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आजमगढ़ में अब तक हावी रहा मुस्लिम-यादव गठजोड़, गुड्डू जमाली की सपा में एंट्री से बदलेगा समीकरण; Ground Report

आजमगढ़ का सामाजिक तानाबाना ऐसा है कि यहां यादव के साथ मुस्लिम का गठजोड़ अक्सर जीत की चौड़ी चादर बुनता है। इस सीट के लिए 20 बार के चुनाव में 17 बार इसी समीकरण से सांसद चुना जाना प्रमाण है कि मुस्लिम यादव मेल के चटख रंग के आगे सब फीके हैं। मुलायम परिवार के प्रति मुस्लिम समाज के अनुराग ने चुनावी रण को दिलचस्प बना दिया है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Mon, 20 May 2024 04:21 PM (IST)
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आजमगढ़ में अब तक हावी रहा मुस्लिम-यादव गठजोड़, गुड्डू जमाली की सपा में एंट्री से बदलेगा समीकरण

आजमगढ़ का सामाजिक तानाबाना ऐसा है कि यहां यादव के साथ मुस्लिम का गठजोड़ अक्सर जीत की चौड़ी चादर बुनता है। इस सीट के लिए 20 बार के चुनाव में 17 बार इसी समीकरण से सांसद चुना जाना प्रमाण है कि मुस्लिम यादव मेल के चटख रंग के आगे सब फीके हैं। मुलायम परिवार के प्रति मुस्लिम समाज के अनुराग ने चुनावी रण को दिलचस्प बना दिया है। पिछले उपचुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव को पटकनी देने वाले भाजपा के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ विकास कार्यों के दम पर फिर ताल ठोक रहे हैं। समाचार संपादक रवि प्रकाश तिवारी की रिपोर्ट...

आजमगढ़ का विधानसभा क्षेत्र मुबारकपुर। यहां के मुहल्लों में सुबह से शाम तक खटर-पटर की आवाज ही पहचान है। मुबारकपुर साड़ियां बुनता है बनारस के लिए। यहीं की बुनी साड़ियों पर रंग-पालिश चढ़ाकर बनारसी साड़ी खूब खिली। विश्वविख्यात हुई।

वर्ष 2000 के बम धमाके के बाद बनारसी साड़ी बुनने वालों की दुनिया पलट गई। व्यापारियों ने मुबारकपुर आना बंद कर दिया। यहां के बुनकरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। आर्थिक रूप से वे टूट गए। इस पेशे से जुड़े मुस्लिम समाज का दर्द साल दर साल बढ़ा ही। रोजगार की खोज में यहां के परिवारों से कम से कम एक व्यक्ति ने खाड़ी देशों का रुख किया। यहां के लोगों की शिकायत है कि इस सरकार ने समस्याएं और बढ़ाईं ही।

भाजपा के विकास के दावों के विपरीत मुस्लिम समाज के और भी कई तर्क हैं। बुनकरों से मजदूरी पर साड़ी बुनवाने वाले सवेरा सिल्क के मालिक फिरोज हैदर कहते हैं, ‘इस सरकार की जटिल नीतियों से काम करना मुश्किल हो गया है।

जीएसटी हो या एमएसएमई के नियम, हम जैसे लोगों की पूंजी फंस जाती है। कारोबार एक तिहाई रह गया है और जटिलता 10 गुणा बढ़ गई है। बात इतनी ही नहीं, मोदी, योगी और अमित शाह के भाषण हमें डराते हैं। असुरक्षा का भाव आता है। 2014 में उम्मीद थी, मोदी विकास कर बदलाव लाएंगे, लेकिन यह तो कुछ और ही करने में लग गए।’

मुख्यमंत्री तो दंगे पर लगाम लगाने का दावा करते हैं, इस सवाल पर बोले- ‘आज मुस्लिम समाज डरा हुआ है। चौराहे पर अपमानित होकर भी चुपचाप लौट आना पड़ता है। थाने से कचहरी तक सुनवाई नहीं होती अब। अब जब विरोध ही नहीं होगा तो दंगा तो दूर झगड़ने की ताकत भी न बची। ऐसे में अपनी अस्मिता के लिए हमें लोकतंत्र के जरिए बदलाव ही एक उम्मीद है।’

