार झा, सत्यप्रकाश सिंह सेवानिवृत्त प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी महिषी, विद्यानंद तिवारी सेवानिवृत्त प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी महिषी एवं संजय कुमार सेवानिवृत्त प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी महिषी से साक्ष्य सहित स्पष्टीकरण मांगा है।
शिक्षा विभाग इस कार्यवाही को अति गोपनीय तरीके से निपटाने की तैयारी में है। हालांकि मामला गोपनीय नहीं रह सका।
लापरवाही पर उठ रहे सवाल
शिक्षा विभाग से जुड़े कई सेवानिवृत्त शिक्षक जो आज भी विभाग के क्रियाकलापों पर पैनी नजर रखते हैं, वे इस लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं कि अगर यही गलती किसी शिक्षक या छोटे कर्मियों से होती तो भी अधिकारी इसी प्रकार मौन रहते।
इतनी बड़ी चूक के प्रकाश में आने के बाद भी मामले की जिस प्रकार से जांच होनी चाहिए वह नहीं हो रही है। इसके पीछे अधिकारियों की मंशा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
मध्य विद्यालय डुमारी में कार्यरत तेलवा निवासी शिक्षक राम प्रसाद रौशन की 22 दिसंबर 2023 को सुबह नौ बजे के करीब हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।
घटना के अगले दिन 23 दिसंबर को विद्यालय के प्रधानाध्यापक अजित राय ने प्रखंड शिक्षा कार्यालय को इसकी लिखित सूचना दे दी थी। बावजूद इसके एक दो नहीं बल्कि पूरे 13 माह तक मृत शिक्षक को वेतन भेजा जाता रहा।
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