क्या E20 पेट्रोल से हो रहा पुराने वाहनों को नुकसान? सरकार ने सफाई देते हुए कही यह बात
Ethanol E20 Petrol Issue देश में प्रदूषण कम करने के लिए सरकार की ओर से पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिक्स कर बिक्री के लिए उपलब्ध करवाया जा रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि इससे वाहनों को नुकसान हो सकता है। इस पर सरकर की ओर से क्या कहा गया । हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। देश में प्रदूषण कम करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में सरकार की ओर से एक लीटर पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिक्स (Ethanol E20 Petrol Issue) कर बिक्री के लिए उपलब्ध करवाया जा रहा है। लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इससे वाहनों को नुकसान हो सकता है। इस पर सरकर की ओर से क्या कहा गया । हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।
E-20 पेट्रोल पर भ्रम
हाल में ही देश में कई रिपोर्ट्स में यह बताया गया था कि ई-20 पेट्रोल को वाहनों पर भरवाने पर नुकसान होता है। इस तरह के भ्रम के कारण लोग ई-20 पेट्रोल ने भरवाने की सलाह दे रहे थे।
सरकार ने दी सफाई
मामले की गंभीरता को समझकर सरकार की ओर से इस मामले में सच बताया गया है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक मंत्रालय ने मामले पर जानकारी दी है।
कही यह बात
पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि इथेनॉल मिश्रण एक दूरदर्शी, वैज्ञानिक रूप से समर्थित और पर्यावरण की दृष्टि से ज़िम्मेदार उपाय है जो राष्ट्र को बहुआयामी लाभ पहुँचाता है।
होती है ज्यादा ऑक्टेन की संख्या
मंत्रालय के मुताबिक इथेनॉल में पेट्रोल की तुलना में ज्यादा ऑक्टेन संख्या होती है (~108.5 बनाम 84.4) जिसका मतलब है कि इथेनॉल-पेट्रोल मिश्रण में पारंपरिक पेट्रोल की तुलना में ज्यादा ऑक्टेन संख्या होती है। इसलिए, इथेनॉल का उपयोग हाई-ऑक्टेन ईंधन (~95) प्रदान करने के लिए एक आंशिक विकल्प बन जाता है, जो बेहतर सवारी गुणवत्ता प्रदान करने वाले आधुनिक उच्च संपीड़न अनुपात इंजनों के लिए आवश्यक है। E20 (बढ़े हुए RON वाले) के लिए तैयार वाहन और भी बेहतर प्रदर्शन प्रदान करते हैं। इथेनॉल की विशेषता पेट्रोल की तुलना में वाष्पीकरण की उच्च ऊष्मा होना भी है।
प्रदूषण होता है कम
इथेनॉल पेट्रोल, एक जीवाश्म ईंधन की जगह लेता है और CO2 उत्सर्जन को कम करता है। भारत का इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम फीडस्टॉक विविधीकरण के माध्यम से है। इथेनॉल का उत्पादन न केवल गन्ने से, बल्कि अधिशेष चावल, मक्का, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न और कृषि अवशेषों से भी किया जा रहा है, खासकर दूसरी पीढ़ी (2G) जैव ईंधन के लिए दबाव के तहत। यह इथेनॉल मिश्रण को न केवल तकनीकी रूप से व्यवहार्य बनाता है, बल्कि पर्यावरणीय रूप से भी टिकाऊ बनाता है। नीति आयोग द्वारा किए गए इथेनॉल के जीवन चक्र उत्सर्जन पर एक अध्ययन ने आकलन किया है कि गन्ना और मक्का आधारित इथेनॉल के उपयोग के मामले में जीएचजी उत्सर्जन पेट्रोल की तुलना में क्रमशः 65 फीसदी और 50 फीसदी कम है।
📑Some articles/ reports in the media have raised concerns about the potential negative impact of 20% ethanol blending (E20) in petrol, particularly with regard to older vehicles and customer experience. These concerns, however, are largely unfounded and not supported by…
— Ministry of Petroleum and Natural Gas #MoPNG (@PetroleumMin) August 4, 2025
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