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    पाकिस्‍तान में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों में शामिल हैं दो आतंकी संगठन, जानें पूरा मामला

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 27 Nov 2017 12:31 PM (IST)

    पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को रोकने की जिम्मेदारी अब सेना को दे दी गई है। लेकिन इन प्रदर्शनों को जो हवा दे रहे हैं उनमें दो संगठन आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं।

    पाकिस्‍तान में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों में शामिल हैं दो आतंकी संगठन, जानें पूरा मामला

    नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। पिछले एक माह से पाकिस्तान में जबरदस्‍त विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। आलम यह है कि यह प्रदर्शन अब हिंसा में बदल चुका है जिसमें करीब 200 लोग घायल हो चुके हैं और कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसकी गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्‍बासी को हालात को काबू करने के लिए आपात बैठक बुलानी पड़ी, जिसके लिए यूएई पहुंचे आर्मी चीफ को वापस तलब किया गया। इस बैठक में इनके अलावा डीजी इंटेलिजेंस ने भी हिस्‍सा लिया। पुलिस प्रशासन के नाकाम रहने के बाद अब हालात पर काबू पाने की जिम्‍मेदारी सेना को सौंप दी गई है। आंतरिक मंत्रालय ने भी हालात पर काबू पाने के लिए सेना की मदद की गुजारिश की थी। रावलपिंडी के अलावा इस्‍लामाबाद में भी फौज की तैनाती की गई है। देशभर में हो रहे इन प्रदर्शनों को जिन तीन संगठनों का साथ मिल रहा है उसमें से दो आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं।

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    देश के कई हिस्‍सों में प्रदर्शन

    बहरहाल, मौजूदा समय में इस विरोध प्रदर्शन की आग में फैजाबाद, पंजाब, कराची, पेशावर, इस्‍लामाबाद और रावलपिंडी भी झुलसा हुआ है। हालात को देखते हुए सरकार ने सोशल मीडिया की सेवा को बंद कर दिया है। प्राइवेट टीवी चैनलों को भी बंद कर दिया गया है। सड़कों पर रैंजर्स ने मोर्चा संभाल रखा है। सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 245 के तहत यह कदम उठाया है। पंजाब में भी हिंसक प्रदर्शन के बाद शिक्षण संस्‍थाओं को बंद कर दिया गया है। फिलहाल सरकार की पूरी ताकत इन प्रदर्शनों को इस्‍लामाबाद से बाहर खदेड़ने पर लगी हुई है। हालात से निपटने में नाकाम गृह मंत्री इकबाल ने यह कहकर खीज निकाली कि इसके पीछे भारत का हाथ है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी भारत के संपर्क में थे और सरकार इसकी जांच कर रही है।

    क्‍या है मामला और कौन है प्रदर्शन के पीछे

    असल में यह मामला कानून मंत्री जाहिद हमीद के इस्‍तीफे की मांग से जुड़ा हुआ है। प्रदर्शनकारी काफी समय से उनके इस्‍तीफे की मांग के तहत देश के कई शहरों में इस तरह के प्रदर्शन को अंजाम दे रहे हैं। प्रदर्शन के पीछे की बड़ी वजह है कि हमीद ने 2017 के निर्वाचन विधेयक में अल्लाह के नाम पर शपथ लेने संबंधी कानून में बदलाव किया था। इसके बाद से ही कट्टरपंथियों ने उनका विरोध शुरू कर दिया था। हालांकि बाद में सरकार ने इनके दबाव में आकर कानून में बदलाव कर शपथ को पूर्ववत कर दिया लेकिन मंत्री का इस्‍तीफा नहीं लिया। इसकी वजह से यह प्रदर्शन लगातार बढ़ता ही चला गया। वहीं कट्टरपंथियों ने कानून मंत्री को हटाए जाने तक पीछे हटने से इंकार कर दिया है।

