गण जागा तो बदल गया तंत्र, बिहार का यह सरकारी स्कूल आज सबके लिए बना प्रेरणा; इस तरह से चमकी किस्मत
गण से ही तंत्र है और वह उसे किस दिशा में ले जा रहा इस पर निर्भर करता है गणतंत्र का स्वरूप कैसा होगा। शिक्षा का उजियारा सबसे महत्वपूर्ण है जो इसे संबल प्रदान करता है। एक ऐसा ही उदाहरण है बेगूसराय के बीहट मध्य विद्यालय का। यह बीहट नगर परिषद में है। एक प्रयास से स्कूल की तस्वीर बदल गई।

सरोज कुमार, बेगूसराय। बेगूसराय के बीहट मध्य विद्यालय की कहानी हम बताने जा रहे हैं। यह बीहट नगर परिषद में है। विद्यालय दुर्दशा को प्राप्त हो चुका था, पर इसे एक शिक्षक का समर्पण ही कह लें कि आज वह औरों के लिए प्रेरणास्रोत है।
परिवर्तन की यह यात्रा प्रधानाध्यापक रंजन कुमार के नेतृत्व में मई 2016 से शुरू हुई। यह अनवरत जारी है। उपलब्धि ऐसी कि उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं।
विद्यालय में दूसरी से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। दूसरी को छोड़ अन्य में दो-दो सेक्शन में बच्चे नामांकित हैं। आठवीं के बाद बच्चों का नामांकन पड़ोस के हाई स्कूलों में होता है।
स्वतंत्रता से पहले स्थापित हुआ था विद्यालय
यह विद्यालय देश को स्वतंत्रता मिलने से पूर्व वर्ष 1935 में स्थापित हुआ था। बीहट के शिक्षा प्रेमियों ने अपनी जमीन, धन और श्रम से विद्यालय की नींव रखी।
स्थानीय समिति के संचालन में चार दशक तक यह विद्यालय, आसपास के दर्जनों गांवों के बीच शिक्षा का केंद्र बना रहा।
1972 में सरकारीकरण हुआ तो और आशा जगी। शुरुआती दौर में ऐसा हुआ भी, पर वर्ष 2000 के बाद तो इसका अवसान ही होने लगा।
सप्ताहांत कार्यक्रम में मौजूद शिक्षक एवं बच्चे : जागरण
एक नई यात्रा पर चल पड़ा विद्यालय
जब आशा हर ओर से टूट रही थी तो बेगूसराय जिला के मटिहानी प्रखंड अंतर्गत महेंद्रपुर के रंजन कुमार ने 2016 में प्रधानाध्यापक के रूप में यहां का कार्यभार संभाला।
सबसे बड़ी चुनौती थी बदहाल हो चुकी व्यवस्था को पटरी पर लाना। विद्यालय के भवन सहित अन्य संसाधन लगभग 80 प्रतिशत तक जर्जर अवस्था में पहुंच चुके थे।
शौचालय और कक्षाओं की हालत ऐसी कि उपयोग लायक नहीं रह गए थे। छात्र-शिक्षक का परस्पर संवाद टूट चुका था और आम जन का विद्यालय से नाता लगभग खत्म हो गया था।
इस निराशाजनक स्थिति में रंजन कुमार ने सबके साथ संवाद, सहभागिता और समर्पण की रणनीति अपनाई। उनका मानना था सिर्फ सामुदायिक सहभागिता और शिक्षकों की प्रतिबद्धता से ही विद्यालय को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
शिक्षक, छात्र एवं आम जन ने मिलकर विद्यालय के पुनरुद्धार का बीड़ा उठाया। सबके बीच संवाद शुरू हुआ। विकास योजनाओं में सभी को दायित्व सौंपा गया।
सहयोग के लिए बढ़ने लगे हाथ
वर्ष 2016 से 2023 तक प्रशिक्षित युवाओं और बीएड प्रशिक्षुओं ने श्रमदान दिया। आर्थिक अनुदान के लिए प्रधानाध्यापक ने स्वयं पहल की। अपने वेतन का पैसा भी दिया।
शिक्षकों और अभिभावकों ने विगत आठ वर्षों में 20 लाख रुपये से अधिक का आर्थिक सहयोग दिया। इससे शौचालय निर्माण, पेयजल, खेल-कूद, मल्टीमीडिया क्लास, कंप्यूटर प्रशिक्षण एवं अन्य सुविधाएं जुटाई गईं।
