7 दिन तक पड़ी हुई सड़ती लाश ने किया व्यवस्था का पोस्टमार्टम
सदर अस्पताल के मुर्दाघर में सात दिनों तक लाश सड़ती रही, लेकिन दोनों महकमों के अधिकारी चैन की नींद सोते रहे। बुधवार को एसडीओ के निर्देश पर शव का अंतिम संस्कार किया गया।
अररिया [आमोद शर्मा]। पुलिस और अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता का पैमाना मानसिक रूप से बीमार एक महिला की लाश ने तय कर दिया। सदर अस्पताल के मुर्दाघर में सात दिनों तक लाश सड़ती रही, लेकिन दोनों महकमों के अधिकारी चैन की नींद सोते रहे। आखिरकार, मीडिया की सक्रियता के बाद बुधवार को एसडीओ के निर्देश पर शव का अंतिम संस्कार किया गया।
जानकारी के अनुसार 12 दिनों पूर्व पलासी पुलिस ने एक महिला को गंभीर अवस्था में इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया था। महिला मानसिक रूप से बीमार थी। इलाज के दौरान ही महिला की चार दिनों के बाद मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन ने इसकी सूचना पुलिस को दी।
अररिया पुलिस ने पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी करवाकर शव पोस्टमार्टम हाउस में ही रखवा दिया। निर्धारित समय के अंदर शव की शिनाख्त करने कोई नहीं पहुंचा। इसके बाद पुलिस ने फंड की कमी का रोना रोते हुए शव के अंतिम संस्कार से पल्ला झाड़ लिया।
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मीडिया की सक्रियता के बाद पुलिस ने अनुमंडल पदाधिकारी को मामले की सूचना दी। उनके निर्देश पर नगर परिषद ने कबीर अंत्येष्टी योजना के तहत पुलिस को तीन हजार रुपये उपलब्ध कराए। इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया जा सका।
सदर थानाध्यक्ष रमेश कांत चौधरी के अनुसार एक वर्ष के अंदर खर्च के नाम पर पुलिस को 25 हजार की राशि उपलब्ध होती है। 2016 से अब तक लावारिस शवों की अंत्येष्टि में करीब एक लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। अधिकांश राशि पुलिस को निजी तौर पर वहन करनी पड़ी है। उन्होंने बताया कि प्रावधान के अनुसार लावारिस शवों की अंत्येष्टि नगर प्रशासन की जिम्मेदारी है।
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