Begusarai News: बेगूसराय के कावर झील पक्षी विहार में होने जा रहा बड़ा बदलाव; बनेगा टॉप क्लास टूरिस्ट प्लेस
रामसर साइट में शामिल मंझौल और बखरी अनुमंडल क्षेत्र के 15780 एकड़ भूमि में फैला कावर झील पक्षी विहार है। पिछले दिनों यहां मुख्यमंत्री का आगमन हुआ था। मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा से कावर झील पक्षी विहार के विकास का कार्य प्रारंभ हो गया है। झील परिक्षेत्र में इको पार्क बनाकर पर्यटक को आकर्षित किया जाएगा। इसको लेकर जिला प्रशासन और वन विभाग काफी एक्टिव है।

बलबंत चौधरी, छौड़ाही (बेगूसराय)। रामसर साइट में शामिल मंझौल और बखरी अनुमंडल क्षेत्र के 15780 एकड़ भूमि में फैला कावर झील पक्षी विहार है। झील के बड़े जल कुंड यथा कमलदह, महालय, कोचालय, धनफर, गुआबाड़ी, एकंबा श्रीपुर महाल, हरसाइन जल विहीन है।
झील क्षेत्र में फिलहाल पानी नहर के सीमित भाग में ही बचा है। 15 हजार से ज्यादा भूमि में खेती हो रही है। यहां साइबेरिया आदि अत्यधिक ठंड पड़ने वाले देशों से नवंबर से जनवरी तक कावर झील पक्षी विहार में अनुकूल वातावरण एवं पर्याप्त भोजन की अनुकूलता के कारण यहां डेरा डालते हैं।
पहले यहां 50 से ज्यादा प्रजाति की पक्षियां आती थीं। दर्जनों प्रजाति की मछलियां वनस्पति, पानी के अभाव में विलुप्त हो गई। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के आगमन उपरांत कावर झील के कायाकल्प के लिए मास्टर प्लान बनाया गया।
मास्टर प्लान को जिला प्रशासन द्वारा तेज गति से अमल में लाने की प्रक्रिया प्रारंभ करने से कावर में पानी आने, स्वादिष्ट मछलियों वनस्पतियों के बचने एवं पक्षियों के चहचहाहट से गूंजने की आस जगी है।
बन रहा मास्टर प्लान
मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा से कावर झील पक्षी विहार के विकास का कार्य प्रारंभ हो गया है। झील परिक्षेत्र में इको पार्क बनाकर पर्यटक को आकर्षित किया जाएगा। झील के मध्य में सिद्धपीठ माता जयमंगला के मंदिर होने से यहां आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
इसकी तैयारियां जोर-शोर से की जा रही है। इसके लिए बेगूसराय डीएम तुषार सिंगला ने इस संबंध में बिहार स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी को पत्राचार किया है।
जिला प्रशासन और वन विभाग काफी एक्टिव है। कावर झील के वनक्षेत्र, वाच टावर एवं स्थानीय नाविकों द्वारा नौका विहार वाले एरिया को पर्यटन के लिए विकसित किए जाने की रुपरेखा बनी है। वहीं झील के सूखे क्षेत्र को बूढ़ी गंडक नदी से नहर बनाकर कावर झील तक पानी लाकर झील को पानी से भर दिया जाएगा।
जल संसाधन विभाग और वन विभाग की ओर से कावर परिक्षेत्र के 362 एकड़ में 45 करोड़ की लागत से झील का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा। इसका प्रस्तुतिकरण प्रगति यात्रा के दौरान मंझौल में मुख्यमंत्री के समक्ष भी किया गया था।
फिलहाल झील के सूखे हुए क्षेत्र में पानी पहुंचाया जाएगा। इसके बाद यहां और भी तरह के कई योजनाओं से इलाके को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
जल्द ही दिखेगा बदलाव
इको पार्क की संभावना को लेकर वन विभाग के अधिकारियों से बातचीत में मुख्य रूप से जो बातें सामने आई वह यह थी कि कावर झील में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इको पार्क का डीपीआर बनाने वाले कंसल्टेंसी ऑर्किटेक्ट को बुलाया गया है।
लुप्तप्राय वन्य जीव करते हैं निवास
पर्यावरण कार्यकर्ता राकेश कुमार सुमन बताते हैं कि कावर में 150 किस्म के पेड़ पौधे दो सौ से ज्यादा प्रजाति के पक्षी जिसमें 65 प्रकार के विदेशी प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं, यहां आकर डेरा डालते हैं। यहां लगभग 50 प्रजातियों की मछलियां भी पाई जाती हैं।
इसके अलावा आर्थोपोडस, मुलस आदि 37 प्रजाति के कीड़े, वनस्पतियां, जैविक प्रजातियां पाई जाती है। झील फिनलैंड साइबेरिया सोवियत रूस आदि अत्यंत ठंडे प्रदेश से आने वाले लालसर, दिघौंच, डूंगरी, सराय, कारन, अधंखी, कोईरा, बोधन आदि विदेशी प्रजातियों के सैकड़ों झुंड के दिसंबर तक दिख जाएंगे।
यहां पांच गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियां निवास करती हैं। इसमें लाल सिर वाले गिद्ध, श्वेत प्रदर गिद्ध शामिल हैं।
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