Ludhiana News: 'बिट्टू-मान में दिन में चार बार होती है बात...', बाजवा ने भाजपा प्रत्याशी पर साधा निशाना
Ludhiana News कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भाजपा प्रत्याशी रवनीत सिंह बिट्टू पर हमला किया है। बाजवा ने कहा कि सुनील जाखड़ को इस बात की खुशफहमी थी कि उन्हें पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। इसके लिए कभी वोटिंग नहीं हुई। इस गुस्से में वह पार्टी छोड़कर भाजपा में चले गए। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1984 में पार्टी छोड़ दी थी।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा (Pratap Singh Bajwa) ने लुधियाना से भाजपा प्रत्याशी एवं सांसद रवनीत बिट्टू (Ravneet Singh Bittu) की चुनौती स्वीकर करते लुधियाना में डेरा जमा लिया है। उन्होंने लुधियाना के साउथ सिटी एरिया में दोस्त की कोठी किराये पर ले ली है। यहीं पर रविवार को प्रेस कान्फ्रेंस कर बाजवा ने बिट्टू पर सीधा हमला करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान और बिट्टू में प्रतिदिन चार बार फोन पर बात होती है।
विजिलेंस में मामला दर्ज करवाने में बिट्टू का बड़ा हाथ: कांग्रेस नेता
पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु पर विजिलेंस में मामला दर्ज करवाने में बिट्टू का बड़ा हाथ रहा है। यह जानकारी उन्हें विजिलेंस के अधिकारी ने दी है। बिट्टू ने उन्हें एक माह पहले लुधियाना आकर चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी। अब पार्टी ने निर्णय लिया है कि किसी हालत में बिट्टू को विजयी नहीं होने दिया जाएगा। बाजवा ने बिट्टू को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि रवनीत बिट्टू की खुद की कोई पहचान नहीं, पहचान इनके दादा स्व. बेअंत सिंह की है।
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कांग्रेस ने बेअंत सिंह की मौत के बाद उनकी पत्नी जसवंत कौर को लुधियाना से टिकट दिया। उसके बाद बिट्टू के ताया को लंबे समय कैबिनेट में मंत्री पद पर रखा गया। बुआ गुरकंवल कौर को भी मंत्री बनाया गया। ताया के भाई गुरकिरत सिंह को मंत्री बनाया गया।
बिट्टू पर जमकर बरसे बाजवा
सांसद बिट्टू के छोटे भाई को पंजाब पुलिस में डीएसपी भी बनाया गया। बिट्टू को आनंदपुर साहिब से पहली बार सांसद बनने का मौका कांग्रेस ने दिया। पांच साल में यहां पर लोगों का फोन तक नहीं उठाया। यहां से पार्टी ने लुधियाना में सेफ सीट दी, जहां से दो बार सांसद बन चुके हैं। अब इन्हें पता था कि वह जीत नहीं सकते हैं, इसलिए पार्टी छोड़ दी।
सीएम नहीं बनने पर सुनील जाखड़ ने छोड़ी पार्टी: बाजवा
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के लगातार पार्टी छोड़ने के सवाल पर प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि सुनील जाखड़ को इस बात की खुशफहमी थी कि उन्हें पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। इसके लिए कभी वोटिंग नहीं हुई। इस गुस्से में वह पार्टी छोड़कर भाजपा में चले गए।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1984 में पार्टी छोड़ दी थी। लगभग 14 साल बाद उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल किया गया। वह दस साल तक मुख्यमंत्री बनाए गए। वहीं विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के आरोपों को झूठ बताते हुए बिट्टू ने कहा कि बाजवा को बिट्टू फोबिया हो चुका है।