Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2024: बुलंद दरवाजे से बटेश्वर की कथा; राज, राम और एक वोट कटवा! किसके साथ है फतेहपुर सीकरी का वोटर?

Fatehpur Sikri Lok Sabha Election 2024 फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट भाजपा के लिए सम्मान का प्रश्न बन गई है। वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा भी मजबूती के साथ मैदान में हैं। लेकिन यहां पर हर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की एक अलग तस्वीर बनती हुई नजर आ रही है। पढ़िए बुलंद दरवाजे की नगरी से खास ग्राउंड रिपोर्ट. . .

By Sachin Pandey Edited By: Sachin Pandey Published: Mon, 06 May 2024 11:44 AM (IST)Updated: Mon, 06 May 2024 11:44 AM (IST)
Lok Sabha Election 2024: पिछले चुनाव में भाजपा के राजकुमार चाहर ने यहां से जीत हासिल की थी।

अवधेश माहेश्वरी, फतेहपुर सीकरी। बुलंद दरवाजा एकतरफ तो दूसरी ओर यमुना तट पर विराज रहे बटेश्वर नाथ। फतेहपुर सीकरी संसदीय क्षेत्र का नक्शा देखें तो, यह सुदूर तक फैला संसदीय क्षेत्र एक छोर दयालबाग यमुना किनारे को छूता है, तो दूसरे छोर को बाह में चंबल छूती है। सीकरी की दिशा अलग है। सच कहें तो भौगोलिक रूप से बहुत दुरूह।

loksabha election banner

लोकसभा चुनाव की तस्वीर देखें तो मतदाता कैसी तस्वीर बनाने का मन बना चुका है, समझना उतना आसान नहीं। इस क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं में कम से कम चार तरह के रंग भरने का मन है। हां, भाजपा के लिए यहां जीत हासिल करना बहुत जरूरी है। यही वजह है कि पार्टी ने सारी ताकत अंतिम पांच दिन में यहां लगा दी है। वहीं कांग्रेस के फौजी का दम भी कम नहीं है।

पिछली बार खिला था कमल

सीकरी संसदीय सीट से आगरा ग्रामीण, फतेहाबाद, बाह, खेरागढ़ और सीकरी विधानसभा सीट लगती हैं। पिछली बार भाजपा के राजकुमार चाहर ने 4.96 लाख वोटों से जीते थे। वह फिर कमल चुनाव चिह्न लाए हैं। कांग्रेस-सपा गठबंधन का हाथ पूर्व सैनिक रामनाथ सिकरवार संग है। बसपा के हाथी पर रामनिवास शर्मा हैं।

यदि चुनाव में एक सप्ताह पूर्व की बात करें तो चाहर मुश्किल में थे। लग रहा था कि दिल्ली का रास्ता कांग्रेस के नजदीक हो रहा है। परंतु मतदान के अंतिम दौर तक बहुत मंथन हो गया है, जिसमें भाजपा को अमृत मिल गया है। रुनकता के प्लाईवुड की दुकान पर बैठे रायभा के बबलू कहते हैं कि पार्टी संग प्रत्याशी बड़ा मुद्दा हो गया है। आखिर चाहर ने यह तो सोचा होता कि दोबारा चुनाव में भी जाना है।

क्या कहते हैं वोटर?

वहीं बैठे कथावाचक भोलेराम कहते हैं कि भाजपा ने रामेश्वर को बाहर करने में इतनी देरी क्यों कर दी? वोट पर कहते हैं कि रामनाथ की जाति में वह सबसे मजबूत हैं लेकिन उनके लिए मुद्दा हिंदुत्व है। कुकथला के पास ताशों की महफिल सजी है। वहां बाबूलाल कहते हैं कि जाट वोटों में बंटवारा है। यह आगे जाटों के लिए ही मुश्किल भरा होगा, क्योंकि कोई और जीता तो आगे भी दावेदारी रहेगी।

वह भाजपा प्रत्याशी राजकुमार पर कहते हैं कि क्षेत्र में आलू प्रसंस्करण केंद्र बनवाया लेकिन प्रचार क्यों नहीं कर सके। वह अब गंगाजल लाने की बात कर रहे हैं लेकिन तब से कहां थे। ऐसे में रामेश्वर को जाटों में दम मिला। अब वोट तो बहुत कटेगा। हाथी को लेकर कहते हैं कि प्रत्याशी रामनिवास के व्यक्तिगत संबंध सीकरी में बहुत हैं। यही उनकी मजबूती का आधार है।

