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    वर्चस्व की लड़ाई, खून से लाल होने लगी धरती

    By Ravi RanjanEdited By:
    Updated: Thu, 16 Mar 2017 11:08 PM (IST)

    मगध की धरती पर एक बार फिर से वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है। भाकपा माओवादी और टीपीसी के बीच खूनी खेल शुरू हो गया है।

    वर्चस्व की लड़ाई, खून से लाल होने लगी धरती

    गया [अनवर हुसैन 'सोनी']। नक्सली संगठन भाकपा माओवादी एवं टीएसपीसी (तृतीय सम्मेलन प्रस्तुती कमेटी) के बीच खूनी खेल का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है। सोमवार की रात्रि इमामगंज थाना क्षेत्र के पसेवा गांव से टीएसपीसी के हार्डकोर कौशल पासवान को माओवादी का हथियारबंद दस्ता उठाकर नदी में ले जाकर एके 47 हथियार से गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया।

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    बताया जाता है कि कौशल टीएसपीसी का हार्डकोर सदस्य था। नक्सली सूत्रो की माने तो कौशल की हत्या के बाद एक बार फिर भाकपा माओवादी और टीएसपीसी के बीच वर्चस्व को लेकर खूनी खेल शुरू होने की संभावना बढ़ गई है।

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    गौरतलब हो कि तीन वर्ष पूर्व दोनो संगठनो ने एक-दूसरे को अपने अपने शक्ति का अहसास करा दिया था। जिसके बाद दोनों संगठनों के बीच खूनी खेल पर विराम लग गया था। चार वर्षो के दौरान दोनो संगठनो के बीच हुए खूनी खेल पर एक नजर किया जाये तो टीएसपीसी के हथियारबंद दस्ते ने भाकपा माओवादी के बड़े ओहदेदार ललेश यादव उर्फ छोटे साहेब सहित 10 माओवादियों की हत्या तब कर दिया था जब माओवादीयों का हथियारबंद दस्ता लकड़बंधा होते हुए लातेहार की ओर जा रहा था। तभी टीएसपीसी के लड़ाकू दस्ते ने रात्रि के समय माओवादी दस्ते पर हमला कर दस समर्थकों को मौत कि नींद सुला दिया तथा उनका हथियार लूट लिया था। एक साथ दस समर्थकों की हत्या कर टीएसपीसी के द्वारा माओवादी संगठन को पहुंचाई गयी अब तक की यह यह सबसे बड़ी क्षति मानी जाती है।

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    टीएसपीसी के द्वारा इतना बड़ा नुकसान पहुंचाया जायेगा। इस बात का अहसास कभी भी माओवादियों को नही हुआ होगा। लेकिन घटना के बाद टीएसपीसी के शक्ति का अहसास संगठन को जरूर हो गया था। माओवादी संगठन अपने दस साथियों के मौत का बदला लेने के लिए टीएसपीसी दस्ते को मुहंतोड़ जवाब देने के लिए तैयारी में था। इस बीच 9 अगस्त 14 को माओवादी दस्ते ने विश्रामपुर कोडिय़ा में टीपीसी के 15 समर्थकों की हत्या कर अपने साथियों का बदला लिया।

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    इस घटना के बाद दोनो संगठनों के बीच खूनी खेल पर विराम लग गया था। कुछ दिन के विराम के बाद एक बार फिर दोनों संगठन एक-दूसरे के खून के प्यासे हुए और वर्ष 16 में माओवादियों ने चतरा के करीब एक जंगल में टीपीसी समर्थक बताकर रविन्द्र गंझू की हत्या कर दिया। माओवादियों के इस हरकत से नाराज टीएसपीसी के समर्थको ने उसी वर्ष डुमरिया के हुरमेठ गांव के संजय यादव की हत्या कर दिया है। संजय यादव की हत्या के बाद टीएसपीसी ने एक पर्चा छोड़ा था। इधर सोमवार की रात्रि माओवादियो द्वारा टीएसपीसी हार्डकोर कौशल पासवान को एके 47 से छलनी करने के बाद एक बार फिर दोनो संगठनो में खूनी खेल होने की संभावना बढ़ गयी है।

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