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Bihar News : भागलपुर विश्‍वविद्यालय में लेक्चरर नियुक्ति में गड़बड़ी का मामला, पटना हाई कोर्ट ने दे दिया यह आदेश

Bhagalpur University भागलपुर विश्‍वविद्यालय में 1997 में 29 लेक्चरर की बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई थी जिसमें गड़बड़ी का मामला सामने आया था। अब पटना हाई कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता को समस्त दस्तावेज निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को सौंपने की छूट दी है। न्यायाधीश बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने मधु शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

By Arun Ashesh Edited By: Arijita Sen Published: Wed, 01 May 2024 08:50 AM (IST)Updated: Wed, 01 May 2024 08:50 AM (IST)
भागलपुर विश्वविद्यालय में 29 लेक्चरर की नियुक्ति में गड़बड़ी

राज्य ब्यूरो, पटना। भागलपुर विश्वविद्यालय में 29 लेक्चरर की नियुक्ति में हुई गड़बड़ी के मामले में पटना हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को समस्त दस्तावेज निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को सौंपने की छूट दी है। कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी आगे की जांच कर पूरक आरोप पत्र दायर कर सकते हैं।

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1997 में शुरू हुई थी बहाली की प्रक्रिया

न्यायाधीश बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने मधु शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने कोर्ट को बताया कि 1997 में 29 लेक्चरर की बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई थी।

याचिकाकर्ता ने लिखित परीक्षा दी और साक्षात्कार में भाग भी लिया, लेकिन उसकी बहाली नहीं की गई। विश्वविद्यालय सेवा आयोग की चयन समिति ने 1100 सफल उम्मीदवारों की सूची बनाई। उक्त सूची से समय-समय पर अन्य विश्वविद्यालययो में बहाली की जाने लगी।

नौकरशाह राजनीतिक दलों एवं कुलपतियों के लोगो का बहाली होने लगी। उस समय के तत्कालीन कुलाधिपति के आदेश से निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में केस दर्ज कर जांच शुरू किया गया, लेकिन निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने जांच सही तरीके से नहीं किया। इस संबंध में कोई जांच नहीं की गई और ब्यूरो ने आरोप पत्र निगरानी के विशेष न्यायालय में दायर कर दिया।

विशेष न्‍यायालय के आदेश को हाई कोर्ट में दी गई चुनौती

आवेदिका एवं अन्य ने विशेष न्यायालय में अर्जी दायर कर अपना पक्ष रखना चाहा। विशेष न्यायालय ने इनकी अर्जी खारिज करते हुए कहा कि इन्हें इस केस में अपनी बातें रखने का कोई अधिकार नहीं है। इस आदेश की वैधता को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।

कोर्ट ने विशेष न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया, लेकिन याचिकाकर्ता को समस्त दस्तावेज जांच अधिकारी को देने की छूट दी। कोर्ट ने निगरानी के विशेष न्यायालय को जांच अधिकारी की ओर से दिए गए नये साक्ष्य पर विचार करने और ट्रायल प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आदेश दिया।

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