निशांत यादव,
लखनऊ। सुबह करीब साढ़े आठ बजे का समय था। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. आशुतोष वर्मा का मोबाइल बजता है। प्रदेश कार्यालय से आए फोन पर कहा गया कि दस बजे आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी ने बुलाया है। यह सुनते ही डा. आशुतोष प्रदेश कार्यालय की ओर निकल पड़ते हैं। रास्ते भर उनके पास फोन आते रहे यह जानने के लिए क्या उनको लखनऊ से चुनाव लड़ाया जा रहा है।
आशुतोष सबसे यही कहते रहे कि अभी उनको कुछ पता नहीं। बुलाया गया है जैसा राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का आदेश होगा किया जाएगा। डा. आशुतोष वर्मा के सपा प्रदेश कार्यालय पहुंचते ही रविदास मेहरोत्रा का टिकट कटने की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। प्रदेश कार्यालय में मुलाकात के बाद आशुतोष को लखनऊ से नामांकन करने का आदेश मिला।
आलाकमान का आदेश मिलने के बाद आशुतोष नामांकन करने कलेक्ट्रेट पहुंच जाते हैं। दरअसल आशुतोष से पहले न्यूरोलाजिस्ट डा. आरके ठुकराल को नामांकन करने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने कागजात पूरे नहीं होने की बात कही। इसके बाद डा. आशुतोष को सपा ने फार्म एक और फार्म बी देकर नामांकन करने को कहा।
डा. आशुतोष वर्मा वैकल्पिक प्रत्याशी
हालांकि शाम को अखिलेश यादव की ओर से पत्र जारी कर दावेदारी को लेकर स्पष्ट किया कि डा. आशुतोष वर्मा वैकल्पिक प्रत्याशी हैं। रविदास मेहरोत्रा अब भी पार्टी के उम्मीदवार हैं।
रविदास मेहरोत्रा की उम्मीदवारी को लेकर कई दिन से चर्चाएं हो रही थी। पहले रविदास मेहरोत्रा को बदलकर न्यूरोलाजिस्ट आरके ठुकराल और लव भार्गव का नाम चला।
हालांकि इन आशंकाओं के बीच 30 अप्रैल को सपा ने रविदास मेहरोत्रा को फार्म ए और फार्म बी दे दिया। सन 1989 से लगातार चुनाव लड़ रहे रविदास मेहरोत्रा के नामांकन की त्रुटियों की सूचना मिलते ही बुधवार शाम से ही उनके भविष्य को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया था। सपा के कार्यकर्ताओं को अंदेशा था कि खजुराहो लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी के नामांकन खारिज होने की घटना को देखते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रत्याशी को बदल भी सकते हैं।
लखनऊ पूर्वी से भी थे दावेदार, गठबंधन के चलते मायूसी
डा. आशुतोष वर्मा बाल रोग विशेषज्ञ हैं और कानपुर के जीएसए मेडिकल कालेज से एमबीबीएस के बाद केजीएमयू से पीजी किया है। डा. आशुतोष वर्ष 2018 में सपा से जुड़े थे और अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं। वह पिछले साल हुए मेयर चुनाव का टिकट मांग रहे थे, लेकिन यह सीट महिला हो गई। इसके बाद लखनऊ पूर्वी विधानसभा के उपचुनाव लड़ने के लिए अपने सभी कागज तैयार कराए थे। यह सीट गठबंधन में कांग्रेस के हिस्से में चली गई।
रविदास भी हैं अनुभवी
जनता दल के समय से रविदास मेहरोत्रा विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वह 1989 में जनता दल के टिकट पर लखनऊ पूर्वी से चुने गए थे। लखनऊ के सबसे अनुभवी नेता होने के बावजूद नामांकन पत्र में त्रुटि मिलने की बात पर कोई भी यकीन नहीं कर रहा है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में ऐसे ही एक नामांकन ने उनकी मुश्किल बढ़ा दी थी। तब कांग्रेस के साथ सपा का गठबंधन था। लखनऊ मध्य विधानसभा सीट से मारूफ खान को कांग्रेस से टिकट मिल गया था। मारूफ खान को करीब 12 हजार वोट मिले थे और रविदास मेहरोत्रा पांच हजार वोटों से भाजपा के ब्रजेश पाठक से चुनाव हार गए थे।