क्या है Bharat Stage, कब से हुई थी शुरुआत, प्रदूषण को कम करने में कैसे है मददगार
भारत में वाहनों की संख्या में कम समय में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी से प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ रही है। जिसे देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। इनमें से एक कोशिश Bharat Stage को लागू करके की गई है। BS क्या है (What is Bharat Stage) और इसे कब से शुरू किया गया था। आइए जानते हैं।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। भारत के उत्तरी राज्यों सहित Delhi NCR में प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर हो गई है। AQI खतरनाक स्तर से भी ज्यादा हो गया है। जिस कारण वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए उत्सर्जन मानक लाए गए थे। उत्सर्जन मानकों को Bharat Stage के नाम से जाना जाता है। यह क्या हैं और कब से इनकी शुरुआत हुई थी। किस तरह से यह प्रदूषण कम करने में मदद करते हैं। हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।
क्या है Bharat Stage
देश में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के साथ ही मानक तय करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से Bharat Stage को शुरू किया गया था। यह उत्सर्जन मानक है। इनको लागू किए जाने की समयसीमा का निर्धारण केंद्रीय प्रदूषण नियंंत्रण बोर्ड की ओर से किया जाता है जो केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के साथ ही जलवायु परिवर्तन के तहत आता है।
यह भी पढ़ें- Car Care Tips: गाड़ी में इन पांच बातों का रखें ध्यान, प्रदूषण कम करने में होगी बड़ी मदद
कब हुए थे लागू
यूरोप में इस तरह के मानकों को Euro 1,2,3 में मापा जाता है और भारत में इनकी शुरुआत साल 2000 में की गई थी। साल 2000 से लेकर 2010 के बीच देशभर में Bharat Stage-1 और 2 को लागू किया गया था। इसके बाद साल 2010 में बीएस-3 को लाया गया था। एक अप्रैल 2017 से देश में बीएस-4 को लागू किया गया था। एक अप्रैल 2020 से देश में बीएस-6 के पहले चरण को लाया गया था और एक अप्रैल 2023 से देशभर में बीएस-6 का दूसरा चरण लागू किया जा चुका है। खास बात यह है कि सरकार की ओर से बीएस-5 के मानकों को लाया ही नहीं गया था और बीएस-4 के बाद सीधा बीएस-6 को लागू किया गया था।
कैसे कम होता है प्रदूषण
देश में जब भारत स्टेज के नए मानकों को लागू किया जाता है वैसे ही प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलती है। नए मानकों के लागू होने से साथ ही वाहन निर्माताओं को अपने वाहनों को अपडेट करना पड़ता है, जिसमें मुख्य तौर पर इंंजन में बदलाव किए जाते हैं। इसके अलावा देश में तेल आपूर्ति करने वाली कंपनियों को भी ईंधन की गुणवत्ता में भी सुधार करना पड़ता है। जिसके बाद बेहतर ईंधन अपडेट की गई तकनीक वाले इंजन में उपयोग किया जाता है और इससे प्रदूषण में कमी लाने में मदद मिलती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।