Move to Jagran APP

राजनांदगांवः नारी शक्ति का नवाचार, पर्यावरण संरक्षण संग स्वरोजगार; रोपे गए 42 हजार से अधिक पौधे

पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी गांव की महिलाओं ने संभाल रखी है। महिलाएं पौधरोपण के बाद पानी देने के लिए सुबह शाम पहुंचती हैं। यही कारण है कि आम आमरूद पीपल बबूल नीम आदि के पौधे तेजी से बड़े हो गए। पौधों की देखभाल के लिए बकायदा मॉनिटरिंग समिति भी गठित की गई है मॉनिटरिंग सिस्टम से जुड़ी महिलाएं अलग-अलग दिन आकर पौधों को पानी देने का काम करती हैं।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Published: Sun, 05 May 2024 06:29 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2024 06:29 PM (IST)
धागों से कपड़ा बनाती हुईं समूह की महिलाएं साथ ही खेतों में लगे पौधे (फोटो- जागरण)

रोहित देवांगन, राजनांदगांव। बढ़ते तापमान के बीच पौधरोपण का महत्व बढ़ता जा रहा है। अगर पौधरोपण को हम पर्यावरण संरक्षण के साथ रोजगार का साधन भी बना लें तो इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी। ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की महिलाओं ने। यहां के ग्राम बघेरा में स्व सहायता समूह की महिलाओं ने सात वर्ष के भीतर गांव में 42 हजार से अधिक पौधे लगाए गए है।

loksabha election banner

इनमें से 30 हजार से अधिक पौधे पेड़ बन गए हैं। यहां तीन साल पहले 17 एकड़ में शहतूत के पौधे लगाए गए थे। महिलाएं शहतूत उत्पादन के साथ पेड़ की पत्तियों में रेशम कीट का पालन भी कर रही हैं। इस पेड़ों से छह स्व सहायता की लगभग 80 महिलाओं को रोजगार भी मिलने लगा है।

पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी महिलाओं ने संभाली

पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी गांव की महिलाओं ने संभाल रखी है। महिलाएं पौधरोपण के बाद पानी देने के लिए सुबह शाम पहुंचती हैं। यही कारण है कि आम, आमरूद, पीपल, बबूल, नीम आदि के पौधे तेजी से बड़े हो गए। पौधों की देखभाल के लिए बकायदा मॉनिटरिंग समिति भी गठित की गई है, मॉनिटरिंग सिस्टम से जुड़ी महिलाएं अलग-अलग दिन आकर पौधों को पानी देने का काम करती हैं।

महिलाएं आज सफलता की लिख रही हैं कहानियां 

महिलाओं की मेहनत और मजबूत लगन के चलते पौधे पेड़ में तब्दील हो गए हैं। घर की चारदीवारी और मजदूरी तक सिमट कर रहने वाली महिलाएं आज सफलता की कहानियां लिख रही है। गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर निकल महिलाएं विकास की राह में तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। बघेरा की महिलाओं ने उद्यमी के क्षेत्र में एक नहीं पहचान बनाई है। कभी गरीबी में जीने वाली महिलाएं आज सफल उद्यमी बनकर दूसरी महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।

रेशम उद्योग के क्षेत्र में अग्रसर बघेरा

ग्राम बघेरा की महिलाएं रेशम उद्योग के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। महिलाएं रेशम धागाकरण के लिए रेशम एवं हाथकरघा विभाग से संपर्क कर प्रशिक्षण प्राप्त कर टशर सिल्क मटका स्पिनर समूह केंद्र स्थापित किया। रेशम धागाकरण में 20 से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं। इससे चार लाख 50 हजार का उत्पादन, तीन लाख 40 हजार की बिक्री और एक लाख 40 हजार रुपये का लाभ हुआ है।

महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का प्रयास

पूर्ववर्ती सरकार की रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) योजना के अंतर्गत टशर सिल्क मटका स्पिनर समूह केंद्र स्थापित कर रोजगार उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया। पंचायत पौधरोपण के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही। पौधरोपण में ज्यादातर पौधे शहतूत के साथ-साथ अन्य प्रजाति के थे। पौधे पेड़ बनने के बाद महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के साथ-साथ संजीवनी देने का काम कर रही हैं। बघेरा रीपा गोठान में रेशम धागाकरण संचालित है।

सिलाई-कढ़ाई से भी हुई आय में वृद्धि

रीपा में सिलाई यूनिट, मोजा यूनिट गतिविधियां संचालित है। समूह से जुड़ी 60 महिलाओं ने सिलाई-कढ़ाई कर आय के साधन में वृद्धि की है। महिलाओं ने देखा कि एप्रान की बहुत अधिक मांग है। इसके निर्माण के लिए ट्रेनिंग लेकर मशीन क्रय की, आज ये महिलाए स्वयं का केंद्र स्थापित कर एप्रान का निर्माण कर राजनांदगांव के अतिरिक्त दुर्ग, रायपुर में सप्लाई कर रही हैं। साथ ही दुर्ग से कपड़ा लेकर भी सिलाई की जा रही है।

गांव में खाली जमीनों पर पौधरोपण

गांव की महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी लोगों को पौधरोपण के लिए लोगों को जागरुक कर रहे हैं। यहीं नहीं गांव में खाली पड़ी जमीनों पर हर वर्ष पौधरोपण किया जा रहा है। पौधरोपण करने के साथ-साथ पौधों की सुरक्षा को लेकर युवाओं के साथ-साथ महिलाओं को भी जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। इसका निर्वहन महिलाएं बखूबी से कर रही हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.