भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय का क्रांतिकारी कदम: हाईटेक लैब में भविष्य के बीजों का विकास, अब मौसम से नहीं डरेंगे किसान
भागलपुर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने किसानों को मौसम की मार से बचाने के लिए विशेष बीज विकसित किए हैं। प्लांट फेनोटाइपिक प्रयोगशाला में उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे और एआई का उपयोग करके पौधों की पत्तियों को स्कैन किया जाता है जिससे उनकी सेहत का डिजिटल रिकॉर्ड बनता है। यह तकनीक बिहार की मिट्टी के लिए सर्वोत्तम किस्मों का चयन करने में मदद करेगी।

ललन तिवारी, जागरण, भागलपुर। बिहार के किसान अब मौसम की चुनौतियों के सामने असहाय नहीं रहेंगे। चाहे सूखा हो या बाढ़, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर की हाईटेक प्रयोगशाला में ऐसे बीज विकसित किए जा रहे हैं जो हर परिस्थिति में किसान के साथ खड़े रहेंगे।
जलवायु परिवर्तन के कारण खेती को हो रहे संकट के बीच, बीएयू के वैज्ञानिकों ने नई उम्मीद की किरण जलाई है। हाल ही में स्थापित प्लांट फेनोटाइपिक प्रयोगशाला पूर्वी भारत के लिए एक अनूठी सुविधा है।
इस लैब में हाई-रिजोल्यूशन कैमरे और 10 मल्टी-चैनल एलईडी सिस्टम का उपयोग कर पौधों की पत्तियों को रीयल-टाइम में स्कैन किया जाता है, जिससे उनकी सेहत का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और उन्नत सेंसरों की मदद से पौधों की सूक्ष्म प्रतिक्रियाओं को तुरंत पहचाना जाता है, जिससे वैज्ञानिक यह जान पाते हैं कि कौन-सी किस्म कठिन परिस्थितियों में भी मजबूत बनी रहती है।
इस तकनीक से किसानों को सीधा लाभ होगा। फिजियोलाजी विभाग की विज्ञानी डॉ. सरीता नहाकपम ने बताया कि यह तकनीक न केवल पौधों की स्वास्थ्य समस्याओं का त्वरित समाधान करेगी, बल्कि बिहार की मिट्टी के लिए सर्वोत्तम किस्मों का चयन भी संभव बनाएगी।
इससे किसान विज्ञान की ताकत पर निर्भर होकर खेती कर सकेंगे, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और गांवों में आत्मनिर्भरता आएगी।
यह प्रयोगशाला विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और किसानों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान का सेतु बनेगी। बीएयू का यह प्रयास कृषि नवाचार में देश को नई दिशा देगा। - डॉ. डी. आर. सिंह, कुलपति, बीएयू सबौर
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