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SMS Hospital Jaipur: अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी मामले में अधीक्षक ने छोड़ा पद, अब बगरहट्टा और भंडारी भी दे सकते हैं इस्तीफा

जयपुर स्थित राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी एसएमएस अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी जारी करने के मामले में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा ने सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया है। करीब एक महीने पहले अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी देने के मामले में राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह को गिरफ्तार किया था।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Published: Mon, 06 May 2024 02:11 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2024 02:11 PM (IST)
SMS Hospital Jaipur: अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी मामले में अधीक्षक ने छोड़ा पद

जागरण संवाददाता, जयपुर। जयपुर स्थित राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी एसएमएस अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी जारी करने के मामले में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा ने सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया है।

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प्रदेश के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने शर्मा, एसएमएस मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. राजीव बगरहट्टा और राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विवि. के कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी से इस्तीफा देने के लिए कहा था। इस पर शर्मा ने सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया। बगरहट्टा और भंडारी भी अगले एक-दो दिन में इस्तीफा दे सकते हैं।

करीब एक महीने पहले अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी देने के मामले में राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह को गिरफ्तार किया था।

गौरव सिंह से पूछताछ में सामने आया कि उसने जयपुर स्थित फोर्टिस और ईएचसीसी अस्पताल को 25 से 35 हजार रूपये लेकर फर्जी एनओसी दी थी। राज्य सरकार ने बगरहट्टा के नेतृत्व में एनओसी देने के लिए एक कमेटी गठित की है। कमेटी में शर्मा सहित चार चिकित्सक हैं। गौरव ने इन सभी के फर्जी हस्ताक्षर व मुहर लगाकर एनओसी जारी की थी।

गौरव से पूछताछ के आधार पर फोर्टिस और ईएचसीसी अस्पताल के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं दोनों अस्पतालों के चार चिकित्सकों व आधा दर्जन कर्मचारियों से पूछताछ करने के साथ ही उनके मोबाइल व अस्पताल के रिकार्ड जब्त किए गए थे।

एसीबी फर्जी एनओसी की जांच कर रही थी कि इसी बीच गुरूग्राम में हरियाणा पुलिस ने किड़नी ट्रांसप्लांट के एक गिरोह का खुलासा किया था। गिरोह के सदस्यों से पूछताछ में सामने आया कि बांग्लादेश, नेपाल एवं कंबोडियो से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गिरोह के लोग भारत लाते हैं।

ये भारत में लाने के बाद उसने किड़नी दान करवा कर जरूरतमंदों को प्रत्यारोपित करवाते हैं। जिस व्यक्ति को प्रत्यारोपित होती है उससे 20 से 25 लाख रूपये तक वसूले जाते हैं। इस मामले में पुलिस ने अब तक आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है। मामले की जांच जारी है।

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