पुरा ख्वाजा मुहल्ले में हैंडलूम पर साड़ी बुन रहे अब्दुल जब्बार उर्फ गुड्डू कहते हैं ‘मशीनी युग में खर्च बढ़ गया है और मजदूरी घट गई है। 70 रुपये का मासिक बिजली बिल अब 400 रुपये हो गया है। आठ घंटे में एक साड़ी उतरती है। मुश्किल से 200-225 रुपये मिलते हैं। बिजली 24 घंटे तो आती है, इससे लाभ नहीं हुआ, इसके जवाब में कहते हैं काम रहेगा तब तो बिजली काम आएगी। अब तो काम के भी लाले हैं।’

आजमगढ़ शहर में कलक्ट्रेट के निकट गर्मी में शरबत से गला तर कर रहे सोहनबीर की अलग सोच है। कहते हैं, ‘इस सरकार ने हर ओर विकास किया है। मोदी-योगी के साथ ही निरहुआ ने भी ख्याल रखा है। सड़कों का जाल बुना है इस सरकार ने। हवाई उड़ान शुरू हो चुकी है। डर का माहौल खत्म किया है। बाहर के लिए आजमगढ़ की पहचान अब सकारात्मक होने लगी है।’

पूर्वांचल एक्सप्रेस के नीचे एक ढाबे कालिका हवेली पर रात में डिनर को सपरिवार पहुंचे सुनील मिश्रा बोले, ‘रात में यह माहौल योगी सरकार की ही देन है। बिटिया के जन्मदिन पर हम डिनर को निकले हैं। देखिए सामने से पूर्वांचल एक्सप्रेस गुजर रहा है। ढाई-तीन घंटे में लखनऊ पहुंच जाते हैं अब। आजमगढ़ की तस्वीर बदली तो शहर का भी विकास हुआ। आटोमोबाइल का हर शो-रूम है अब हमारे शहर में। स्कूल-कालेजों की गुणवत्ता भी बढ़ी है।’

बसपा की ताकत गुड्डू इस बार सपा के साथ

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के विधानसभा में जाने के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में बसपा के टिकट पर गुड्डू जमाली ने 2.66 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे। यही वजह है कि 2019 के चुनाव से कम 3.13 लाख वोट पाकर भी भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ जीत गए।

2019 में निरहुआ को करीब 3.62 लाख वोट मिले थे, जबकि सपा-बसपा के साझा उम्मीदवार अखिलेश यादव ने 6.21 लाख से अधिक वोट बटोरे थे। इस बार चूंकि गुड्डू जमाली हाथी से उतरकर साइकिल पर सवार हो गए हैं, ऐसे में विपक्षी मतों का बिखराव होगा भी कि नहीं, इसे लेकर चर्चा खूब है।

आजमगढ़ में गुड्डू इसलिए भी फैक्टर हैं क्योंकि 2014 में मुलायम सिंह यादव के सामने भी लड़कर गुड्डू ने 2.66 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे। गुड्डू का अपना वोटबैंक पूरी तरह सपा में ट्रांसफर कराने का दावा भाजपा का गणित बिगाड़ सकता है। बसपा के मशहूद अहमद पर भी नजरें टिकी हैं कि वह बसपा के वोट बैंक के साथ मुस्लिमों का कितना समर्थन हासिल कर पाते हैं।

अपराध नहीं, साहित्य पुरोधाओं की धरती है यह

पेशे से शिक्षक सुधीर वर्मा कहते हैं, आजमगढ़ साहित्य पुरोधा राहुल सांकृत्यायन और अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की धरती रही है, लेकिन विपक्षी दलों के उकसावे का प्रतिफल रहा कि बाहर के लोगों के बीच इसकी पहचान अपराध की धरती के रूप में बन गई। लोगों के मन मस्तिष्क पर सरायमीर वाले डान अबु सलेम का नाम छाया रहता था। अब आजमगढ़ शहर में नए ढंग से तैयार हरिऔध कला केंद्र साहित्य साधना के बड़े केंद्र के रूप में खड़ा है। यही बदलाव है। सोच की, दृष्टि की।

सभी विधानसभा क्षेत्रों में साइकिल

आजमगढ़ जिले में कुल 10 विधानसभा क्षेत्र हैं और सभी पर सपा का कब्जा है। लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा क्षेत्रों गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर में भी सपा ने भाजपा के उम्मीदवारों को बड़े अंतर से हराया था। यह आंकड़े धर्मेंद्र यादव और उनके समर्थकों में ऊर्जा भरते हैं।

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