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Lok Sabha Election 2024: इस सीट पर जीत के लिए 'राम' नाम ही काफी, अब तक नौ बार मिल चुकी है सफलता, दिलचस्प है चुनावी इतिहास

Lok Sabha Election 2024 वैसे तो पूरे देश की ही राजनीति में राम का बहुत व्यापक प्रभाव है लेकिन झारखंड की एक सीट ऐसी है जहां पर राम का नाम ही चुनाव जीतने के लिए काफी है। हालांकि यहां पर राम भगवान का नाम लेने से नहीं बल्कि नाम में राम होने का फायदा मिलता है लेकिन इस सीट का चुनावी इतिहास अपने आप में बेहद दिलचस्प है।

By Sachin Pandey Edited By: Sachin Pandey Published: Tue, 07 May 2024 11:32 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2024 11:32 AM (IST)
Lok Sabha Election 2024: पलामू में 15 चुनावों में नौ बार ‘राम’ नाम वाले उम्मीदवारों की ही जीत हुई।

कंचन कुमार, रांची। Palamu Lok Sabha Election 2024: चुनाव में राम के नाम का असर और कहीं हो ना हो, झारखंड के पलामू को राम नाम की ऐसी लगन लगी है कि हर चुनाव में यह क्षेत्र ‘रामधुन’ की लहर पर ही सवार रहता है। इस लोकसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम पिछले 57 वर्षों से ‘राम’ नाम के ही आसपास घूम रहा है। वर्ष 1967 से अब तक कुल 15 बार हुए चुनावों में नौ बार ‘राम’ नाम वाले उम्मीदवारों की ही यहां जीत हुई।

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केवल पांच बार ऐसे प्रत्याशी जीते, जिनके नाम के आगे ‘राम’ उपनाम नहीं लगा हुआ था। हालांकि, इन चुनावों में भी दूसरे स्थान पर रहे हारने वाले प्रत्याशी ‘राम’ ही थे। तीन चुनाव ऐसे भी रहे, जिसमें जीतने और हारने वाले (दूसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी) दोनों ‘राम’ ही थे। पलामू में चौथे चरण में 13 मई को चुनाव होना है। चार मई को पलामू में हुई जनसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मंच से लोगों से अपील की थी कि सभी रामगुन गाते हुए उत्साह-उल्लास के साथ घर से निकलें और मतदान करें।

आंदौलन के दौर में भाजपा को मिली जीत

बात राम मंदिर आंदोलन के दौर की करते हैं। 1991 तक अयोध्या मुद्दा गर्म हो गया था। इस चुनाव में पलामू में भाजपा प्रत्याशी रामदेव राम ने जीत की पताका लहराई। दूसरे स्थान पर जनता दल के जोरावर राम रहे। इसके बाद 1996 में भाजपा के बृजमोहन राम जीते और दूसरे स्थान पर जनता दल के उदय नारायण चौधरी रहे। 1998 और 1999 में भी बृजमोहन राम ने सीट पर कब्जा कायम रखा।

लोकसभा चुनाव 2004 में राजद ने मनोज भुइयां को प्रत्याशी बनाया। मनोज भुइयां जीते और दूसरे स्थान पर बृजमोहन राम रहे। इसके बाद 2007 के उपचुनाव में राजद के घूरन राम जीते। 2009 में झामुमो के कामेश्वर बैठा जीते और दूसरे स्थान पर राजद के घूरन राम थे।

वीडी राम को हैट्रिक की आस

पिछले दो बार से यहां से जीत रहे भाजपा के वीडी राम इस बार भी मैदान में हैं। 2019 में वीडी राम पहले और राजद के घूरन राम दूसरे स्थान पर थे। 1967 के चुनाव में कांग्रेस की कमला कुमारी ने यहां संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी जे. राम को हराया था।

1971 में भी कमला कुमारी जीतीं। उनसे हारने वाले भारतीय जनसंघ के रामदेव राम थे। कमला कुमारी 1977 के चुनाव में हैट ट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतरीं, लेकिन भारतीय लोक दल के उम्मीदवार रामधनी राम ने उन्हें हरा दिया। 1980 में रामधनी राम को हराकर कांग्रेस की कमला कुमारी फिर इस सीट पर काबिज हुईं।

बिहार के मुख्यमंत्री रहे रामसुंदर दास 1984 के चुनाव में पलामू से जनता पार्टी के उम्मीदवार थे। हालांकि, उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी कमला कुमारी ने पराजित कर दिया था। 1989 में जनता दल ने जोरावर राम को मैदान में उतारा, जबकि भाजपा ने रामदेव राम पर दांव खेला। इसमें जोरावर राम जीते और दूसरे स्थान पर रामदेव राम रहे।

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धार्मिक आयोजनों में आगे

अकाल-सुखाड़ से प्रभावित क्षेत्र के रूप में चर्चा में रहने वाले पलामू के लोग धार्मिक आयोजनों में आगे रहते हैं। पलामू क्षेत्र में हर साल 100 से अधिक बड़े-छोटे यज्ञों का आयोजन होता है। बड़े आयोजनों में हाजिरी लगाने नेता भी आते हैं। हाल में गढ़वा श्रीबंशीधर नगर प्रखंड के पाल्हे जतपुरा गांव में त्रिदंडी स्वामीजी के शिष्य जियर स्वामी ने चतुष्मासा यज्ञ का आयोजन किया था।

चार माह तक चले इस यज्ञ में आशीष लेने बिहार-झारखंड के कई मंत्री, न्यायाधीश तथा उच्चपदस्थ पदाधिकारी पहुंचे थे। बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित हुसैनाबाद के बराही गांव में इस क्षेत्र की सबसे ऊंची श्रीराम भक्त बजरंगवली की प्रतिमा स्थापित है।

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