Santiniketan ऐसी जगह जो कराती है अलग दुनिया में होने का एहसास, यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में भी है शामिल
अगर आप घूमने- फिरने के शौकीन हैं और किसी ऐसी जगह की तलाश में हैं जो खूबसूरत होने के साथ ही एडवेंचर से भरपूर हो तो निकल जाएं शांतिनिकेतन। मशहूर लेखक और कवि रविन्द्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़ी ये जगह ऐसी है कि आपको यहां पहुंचकर अलग ही शांति और सुकून का एहसास होगा। यहां बसी इन जगहों को देखना बिल्कुल भी मिस न करें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल अपने रिच कल्चर और खानपान के लिए मशहूर है, लेकिन इसकी पहचान सिर्फ इन दो चीज़ों तक ही सीमित नहीं। ये जगह और भी कई खासियत समेटे हुए है। यहां आकर आप पुराने भारत से रूबरू हो सकते हैं। इसी बंगाल में है स्थित है रविन्द्रनाथ टैगोर का शांतिनिकेतन। रविन्द्रनाथ टैगोर ने 1901 में शांतिनिकेतन में एक छोटे से स्कूल की स्थापना की थी, जो आज पूरी दुनिया में एक पहचान बन चुका है। रविन्द्रनाथ टैगोर एक जाने-माने कवि और लेखक थे। शांतिनिकेतन में चारों ओर आपको उनकी झलक देखने को मिलेगी। ये कहना गलत नहीं होगा कि यहां के रग-रग में वो बसते हैं।
यहां आकर आपको एक अलग ही दुनिया में होने का एहसास होता है। जहां से आपको जाने का दिल ही नहीं करेगा। शांतिनिकेतन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में भी शामिल है। अगर आपको घूमने-फिरने और नई जगहों को एक्सप्लोर करने का शौक है, तो आपको यहां जरूर आना चाहिए।
शांतिनिकेतन
शांति निकेतन कोलकाता से लगभग 180 किमी दूर बीरभूम जिले के बोलपुर में स्थित है। शांतिनिकेतन की स्थापना रविन्द्रनाथ टैगोार के पिता देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने की थी। बाद में ये जगह रविन्द्रनाथ टैगोार की वजह से मशहूर हो गई। रविन्द्रनाथ टैगोर ने यहां पढ़ने-लिखने का अनोखा तरीका शुरू किया और इसी ने इसे अलग पहचान दिलाई।
शांतिनिकेतन में घूमने वाली जगहें
टैगोर हाउस
शांतिनिकेतन में रविन्द्रनाथ टैगोर जिस जगह पर अपना सबसे ज्यादा वक्त बिताया करते थे, वही जगह है टैगोर हाउस। रविन्द्रनाथ टैगोर के पिता देवेन्द्रनाथ ने इस भवन को बनवाया था। जो इतनी शानदार दिखती है कि इसका अंदाजा आपको यहां आकर लगेगा। ये इमारत बहुत बड़ी और इसमें कई कमरे भी हैं। रविन्द्रनाथ टैगोर को करीब से जानना हो, तो टैगोर हाउस जरूर आएं।
कला भवन
शांतिनिकेतन की जो दूसरी खास जगह है वो है कला भवन। कला भवन पूरी तरह से आर्ट एंड कल्चर से जुड़ा हुआ है। इसी कला भवन में विश्व भारती शिक्षा संस्थान है, जिसकी स्थापना रविन्द्रनाथ टैगोर ने की थी। कला भवन की दीवारों पर बने चित्र आपको अपनी ओर आकर्षित करने का काम करते हैं। भारत ही नहीं, दुनियाभर से लोग यहां पढ़ने आते हैं।
अमर कुटीर
अमर कुटीर को शांतिनिकेतन का एनसाईक्लोपीडिया कहा जाता है। अमर कुटीर में ट्रेडिशनल तरीके से बनाए गए प्रोडक्ट्स बेचे जाते हैं। यहां आकर आप हथकरघा, हैंडीक्राफ्टस और भी कई पुराने जमाने की चीजों को देख सकते हैं। देखने के साथ ही यहां के इन नायाब वस्तुओं को अपने साथ लेना न भूलें।
विश्व भारती यूनिवर्सिटी
ये शांतिनिकेतन की अट्रैक्शन प्वॉइंट है। जहां आकर आप आश्रम व्यवस्था देख सकते हैं। पेड़ के नीचे पढ़ाई होती है और विद्यार्थी जमीन पर बैठते हैं। प्रकृति से जुड़कर शिक्षा का महत्व समझाया जाता है।
छाती माला
छातीमताला घने-ऊंचे पेड़ों से घिरी हुई हरी-भरी जगह है, जो लोग ध्यान, योग जैसी एक्टिविटीज के लिए आते हैं। एक अलग ही शांति और सुकून का एहसास आपको यहां आकर होगा।
कैसे पहुंचें?
ट्रेन सेः शांतिनिकेतन का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन बोलपुर है, यहां से शांतिनिकेतन की दूरी सिर्फ 2 से 3 किमी है। बोलपुर जंक्शन कोलकाता के हावड़ा और सियालदाह रेलवे स्टेशन से अच्छी तरीके से जुड़ा हुआ है।
फ्लाइट सेः अगर आप फ्लाइट से शांतिनिकेतन आने का प्लान बना रहे हैं, तो सबसे नजदीकी कोलकाता का दमदम एयरपोर्ट है। यहां से शांतिनिकेतन लगभग 200 किमी की दूरी पर है।
वाया रोडः अगर आप सड़क मार्ग से शांति निकेतन जाने का सोच रहे हैं तो कोलकाता होते हुए आसानी से पहुंच सकते हैं। अगर आप बस से जा रहे हैं तो कोलकाता, दुर्गापुर और गुवाहटी जैसे शहरों से शांति निकेतन के लिए बसें आराम से मिल जाएंगी।
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