इस वजह से देश में लागू नहीं हुआ BS5, जानें क्या हैं BS6 फ्यूल के फायदे
BS4 से सीधा BS6 ग्रेड फ्यूल का मतलब है कि ईंधन में सल्फर की मात्र को कम किया जाना है
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। केंद्र सरकार ने BS6 ग्रेड फ्यूल को तैयार करने के लिए देश की रिफाइनरियों को निर्देश दिए हैं। इन सबमें बठिंडा की गुरु गुरु गोबिंद सिंह रिफाइनरी इस पर तेजी से काम कर रही है। बता दें, रिफाइनरी में पॉल्यूशन कम करने वाले BS6 फ्यूल के उत्पादन पर काम हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अब सिर्फ BS6 वाहनों को अगले वर्ष पहली बेचने का आदेश जारी किया हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि यहां पर BS6 फ्यूल को तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट लगाने के अलावा पूरी योजना बना ली गई है। इस प्रोजेक्ट को दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद यहां से देशभर में BS6 फ्यूल की सप्लाई होगी।
यह है BS6 ग्रेड फ्यूल: BS4 से सीधा BS6 ग्रेड फ्यूल का मतलब है कि ईंधन में सल्फर की मात्र को कम किया जाना है। अभी BS4 पेट्रोल और डीजल में सल्फर की मात्र 50 पीपीएम यानी पार्ट्स प्रति 10 लाख है। BS6 ग्रेड फ्यूल में सल्फर की मात्र महज 10 पीपीएम रहना है। दूसरी तरफ BS6 फ्यूल के साथ थोड़ा बहुत रेट भी बढ़ने की संभावना है, लेकिन तेल कंपनियों का कहना है कि फिलहाल इसको लोगों से नहीं वसूला जाएगा।
आप पर क्या होगा असर: BS6 ईंधन को ग्राहक अपने मौजूदा बीएस-3 व BS4 ईंधन के अनुकूल बने वाहनों में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह फायदेमंद भी है। ईंधन में सल्फर की मात्र जितनी कम होगी, वह उतना ही कम जलेगा। कम सल्फर वाला पेट्रोल कम पॉल्यूशन पैदा करेगा। इतना ही नहीं, सल्फर की मात्र कम होने से पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर की मात्र भी धुएं में कम होगी। एक अनुमान के मुताबिक BS4 के अनुरूप बनी डीजल कार को अगर BS6 ईंधन पर चलाया जाए तो औसतम 50 पसेर्ंट तक कम पीएम उत्सर्जित होगा।अभी ऐसे हो रही ईंधन की सप्लाई : पंजाब के अलावा जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान के कुछ हिस्सों व उत्तर भारत में BS4 फ्यूल की सप्लाई हो रही है।
- हवा में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। हवा में जहरीले तत्व कम हो सकेंगे।
- BS4 के मुकाबले BS6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम होंगे
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पीएम के मामले में BS6 ग्रेड का डीजल काफी अच्छा होगा
BS5 क्यों लागू नहीं हुआ
इसकी एक वजह ये है कि BS5 और BS6 ईंधन में जहरीले सल्फर की मात्र बराबर होती है। जहां BS4 ईंधन में 50 पीपीएम सल्फर होता है, BS5 व BS6 दोनों तरह के ईंधनों में सल्फर की मात्र 10 पीपीएम ही होती है। इसलिए सरकार ने BS4 के बाद सीधे BS6 लाने का फैसला किया।
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