नए उपकरण, बेंच-डेस्क आदि की उपलब्धता एवं खेल और सांस्कृतिक स्पर्धाओं के लिए विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने में आइओसीएल, एनटीपीसी, किलकारी बिहार बाल भवन आदि संस्थाओं से भी 40 लाख रुपये से अधिक का सहयोग मिला।
रंजन कुमार - प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय, बीहट, बेगूसराय
सरकार के स्तर पर भी सहायता की गई। आधुनिक शौचालय, पंखे, बिजली, कंप्यूटर और स्वच्छ पेयजल की सुविधा, खेल-कूद, कला और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए विशेष व्यवस्था की गई।
शैक्षिक नवाचार में ई-पत्रिका "कलरव लर्निंग जर्नल" एवं हस्तलिखित बाल अखबार "टुनमुन" का नियमित प्रकाशन जारी है। प्रधानाध्यापक बताते हैं कि वर्ष 2016 में विद्यालय में छात्र छात्राओं की संख्या 577 थी।
18 मई 2016 को असेंबली में मात्र 118 छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। अभी नामांकित बच्चों की संख्या 837 है। असेंबली में प्रतिदिन 650-700 छात्र-छात्राओं की उपस्थिति होती है। उस समय प्राइमरी में 35 छात्र थे। अब प्राइमरी में 350 बच्चे हैं। अभी 13 शिक्षक हैं।
विद्यालय की उपलब्धियां
- बिहार उत्कृष्ट किलकारी बालकेंद्र विद्यालय पुरस्कार
- डीएम बेगूसराय द्वारा श्रेष्ठ विद्यालय प्रबंधन पुरस्कार
- बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार (दो बार)
- नेशनल चिल्ड्रन क्लाइमेट कान्फ्रेंस बेस्ट प्रेजेंटर अवार्ड (वैभव और राधा)
- नेशनल बाल बैडमिंटन चैंपियनशिप (ब्रांज मेडल)
- राष्ट्रीय मेधा छात्रवृत्ति में अनुराग का चयन
- वालीबाल, टेबल टेनिस, सेपक टकरा एवं कुश्ती में राष्ट्रीय स्तर पर विद्यार्थियों का चयन
- राष्ट्रीय विद्यालय नेतृत्व केंद्र के नेशनल कान्फ्रेंस में भागीदारी (दो बार)
- शिक्षा विभाग, बिहार सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ सम्मान राजकीय शिक्षक पुरस्कार
- एससीईआरटी के स्कूल लीडरशिप एकेडमी में कोर ग्रुप के सदस्य
- विद्यालय से बच्चों का ड्रापआउट दर लगभग शून्य
कहते हैं छात्र-छात्राएं
मध्य विद्यालय बीहट में जब 2023 में जब सातवीं क्लास में था, तब मुझे पता चला कि बाल बैडमिंटन एक खेल होता है। इसे खेलना शुरू किया। विकास सर जैसे राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक की व्यवस्था थी। उन्हीं से अच्छे से सीख पाए। मुझे इसी वर्ष राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जाने का मौका मिला, जहां बिहार की ओर से खेल कर टीम के लिए कांस्य पदक जीता।- अंशु कुमार, छात्र, राष्ट्रीय सब जूनियर बाल बैडमिंटन खिलाड़ी
मध्य विद्यालय बीहट में विद्यालय स्तर पर खेल, डांस, पेंटिंग एवं पढ़ाई में अव्वल रहकर चिल्ड्रन क्लाइमेट कान्फ्रेंस दिल्ली की प्रेजेंटर से लेकर बाल सभा, दिल्ली और आइआइटी बांबे तक का सफर तय करने का अवसर मिला। यह अवसर मेरे लिए किसी सरकारी स्कूल से उपलब्ध होना सपने से कम नहीं है।- शुभांगी, छात्रा
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