बिहार का एक गांव, जहां के बच्चे नहीं देख पाते है जवानी, जानिए
बिहार के औरंगाबाद जिले में एक ऐसा गांव है जहां के बच्चे जवानी नहीं देख पाते हैं। गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा इतनी अधिक है कि अधिकांश बच्चे विकलांग होते हैं।
औरंगाबाद [जेएनएन]। देव प्रखंड के तिताई बिगहा गांव के बच्चे जवानी नहीं देख पाते हैं। इस गांव के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण बच्चे जन्म लेते ही विकलांग हो जाते हैं। कोई बच्चा जन्म से तो कई बाद में विकलांग हुए हैं। इस गांव में विकलांग बच्चों की भरमार है। जो बच्चे अपने मां-बाप के बुढ़ापे की सहारा बनते आज वे उनके लिए बोझ बन गए हैं।
अपनी 12 वर्षीय विकलांग पुत्री सिंपी को खाट पर लिए बैठी सुमित्रा देवी कहती है कि जन्म के दो साल बाद तक पुत्री सही थी। दो साल बाद विकलांग बन गई। बच्ची है जिस कारण इसकी जिंदगी की चिंता सताती रहती है। अपने सात वर्षीय पोता मंटू कुमार को गोद में लिए बैठी रामबलिया कहती है कि जन्म लेते ही बाबू विकलांग हो गया। गरीब होते हुए भी इसके पिता सुदामा राम ने काफी पैसे खर्च किए परंतु विकलांगता ठीक नहीं हुआ।
विजय यादव अपने छह वर्षीय विकलांग पुत्र जयप्रकाश कुमार को दिखाते हुए कहा कि गांव में कई बच्चे विकलांग हैं परंतु इससे बचने के लिए सरकार अथवा अधिकारी स्तर से कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है। खाट पर लेटे अपने 30 वर्षीय पुत्र संजय राम को दिखाते हुए 80 वर्षीय चलितर राम कहते हैं कि बुढ़ापे का सहारा विकलांग बन गया। मुझे आज इसकी सेवा करनी पड़ रही है।
गांव की आंगनबाड़ी सेविका सोनामति देवी ने विकलांग बच्चों के बारे में बताते हुए बताया कि ललन राम का 16 वर्षीय पुत्र संजय कुमार, 21 वर्षीय पुत्र धनंजय कुमार, बसंत राम का 12 वर्षीय पुत्र रीति रौशन, 15 वर्षीय पुत्र रिपू कुमार, श्याम नारायण मेहता का पुत्र हरेंद्र कुमार, बलि राम का 10 वर्षीय पुत्र सुनील कुमार, अनिल मेहता का नौ वर्षीय पुत्र प्रवीण कुमार, यमुना राम का पुत्र सुदय कुमार, राजमोहन दास का पुत्र शिवम कुमार, उमेश राम की पुत्री वीणा कुमारी, पंकज राम का पुत्र रौशन कुमार समेत गांव के कई बच्चे विकलांगता का शिकार हैं।
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सेविका के अनुसार गांव के भूजल में आर्सेनिक पाए जाने के कारण यह हालात उत्पन्न हुआ है। गांव में शुद्ध पेयजल के लिए फ्लोराइडयुक्त टंकी से पानी की सप्लाई शुरू की गई है परंतु इसका हाल ठीक नहीं है। अधिकांश ग्रामीण पानी नहीं पीते हैं। कुछ नल खराब पड़े हैं। देव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी मो. समीद बताते हैं कि गांव के पानी में आर्सेनिक पाया गया है जिस कारण गांव के बच्चे विकलांग व अन्य रोगों की चपेट में आ गए हैं। इसकी उच्चस्तरीय जांच की जरूरत है।
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कहते हैं पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता
पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता गजेंद्र पासवान कहते हैं कि तिताई बिगहा गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई है। इसी कारण गांव के बच्चे विकलांगता का शिकार हैं। इससे निबटने के लिए गांव में सोलर युक्त मिनी जलापूर्ति योजना के तहत शुद्ध पेजयल की सप्लाई शुरू की गई है। कहा कि ग्रामीण आपूर्ति केंद्र का ही पानी सेवन करें तो स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
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