आगे बढ़ने पर अभुआपुरा में सोनू पंडित कहते हैं कि सबका अपना-अपना बंटवारा है। उनके लिए तो मोदी-योगी ही नाम हैं। टीटू पंडित कहते हैं कि आप समझ सकते हैं कि पहले एक ही बिरादरी के दारोगा दिखते थे। अब गांव में चलो तो कई दूसरी जातियों के भी दारोगा हैं। योगी ने परीक्षाएं बिना गड़बड़ी कराई हैं, तो मौका मिला है।

जयंत का कितना असर

जाटों में जयंत का कितना असर है? इसे जैंगारा के बबलू बताते हैं कि राजकुमार की नाव मंझधार से निकाल दी है। अखवाई के ओमप्रकाश भगौर बाजार से सामान लेकर लौटे हैं। वह बताते हैं कि अभी सामान खरीदने में एक दुकानदार से चुनावी बहस हो गई। आखिर में समझा आए कि हमारा हित मोदी से ही है। रामेश्वर का कितना रंग है, तो कहते हैं कि अपने गांव वाले क्षेत्र में ही वोट काटेंगे।

बसपा के परंपरागत मतदाताओं में एक बंटवारा अखवाई के सोनू समझाते हैं। पुरानी पीढ़ी बसपा के साथ तो नई के लिए हाथ ही इस बार जगन्नाथ है। ऐसा क्यों? हम कब तक वहां रहें, आखिर हाथी दिल्ली पहुंचता ही नहीं। रिठौरा के भाव सिंह कहते हैं कि जाटों का बंटवारा होगा। वह कहते हैं कि पांच बार के विधायक बदन सिंह कहते थे कि जनप्रतिनिधि को जनता के सुख दुख में शामिल होना चाहिए। इससे ही वह राजनीति में आगे बढ़ता जाता है।

ये भी पढ़ें- तीसरे चरण की 20 हाईप्रोफाइल सीटें: दांव पर इन 10 केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा, 4 पूर्व सीएम की अग्निपरीक्षा, बेटा-बेटी और दामाद भी मैदान में

कानून व्यवस्था भी मुद्दा

अग्निवीर योजना पर भी इशारे में मन के गुस्से को बताते हैं लेकिन चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने से गौरवान्वित भी महसूस करते हैं। खेरागढ़ के एक आश्रम पर कांग्रेस प्रत्याशी का ठिकाना है। यहां पहले उनका मैदान मजबूत था। अब भाजपा ने क्षेत्र में बहुत सैनिक लगा दिए हैं। परिणाम तो देर में आएंगे लेकिन बानगी देखने को मिल रही है।

जगनेर के आढ़ती धर्मेंद्र शर्मा के यहां व्यापारियों की बैठक चल रही है। दस में से नौ एक मत हैं कि कानून व्यवस्था का राज चाहिए। मंडी में भी कहा जाता है कि बाजार में पता कीजिए कि ठेल और वाहनों से वसूली कौन करता है। यह जीत गए तो मुश्किल कर देंगे। पिछड़ा वर्ग में कुशवाहों के मत के लिए दो इशारे हैं जिनमें विधायक भगवान सिंह और गिर्राज सिंह। त्यागियों की चालीसी ने भाजपा को उम्मीद दे दी है।

ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: अब इस प्रदेश में बढ़ीं कांग्रेस की मुश्किलें, अनदेखी से नाराज नेता; हाईकमान को लिखे पत्र में कही बड़ी बात

राज, राम और वोट कटवा...

क्षेत्र में पिछड़ा मतों में लोधे राजपूतों पर कल्याण का असर बाकी है, तो बघेलों के लिए एसपी सिंह का साथ ही इशारा होता है। निषाद मतों के लिए भाजपा पहले ही विधानसभा में हिसाब फैला चुकी है लेकिन फिर भी भितरघात का सामना कर रही है। ब्राह्मणों का रुख हर विस क्षेत्र में अलग है। वहां हाथी का पेट न भरने से नए समीकरण बन रहे हैं।

फतेहाबाद में दीपक शर्मा कहते हैं कि हाथ मजबूत है लेकिन भाजपा का वोट सब जगह है। सीकरी में पता करिए हाथ का क्या हाल है, लेकिन बाह में वह दमदार है? वहां भाजपा के मंच से ही बगावती स्वर ने ताकत दे दी। आगरा ग्रामीण की तस्वीर मिली-जुली है। चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है। बात होती है तो कहा जाता है कि टक्कर दो में है। परंतु वोट चार के हैं। राजकुमार, रामनाथ, राम निवास और वोट कटवा...।

ये भी पढ़ें- चर्चित सीट सोलापुर: भाजपा प्रत्याशी के पास अपना मकान नहीं, किराये पर रहता है परिवार; यहां विकास और विरासत के बीच मुकाबला


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.