Aurangabad News: दाउदनगर में 9 करोड़ का लागत से जजों के लिए बन रहा आवास, जल्द पूरा होगा निर्माण
औरंगाबाद के दाउदनगर में न्यायाधीशों के लिए जी प्लस सिक्स आवासीय भवन का निर्माण कार्य जारी है। लगभग नौ करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस भवन में 20 से अधिक फ्लैट होंगे जिनमें तीन बेडरूम डाइनिंग हॉल और अन्य सुविधाएं होंगी। न्यायालय के विस्तार के साथ न्यायाधीशों के आवास की व्यवस्था का यह नियम है। उम्मीद है कि जल्द ही दाउदनगर औरंगाबाद के न्यायाधीशों को यह सुविधा मिलेगी।

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। लगभग 17 साल बाद अनुमंडल व्यवहार न्यायालय का विस्तार हो रहा है। न्यायाधीशों की संख्या बढ़ने वाली है और स्वाभाविक है कि जब न्यायाधीश बढ़ेंगे तो उनके लिए रहने की व्यवस्था भी होनी चाहिए। यहां टेन कोर्ट बन रहा है और उम्मीद का की जा रही है कि यहां अतिरिक्त 10 न्यायालय प्रारंभ होंगे।
जज भवन का निर्माण
ऐसे में यहां जजों की पदस्थापना होगी और उनके रहने की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए जी प्लस सिक्स भवन (जज भवन) का निर्माण होना है। जी प्लस फाइव का निर्माण हो चुका है। 15 मार्च 2024 से भवन निर्माण विभाग द्वारा इस भवन का निर्माण कराया जा रहा है।
निर्माण की लागत और समय सीमा
एसएन कंस्ट्रक्शन द्वारा निर्माण किया जा रहा है। लगभग नौ करोड़ रुपये इस भवन निर्माण पर खर्च होने हैं। पूर्व निर्धारित समय के अनुसार आठ मार्च 2025 तक इसे पूर्ण होना था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है।
फ्लोर बढ़ने से काम में देरी
इस संबंध में भवन निर्माण विभाग के एसडीओ इंजीनियर अमित कुमार ने बताया कि जो पूर्व का नक्शा है उसके अनुसार कार्य संपन्न हो गया है। बाद में एक फ्लोर की वृद्धि की गई, यानी जी प्लस फाइव भवन का निर्माण होना था। जिसका कार्य लगभग पूर्ण हो गया है, लेकिन अब इसे जी प्लस सिक्स बनाया जाना है। इसलिए मामला लंबित चल रहा है।
20 से अधिक फ्लैट होंगे
जी प्लस फाइव भवन का जब निर्माण होना था, उसके अनुसार इसमें 20 फ्लैट निर्मित होने हैं। प्रत्येक फ्लोर पर चार फ्लैट होंगे। ग्राउंड में पार्किंग होगी। एक क्वार्टर में तीन बेडरूम और एक डाइनिंग हाल होगा।
तीन बाथरूम अटैच कमरे होंगे। एक किचन होगा। एक लाइब्रेरी रूम होगा। अब जब इसका विस्तार एक फ्लोर और होना है, उसमें भी उम्मीद की जा रही है कि ऐसा ही निर्माण किया जाएगा।
न्यायालय के साथ आवास की व्यवस्था का नियम
अधिवक्ता ललन सिंह कहते हैं कि जब न्यायालय का निर्माण होता है तो उसके साथ यहां पदस्थापन होने वाले जजों के लिए भी आवास का निर्माण किए जाने की व्यवस्था है। इसीलिए जब टेन कोर्ट का निर्माण हो रहा है तो साथ में जज भवन का भी निर्माण किया जा रहा है। सरकार के आवास में ही जजों का रहना अनिवार्य है।
अति विवशता में ही जज किराए के मकान में रहते हैं। यह व्यवस्था इसलिए है ताकि जज किसी के भी दबाव में न आ सकें और न कोई दलाल व्यवस्था खड़ी हो सके। यही कारण है कि जब यहां अनुमंडल व्यवहार न्यायालय का निर्माण हुआ था तब ही जजों के रहने के लिए आवासीय भवन का भी निर्माण हुआ था।
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