Updated: Sat, 15 Feb 2025 07:27 PM (IST)
बेगूसराय के गोविंदपुर तीन पंचायत का मुरलीटोल आंगनबाड़ी केंद्र इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इस आंगनबाड़ी केंद्र की दीवारों पर हिंदी वर्णमाला के अक्षर शरीर के अंगों के नाम एवं अन्य पाठ्य सामग्री अंकित किए गए हैं जिससे बच्चों को पढ़ने में काफी आसानी हो रही है। सेविका रेणु कुमारी ने बताया कि इन चीजों से बच्चों को पढ़ाई में आसानी हो रही है।
प्रभात कुमार झा, जागरण संवाददाता, बछवाड़ा (बेगूसराय)। नौनिहालों की प्रारंभिक पाठशाला के रूप में वर्षों से अपनी पहचान बरकरार रखने वाले आंगनबाड़ी केंद्र भी अब समय के साथ अपनी पहचान बना रहे हैं।
बच्चों की पढ़ाई के लिए वर्ग कक्ष से लेकर अध्ययन केंद्र की दीवारें सुसज्जित हो रही हैं। यहां की दीवारों पर हिंदी एवं अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर बच्चों के लिए मनोहर पोथी बनी है। प्रारंभिक कक्षा के बच्चों के लिए सचित्र वर्णमाला आंगनबाड़ी केंद्र के आकर्षण का केंद्र है।
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गोविंदपुर- तीन पंचायत के मुरलीटोल आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 42 में दीवारों पर हिन्दी वर्णमाला के अक्षर, शरीर के अंगों के नाम, सप्ताह के नाम, सब्जी के नाम, एक से सौ तक पहाड़ा एवं अन्य पाठ्य सामग्री नौनिहालों के लिए मनोहर पोथी साबित हो रही है।
आकर्षण का केंद्र बनी आंगनबाड़ी की दीवार
आंगनबाड़ी केंद्र के अंदर की दीवार पर ऐसे नजारा देखते बन रहा है। आंगनबाड़ी सेविका रेणु कुमारी ने बताया कि केंद्र में नामांकित छोटे-छोटे बच्चों के लिए जरूरी पर्याप्त शिक्षण सामग्रियां आंगनबाड़ी केंद्र की दीवारों में आकर्षक तरीके से अंकित कराई गई हैं।
वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर से एक-एक शब्द एवं उसके चित्र अंकित हैं। इसे बच्चे रोज देख-देख कर सीख रहे हैं। इन चीजों से बच्चों की पढ़ाई आसान हो रही है। साथ ही हिंदी, अंग्रेजी, गणित एवं विज्ञान विषय में बच्चों में प्रारंभिक समझ विकसित हो रहा है।
जगह-जगह महापुरुषों के उपदेश एवं प्रेरणास्पद बातें बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक साबित हो रही है। आंगनबाड़ी सेविका ने बताया कि इन चीजों से आंगनबाड़ी केंद्र में शैक्षणिक माहौल बनाने में भी मदद मिल रही है।
खेल के जरिए कराई जाती है पढ़ाई
शिक्षा में नवाचार का यह बेहतरीन उदाहरण है। आज के हाईटेक जमाने में विभिन्न तरह के लर्निंग ऐप तथा गतिविधियों पर आधारित शिक्षण व्यवस्था से खेल-खेल में पढ़ाई बच्चों के बीच रोचक बन गई है।
बच्चे रोज केंद्र में आना पसंद करने लगे हैं। सेविका रेणु कुमारी कहती हैं कि कहानी, कविता एवं खेल के जरिए शिक्षण कार्य कराए जाने से कक्षा उबाऊ नहीं होती है।
केंद्र की दीवारों में अंकित शिक्षण सामग्रियां बच्चों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है। खेल-खेल में बच्चे दीवारों पर वर्णित चित्र को देखकर बहुत कुछ सीख रहे हैं।
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