सेकडों में ऋषभ पंत की कार हुई थी आग के हवाले, इतनी जल्दी खाक क्यों हो रही हैं गाड़ियां
पुरानी गाड़ियों में अधिकतर भारी लोहे का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन अब मॉर्डन गाड़ियां आना शुरू हो गई हैं। वाहन बनाने वाली कंपनियों के ऊपर कीमत को लेकर काफी प्रेशर रहता है और यही वजह है कि मैन्यूफैक्चरर्स कॉस्ट कटिंग करने लगे हैं।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। पहले की तुलना में अब गाड़ियों में आग लगने की घटनाएं अधिक रिपोर्ट की जा रही हैं। हाल ही में ऋषभ पंत की कार डिवाइडर से जा टकरायी, जिसके बाद महज कुछ ही सेकंड में गाड़ी बुरी तरह से आग हवाले हो गई थी। हम यहां इस खबर के माध्यम से उन तमाम बातों पर चर्चा करेंगे, जिससे आपको यह पता चलेगा कि पुरानी गाड़ियों की तुलना में एडवांस कारों में अधिक आग क्यों पकड़ लेती है।
तो इस वजह से अधिक पकड़ती है आग?
अगर आप आज से 15 या 20 साल पुरानी गाड़ियों को देखा या चलाया होगा तो आप यकीन के साथ बता सकते हैं कि वो कितने ठोस होते थे। दरअसल, पुरानी गाड़ियों में अधिकतर भारी लोहे का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन जब से मॉर्डन गाड़ियां आना शुरू हो गई हैं, चुनौती कुछ बढ़ गई है। वाहन बनाने वाली कंपनियों के ऊपर कीमत को लेकर काफी प्रेशर रहता है और यही वजह है कि मैन्यूफैक्चरर्स कॉस्ट कटिंग के तौर पर गाड़ियों में पहले जैसे भारी लोहे का इस्तेमाल करना अब बंद कर दिया है।
गाड़ी के बहुत से पार्ट में अब फाइबर का इस्तेमाल होने लगा है। वहीं एडवांस कारों में एडवांस फीचर्स उपलब्ध कराने की होड़ में गाड़ियों के अंदर वायरिंग की संख्या बढ़ गई है, जो आग लगने की स्थिति में जल्दी शॉर्ट सर्किट कर जाती है। इससे पूरे गाड़ी के अंदर आग जल्दी फैल जाता है।
गाड़ी टकराने के बाद जब आग लगती है तो वह बेकाबू हो जाती है। हालांकि पहले ऐसा नहीं होता था पहले भी एक्सीडेंट होने के दौरान गाड़ी में आग लगने की शिकायते सामने आती थी, वहीं इंजन में आग लगने की भी अनेको घटनाएं सामने देखने को मिलती थी। लेकिन पुरानी गाड़ियों में लोहे के अधिक इस्तेमाल होने के कारण गाड़ी पूरी तरीके से आग के हवाले नहीं हो पाती थी।
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