BPSC Teacher Posting: बीपीएससी ने नवनियुक्त शिक्षकों की पोस्टिंग में की बड़ी गलती? स्कूल आवंटन में उजागर हुई कई खामियां
BPSC शिक्षकों की पोस्टिंग के लिए रेंडमाइजेशन का सहारा ले रहा है। हालांकि अब ऐसा लग रहा है कि पोस्टिंग में बड़ी गलती हुई है। रेंडमाइजेशन से हुए स्कूल आवंटन में कई खामियां उजागर हो रही हैं। कुछ स्कूलों में जहां शिक्षकों की संख्या बच्चों के अनुपात दोगुनी से भी ज्यादा कर दी गई है तो वहीं कुछ स्कूलों में डिमांड के बाद भी एक भी शिक्षक नहीं भेजे गए।

जागरण संवाददाता, बेगूसराय। BPSC Teacher Posting बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद स्कूल आवंटन भी कर दिया गया है। रेंडमाइजेशन से हुए स्कूल आवंटन में कई खामियां उजागर हो रही हैं। कुछ स्कूलों में जहां शिक्षकों की संख्या बच्चों के अनुपात दोगुनी से भी ज्यादा कर दी गई है तो वहीं कुछ स्कूलों में डिमांड के बाद भी एक भी शिक्षक नहीं भेजे गए। जबकि वहां वर्ग कक्षों की संख्या काफी अधिक है और शिक्षकों की कमी के कारण दो-दो वर्ग के बच्चों को एक वर्ग में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, जब बीपीएससी (Bihar Public Service Commission) से शिक्षक बहाली की प्रक्रिया शुरू होने वाली थी तब हरेक जिला से रिक्तियां मांगी गई थी। बेगूसराय से उस समय प्राथमिक के लिए 1900 रिक्ति विभाग को भेजी गई थी। विभाग ने जिल् की रिक्ति बढ़ाकर 2478 कर दी। इसका कारण था कि हाल के वर्षों में कई शिक्षक अवकाश प्राप्त होने वाले थे। इसको ध्यान में रखते हुए संख्या बढ़ाई गई थी।
इसके बाद जब परीक्षा हुई और काउंसलिंग की प्रक्रिया आरंभ हुई तो बेगूसराय को प्राथमिक में 2963 शिक्षकों की काउंसलिंग लिस्ट भेजी गई। काउंसलिंग में यह संख्या बढ़ती चली गई और जिला में प्राथमिक और माध्यमिक के लिए 4436 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जिला के प्रभारी मंत्री के हाथों गांधी स्टेडियम में दिया गया।
अब उतने ही शिक्षकों को रेंडमाइजेशन से स्कूल आवंटित किया गया है। इसमें 1359 शिक्षक माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक के हैं। वहीं, एक दो दिनों में सभी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रशिक्षण स्थल पर उपलब्ध करा दिया जाएगा। उसके बाद उन्हें अपने विद्यालय में योगदान करना है।
नगर निगम और नगर परिषद के स्कूलों को रखा गया वंचित
ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में जहां जबरदस्त तरीके से बीपीएससी शिक्षक भेजे गए हैं तो वहीं नगर के स्कूलों को इससे वंचित रखा गया है। बेगूसराय जिला के 18 प्रखंडों में से बेगूसराय सदर, वीरपुर, बरौनी, तेघड़ा और मटिहानी के अधिकतर स्कूलों को शहरी क्षेत्र का स्कूल माना गया है। यहां के स्कूलों में भरपूर शिक्षक आए हैं। जबकि नगर निगम बेगूसराय सहित नगर परिषद बीहट, नगर परिषद तेघड़ा, नगर परिषद बरौनी, नगर परिषद बखरी और नगर परिषद बलिया के स्कूलों को पूर्व में ही फिल्टर करके सूची से अलग कर दिया गया था।
शहर में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए आना चाहते हैं शिक्षक
नगर के स्कूलों में पोस्टिंग की चाहत रखने वाले अधिकतर शिक्षक सिर्फ अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां आना चाहते हैं। इसके कारण शहरी क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति देखकर यह वातावरण तैयार किया जाता है कि सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा नहीं होती। शहर के बच्चे अधिकतर निजी स्कूलों का रुख कर लेते हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल की क्षमता से अधिक बच्चे स्कूल आते हैं, जहां अधिक शिक्षकों की हमेशा जरूरत रहती है। इसलिए इस बार बीपीएससी से सबसे अधिक सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों को भेजा गया है।
जहां रिक्तियां नहीं वहां भी भेजे गए कई शिक्षक
जिले के कई ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं जहां एक भी रिक्ति नहीं थी, फिर भी वहां पर कई-कई शिक्षकों को भेजा गया है। मुख्य रूप से प्राथमिक स्कूलों में छह शिक्षकों की आवश्यकता होती है, परंतु कुछ स्कूलों में दस से अधिक शिक्षकों को तैनात कर दिया गया है।
सदर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय किल्ली पहाड़चक में पूर्व से छह शिक्षक थे, परंतु, वहां पर सात और नए बीपीएससी शिक्षकों को तैनात किया गया है। इसी प्रकार वीरपुर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय बहवलपुर में 102 बच्चों के लिए पूर्व से पांच शिक्षक कार्यरत थे, फिर भी यहां पर तीन और नए शिक्षक भेजे गए। इसी प्रखंड के जिंदपुर में 129 बच्चों के लिए पूर्व से छह शिक्षक थे, यहां पर भी दो नए शिक्षक आए, नवसृजित प्राथमिक विद्यालय बड़हारा लंकाटोल में 103 बच्चों के लिए पूर्व से छह शिक्षक थे, यहां पर तीन नए शिक्षक भेजे गए।
नहीं मिले एक भी शिक्षक
मध्य विद्यालय बीहट के प्रधानाध्यापक रंजन कुमार द्वारा शिक्षकों की कमी को देखते हुए लगातार विभाग से शिक्षकों की मांग की जा रही है। इसके लिए हेडमास्टर ने जिला से लेकर अपर मुख्य सचिव तक को ई-मेल भेजा था, परंतु उसके बाद भी यहां पर एक भी शिक्षक नहीं भेजे गए। एचएम बताते हैं कि बच्चों के अनुपात यहां पर 17 शिक्षक हैं। उसमें एक एचएम मतलब 16 शिक्षक वर्ग के लिए हैं। उसमें चार शिक्षक गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। उनसे निरंतर वर्ग संचालित नहीं कराया जा सकता। मगर विभाग तो देख रहा है कि यहां पर 17 शिक्षक हैं। इसलिए यहां शिक्षक नहीं भेजे गए।
उन्होंने बताया कि स्कूल के पास काफी वर्ग कक्ष खाली पड़े रह जाते हैं। अगर नए शिक्षकों को यहां भेजा जाता तो बच्चों के ग्रुप को अलग-अलग बैठाकर पढ़ाने की और बेहतर व्यवस्था की जा सकती है। उनका कहना है कि हेडमास्टरों से आवश्यकता डिमांड लेटर प्राप्त कर अगर वहां शिक्षक भेजे जाते हैं तो यह शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने में सहायक होगा।
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