बांका में बचे बस 5 'फाइटर दादा', नई पीढ़ी को अब कौन सुनाएगा अंग्रेजी हुकूमत का आंखों देखा हाल
आजादी की लड़ाई में अपना योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानी अब बहुत कम बचे हैं और आने वाली पीढ़ी को उनके अनुभवों से सीखने का मौका नहीं मिलेगा। डेढ़ दशक पूर्व तक बांका में दो सौ से अधिक स्वतंत्रता सेनानी थे जिनकी संख्या अब केवल 5 है। बाराहाट व शंभुगंज में दो-दो तथा बौंसी में केवल एक स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं।

राहुल कुमार, बांका। रविवार को पूरे देश में 76वां गणतंत्र दिवस मनाया गया। छात्र और बच्चों में इसको लेकर सबसे अधिक उत्साह देखने को मिला। गणतंत्र दिवस के बीत जाने के बाद भी वे स्कूल में बोलने वाले भाषण की पंक्तियों को रट रहे हैं या देशभक्ति गीतों की पंक्ति को लयबद्ध करने में जुटे हैं।
फाइटर दादा सुनाते थे कहानी
- मगर अब गणतंत्र दिवस को लेकर उत्साही नई पीढ़ी आजादी की लड़ाई का आंखों देखा हाल सुनने को तरस रही है। इसके पहले वाली युवा पीढ़ी को अंग्रेजों की आंखों देखी कहानी सुनाने के लिए गांव-गांव फाइटर दादा थे।
- हर गांव में स्वतंत्रता सेनानी और उनके सहयोगी मिल जाते थे। गांव में कई फाइटर दादा अपने जख्म दिखाकर भी बच्चों को अंग्रेजी क्रूरता से अवगत कराते थे।
- उनकी आंखों में अंग्रेजी क्रूरता और घटनाओं के कई चिह्न अब भी गांव के आसपास में बिखरे हुए थे। मगर अब आंखों की देखी रोंगटे खड़ी करनी वाली कहानी सुनाने वाले फाइटर दादा ही नहीं बचे हैं।
दो हजार से अधिक राजस्व गांव में अब केवल पांच स्वतंत्रता सेनानी जीवित बचे हुए हैं। ये लोग भी अब काफी उम्रदराज हो गए हैं, इनकी आयु 80 से 100 साल तक की हो गई है।
इसमें दो-तीन स्वतंत्रता सेनानी तो गंभीर रूप से बीमार चल रहे हैं। समाहरणालय के सामान्य शाखा की फाइलों के मुताबिक डेढ़ दशक पूर्व तक बांका में दो सौ से अधिक स्वतंत्रता सेनानी थे।
हर दो चार गांव में कोई ना कोई स्वतंत्रता सेनानी बचे हुए थे। इसमें कई काफी फिट थे। अब जिले में केवल पांच स्वतंत्रता सेनानी बचे हैं। इसमें शंभुगंज और बाराहाट में दो-दो और एक स्वतंत्रता सेनानी बौंसी में जीवित हैं।
निश्चित रूप से अब इस पीढ़ी के बच्चे आंखों देखे गदर की कहानी सुनने को तरस जाएंगे। हालांकि, सामान्य शाखा के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानी की तीन दर्जन से अधिक विधवा अभी पेंशन प्राप्त कर रही हैं।
प्रशासन ने सभी को किया सम्मानित
जिलाधिकारी के आदेश पर हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर प्रखंड प्रशासन इन स्वतंत्रता सेनानी के आवास पर पहुंचकर उनका सम्मान करता है। इस परंपरा को अबकी गणतंत्र दिवस पर भी जारी रखा गया है।
बीडीओ-सीओ के साथ प्रखंड कुछ अधिकारियों ने बौंसी, बाराहाट और शंभुगंज में इन सेनानी को सम्मानित किया। पहले इसमें कुछ सेनानी जिला और प्रखंड स्तर के झंडोत्तोलन में भी आमंत्रित किया जाता था। अब मंच खाली रह जाता है।
जीवित बचे पांच स्वतंत्रता सेनानी
1. बाबूलाल मंडल- पिलुआ, बौंसी
2. कपिलदेव सिंह-पौकरी शंभुगंज
3. चंद्रदेव शर्मा- पकड़िया शंभुगंज
4. परमेश्वर मंडल- पथरा, बाराहाट
5. कमलेश्वरी चौधरी-मिर्जापुर, बाराहाट
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