Move to Jagran APP

विनम्रता, धैर्य और समर्पण से पाई सिविल सेवा में सफलता, संघर्ष भरी है हेमंत की कहानी

राजस्थान के हनुमानगढ़ के छोटे से गांव बीरन के रहने वाले हेमंत की मां एक मनरेगा कार्यकर्ता के रूप में काम करती हैं उनके पिता गांव के पुरोहित हैं। इसके अलावा हेमंत को दिव्यांगता की चुनौती का भी सामना करना पड़ा। यह देखना किसी फिल्म से कम नहीं है कि मनरेगा मजदूर के बेटे हेमंत ने कैसे सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की।

By Jagran News Edited By: Anurag Mishra Published: Sat, 04 May 2024 10:24 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2024 10:24 PM (IST)
हेमंत की कठिन और संघर्षशील यात्रा में तमाम चुनौतियां थी लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत न हारी

 नई दिल्ली, जागरण डेस्क। परीक्षा में सफलता के लिए समर्पण, धैर्य, सतत मेहनत और हौसला सबसे अहम तत्व होते हैं। ऐसी ही कुछ कहानी है हेमंत की। हेमंत ने इस साल की सिविल सेवा परीक्षा में 884 वीं रैंक हासिल की है। हेमंत की कठिन और संघर्षशील यात्रा में तमाम चुनौतियां थी लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत न हारी और परीक्षा में एक शानदार मुकाम हासिल किया।

loksabha election banner

राजस्थान के हनुमानगढ़ के छोटे से गांव बीरन के रहने वाले, हेमंत की मां एक मनरेगा कार्यकर्ता के रूप में काम करती हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी आजीविका सुरक्षा प्रदान करने वाली एक योजना है, जबकि उनके पिता गांव के पुरोहित हैं। इसके अलावा, हेमंत को दिव्यांगता की चुनौती का भी सामना करना पड़ा। यह देखना किसी फिल्म से कम नहीं है कि मनरेगा मजदूर के बेटे हेमंत ने कैसे सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की।

हेमंत को वह घटना अच्छी तरह याद है जब उनकी मां को उचित दिहाड़ी देने से इंकार कर दिया गया था। स्थानीय ठेकेदारों द्वारा और सरकारी कार्यालयों के माध्यम से न्याय न मिलने से, हेमंत को उपहास और अस्वीकृति का सामना करना पड़ा।

बकौल हेमंत एक ठेकेदार ने उन्हें एक बार कहा था कि 'तू कहीं का कलेक्टर है क्या?' इस बात से उन्हें काफी ठेस पहुंचा। हेमंत ने कलेक्टरेट कार्यालय के बारे में जानने का प्रयास किया और जो अन्याय हेमंत के परिवार के साथ हुआ था उसकी पुनरावृत्ति भविष्य में न हो। यही कारण था कि उन्होंने सिविल सेवक बनने का दृढ़ निश्चय किया।

अपने लक्ष्य को अमलीजामा पहनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हेमंत ने बहुत ही सीमित संसाधनों में इस कठिन परीक्षा की चुनौतीपूर्ण यात्रा की शुरूआत की। वे अपने कॉलेज के पुस्तकालय में हर दिन आधी रात तक अध्ययन करने के लिए लंबे समय तक रुकते थे। हेमंत के जुनून और समर्पण को देखते हुए उनके समुदाय ने उन्हें इस यात्रा में दिल्ली के पटेल नगर तक भेजने के लिए वित्तीय और भावनात्मक समर्थन प्रदान किया।

पटेल नगर की लाइब्रेरी में, हेमंत की मुलाकात एक साथी प्रतियोगी दिव्यांशी लेहरी से हुई, जिसने उसे यूट्यूब पर राव आईएएस स्टडी के अंतर्गत डेली न्यूज सिम्पलीफाइड (DNS) कक्षाओं से परिचित कराया। डेली न्यूज सिम्पलीफाइड (DNS) देश भर में यूपीएससी उम्मीदवारों को करेंट अफेयर्स की तैयारी में मदद करने के लिए निशुल्क संचालित करता है। हेमंत ने अपने मोबाइल पर लगातार दो वर्षों तक इसका पूरी निष्ठा और मनोवृत्ति के साथ पालन किया जिसका उपयोग उन्होंने सामान्य अध्ययन के संपूर्ण पाठ्यक्रम के लिए अपना एक व्यक्तिगत नोट्स तैयार किया।

हेमंत की प्रारंभिक शिक्षा बहुत ही साधारण किस्म की रही, यही वजह है कि हेमंत साक्षात्कार के लिए चिंतित थे और इसी कड़ी में उन्होंने राव स्टडी सर्किल से साक्षात्कार हेतु मार्गदर्शन मांगा। उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके माता-पिता को एक आरामदायक जीवन मिले और हाशिए पर रहने वाले वर्गों और कमजोर लोगों के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। खासकर, ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षा में एक क्रांतिकारी परिवर्तन हो; इस भाव को लेकर हेमंत आगे बढ़ना चाहते हैं।, हेमंत की कहानी इस बात का उदाहरण है कि जब कोई अभ्यर्थी ईमानदारी से प्रयास करता है तो अप्रत्याशित रूप से विभिन्न रूपों में उसे समर्थन मिलने लगता है।

राव आईएएस के सीईओ अभिषेक गुप्ता कहते हैं कि सिविल सेवा परीक्षा की यात्रा, जितनी शैक्षणिक है, उनती ही मानसिक चुनौतियों से भरी है। हेमंत की सफलता इसी का प्रतीक है। इसके लिए वह बधाई के पात्र है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.