Banka News: बांका के इस बाजार में गरजा बुलडोजर, दहाड़ मारकर रोती रहीं महिलाएं; डटे रहे अधिकारी
पटना हाईकोर्ट के आदेश पर धोरैया बाजार में अतिक्रमण हटाया गया। एसडीएम अविनाश कुमार और एसडीपीओ अर्चना कुमारी के नेतृत्व में पीडब्ल्यूडी की जमीन पर बने मकानों और झोपड़ियों को तोड़ा गया। इस कार्रवाई से कई लोगों के आवास छिन गए। इस दौरान बाजार में लोगों की रोजी-रोटी को लेकर चर्चाओं का दौर जारी रहा। वहीं न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए प्रशासन ने बाजार को अतिक्रमण मुक्त कराया।

संवाद सूत्र, धोरैया (बांका)। धोरैया बाजार में पीडब्लूडी विभाग के अतिक्रमित जमीन को न्यायालय के आदेश पर एसडीएम अविनाश कुमार एवं बौंसी एसडीपीओ अर्चना कुमारी के नेतृत्व में अतिक्रमण मुक्त कराया गया। शुक्रवार को दिन भर कार्रवाई चलती रही। इस दौरान सरकारी जमीन पर बने पक्के मकान एवं झोपड़ी को जेसीबी से तोड़कर हटाया गया।
शुरुआत गंगदौरी मोड़ से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सेवानिवृत्त चतुर्थवर्गीय कर्मचारी प्रेम कुमार मंडल के घर से की गई, दो मंजिला भवन को टूटते देख बाजार के दर्जनों लोगों ने अपनी झोपड़ी एवं घरों को स्वतः तोड़ने का काम शुरू कर दिया।
छावनी में तब्दील हुआ बाजार
अतिक्रमण हटाने के दौरान धोरैया, धनकुंड, पंजवारा, रजौन आदि थाने की पुलिस से बाजार दिनभर पुलिस छावनी में तब्दील रही। इधर,आशियाने को टूटते देख महिलाओं के आंखों से आंसू छलक पड़े। प्रशासन से लाख आरजू विनती के बाद भी किसी पर रहम नहीं किया गया।
कोर्ट के आदेश पर एक्शन
उन्हें कोर्ट का आदेश बताते हुए सरकारी जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराया गया। एसडीएम ने बताया कि गंगदौरी मोड़ से लेकर मिर्चनी नदी पुल तक सड़क के दोनों अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया चल रही है।
इस मौके पर प्रभारी अंचलाधिकारी काजल कुमारी, प्रशिक्षु बीडीओ रश्मि भारती, पुलिस इंस्पेक्टर रंजीत कुमार,थानाध्यक्ष अमित कुमार, धनकुंड के छोटू कुमार,पंजवारा के मनीष कुमार, बीडीओ अरविंद कुमार,सीओ श्रीनिवास कुमार सिंह आदि मौजूद थे।
अतिक्रमण हटाने से चर्चाओं का बाजार रहा गर्म
बाजार की दुकानें टूटने से गरीबों का रोजगार बंद हो जाने की चर्चा दिन भर चलती रही। इसके लिए सभी लोगों ने याचिकाकर्ता को दोषी ठहराते हुए इसे दुर्भाग्य बताया। अतिक्रमवाद में सभी राजनीतिक दलों के मकान को भी क्षति होने की चर्चा छाई रही।
रोजी-रोटी को लेकर चिंता
अधिकांश छोटी छोटी दुकानों के टूटने से लोगों में रोजी-रोटी को लेकर निराशा छाई रही। सुरक्षा व्यवस्था इतनी चौकस थी कि प्रशासन के आगे किसी अतिक्रमणकारियों की नहीं चली। ज्ञात हो कि 165 से अधिक मकानों को तोड़ने का आदेश पटना उच्च न्यायालय ने दिया है।
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