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GDP पर दिखेगा ऑटो सेक्टर में मंदी का असर, 300 डीलरों का धंधा चौपट, खतरे में नौकरियां

ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी के चलते पिछले तीन महीने में 15000 लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है

By Ankit DubeyEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 09:02 AM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 09:02 AM (IST)
GDP पर दिखेगा ऑटो सेक्टर में मंदी का असर, 300 डीलरों का धंधा चौपट, खतरे में नौकरियां
GDP पर दिखेगा ऑटो सेक्टर में मंदी का असर, 300 डीलरों का धंधा चौपट, खतरे में नौकरियां

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। मांग में कमी के चलते ऑटो सेक्टर में मंदी की गिरफ्त और भयावह होती जा रही है। इस वर्ष जुलाई में वाहनों की बिक्री में बीते 19 साल में सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई है। ऑटो निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम के ताजा आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में देश में कुल वाहनों की बिक्री में 18.71 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी के चलते पिछले तीन महीने में 15,000 लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। सियाम का कहना है कि अगर उद्योग में गिरावट का सिलसिला बना रहा तो इसका असर देश के जीडीपी पर भी दिखेगा।

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ऑटो सेक्टर में वाहनों की बिक्री में गिरावट का सिलसिला बीते नौ माह से चल रहा है। इस बीच ऑटो उद्योग के प्रतिनिधि सरकार से लगातार राहत पैकेज की गुहार लगा रहे हैं। स्थिति में सुधार के लिए उद्योग ने जीएसटी दर को भी 28 से घटाकर 18 फीसद पर लाने की मांग की है। सियाम ने मंगलवार को जुलाई 2019 के बिक्री आंकड़े जारी करते हुए भी इन मांगों को दोहराया। सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने कहा, ‘बिक्री के ताजा आंकड़ों से स्पष्ट है कि उद्योग को राहत पैकेज की कितनी गहरी जरूरत है।’

सियाम के आंकड़ों के मुताबिक ऑटो सेक्टर के प्रत्येक वर्ग की बिक्री में गिरावट आई है। पैसेंजर वाहनों और दोपहिया वाहनों की कुल बिक्री 18,25,148 यूनिट रही, जबकि पिछले वर्ष जुलाई में इस वर्ग में 22,45,223 यूनिट वाहनों की बिक्री हुई थी। इससे पहले दिसंबर, 2000 में ऑटोमोबाइल उद्योग में 21.81 फीसद की सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई थी। बिक्री में गिरावट इतनी तेज है कि इस वर्ष जुलाई में कंपनियों के उत्पादन में 11 फीसद की कमी दर्ज की गई है। आगे भी स्थिति में सुधार की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि हाल ही में टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कुछ दिनों के लिए उत्पादन रोकने का फैसला किया है।

कारों और एसयूवी श्रेणी के वाहनों की बिक्री के मामले में भी गिरावट का स्तर बीते 19 साल में सबसे तेज रहा है। जुलाई में इस श्रेणी में 2,00,790 वाहनों की बिक्री दर्ज की गई जो पिछले वर्ष जुलाई के आंकड़े (2,90,931) से करीब 31 फीसद कम है। पिछली बार इतनी तेज गिरावट दिसंबर 2000 में देखी गई थी जब वाहनों की बिक्री 35.22 फीसद गिरी थी।

जहां तक दोपहिया वाहनों का प्रश्न है, तो जुलाई के दौरान बिक्री में 16.82 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। इस महीने दोपहिया कंपनियों ने 15,11,692 यूनिट वाहन बेचे। इसके मुकाबले पिछले वर्ष जुलाई में 18,17,406 दोपहिया वाहन बिके थे। बिक्री में गिरावट का सिलसिला कमर्शियल वाहनों में भी बना हुआ है। इन वाहनों की बिक्री में जुलाई 2019 में 25.71 फीसद की कमी आई है। माथुर का कहना है कि उद्योग बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए हर प्रयास कर रहा है। ‘लेकिन अब समय आ गया है जब उद्योग को वास्तव में सरकार की मदद की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा कि उद्योग को फिर से पटरी पर लाने और बिक्री में गिरावट को रोकने के लिए राहत पैकेज की आवश्यकता है।

नौकरियों पर बुरा असर: माथुर ने कहा कि पिछले दो से तीन महीने में ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों में करीब 15000 नौकरियां जा चुकी हैं। इनमें अधिकांश नौकरियां अस्थायी और कैजुअल स्तर की हैं। इसके अतिरिक्त कंपोनेंट उद्योग में भी लाखों नौकरियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इतना ही नहीं, माथुर के मुताबिक बिक्री में गिरावट के चलते करीब 300 डीलरों को अपना धंधा समेटने पर मजबूर होना पड़ा है। इससे भी दो लाख लोगों की नौकरियां प्रभावित हुई हैं।

पूरे सेक्टर पर दबाव: माथुर ने कहा कि इस बार की मंदी पिछली मंदी से काफी अलग और गहरी है। साल 2008-09 और 2013-14 में ऑटोमोबाइल सेक्टर का कुछ हिस्सा ऐसा था जिसकी बिक्री में वृद्धि का सिलसिला बना रहा था। ‘किंतु इस बार समूचा सेक्टर मंदी की चपेट में है और बिक्री कम हो रही है।’

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