    विरोध-प्रदर्शन के पीछे तीन इस्‍लामिक संगठन

    दरअसल, यह विरोध प्रदर्शन तीन पार्टियों की तरफ से किया जा रहा है, जिसको स्‍थानीय लोगों का काफी समर्थन मिल रहा है। इन पार्टियों में तहरीक-ए-लब्बैक या रसूल अल्लाह इस्लामिक संगठन, तहरीक ए खात्‍म ए नबूवत और सुन्‍नी तहरीक पाकिस्‍तान का नाम शामिल है। पाकिस्‍तान के मौजूदा हालात इन पार्टियों द्वारा अलग-अलग जगहों पर किए जा रहे एक माह के प्रदर्शन का ही नतीजा है। प्रदर्शनकारी कानून मंत्री जाहिद हमीद के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इन्‍होंने इसके लिए इस्लामाबाद को देश के दूसरे हिस्से से जोड़ने वाले फैजाबाद इंटरचेंज को चुना था। यहां से प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने पर जमकर हिंसा हुई। आइये, अब एक नजर डालते हैं इन तीनों संगठनों पर जो इस प्रदर्शन को लगातार हवा दे रहे हैं।

    तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान

    तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) एक इस्लामिक राजनीतिक दल है। 1 अगस्त 2015 को कराची में गठित हुई टीएलपी की कमान खादिम हुसैन रिजवी के हाथों में है। इसका मकसद पाकिस्‍तान को इस्‍लामिक राष्‍ट्र बनाना है जो शरियत-ए-मोहम्मदी के अनुसार काम करे। इस पार्टी की वेबसाइट पर रिजवी का जिक्र इस्लामिक विद्वान के तौर पर है। वेब साइट ने अपनी पार्टी को एक इस्‍लामिक आंदोलन बताया है। पार्टी का कहना है कि वह देश की अर्थव्यवस्था को विदेशी ताकतों के चंगुल से बचाना चाहती है। टीएलपी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने जो नीतियां पाकिस्तान के लिए बनाईं उससे यहां के नागरिकों का कोई भला नहीं हुआ है। पार्टी की वेबसाइट के मुताबिक उसके सदस्यों की संख्या 2,809 है।

    तहरीक ए खात्‍म-ए-नबूवत

    तहरीक ए खात्‍म-ए-नबूवत एक इस्‍लामिक आंदोलन के तहत बनाई गई पार्टी है, जो टीएलपी की ही तरह शरियत में विश्‍वास रखती है और देश को इस्‍लामिक राष्‍ट्र बनाना चाहती है। इसको मोहम्‍मद अब्‍दुल गफूर हजरवी और सैयद अताउल शाह बुखारी ने गठित किया था। मौजूदा समय में इसके दो बड़े नेता अब्‍दुल लतीफ खालिद चीमा और अशरफ आसिफ जलाली हैं। इन दोनों को ही वर्ष 2012 में पाकिस्‍तान की सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। अहमदी समुदाय के खिलाफ हुए कई मामलों में पार्टी के दोनों ही नेता लिप्‍त हैं। 2007 में सरकार विरोधी बयानबाजी के बाद चीमा की गिरफ्तारी भी हुई थी।

    पाकिस्‍तान सुन्‍नी तहरीक

    पाकिस्‍तान सुन्‍नी तहरीक एक आतंकी संगठन है जो ईशनिंदा करने वालों को सजा–ए-मौत देने का हिमायती है। पॉप स्‍टार जुनैद के साथ हुई मारपीट में भी इसी संगठन का हाथ था। इसके अलावा यह संगठन ईशनिंदा में सुधारों की मांग करने वाले पंजाब के पूर्व गवर्नर के हत्‍यारे का भी समर्थन खुलेआम करता आया है। इतना ही नहीं यह देवबंदियों के भी सख्‍त खिलाफ है। मुत्‍ताहिदा कौमी मूवमेंट में आई गिरावट के साथ इस संगठन ने पाकिस्‍तान में अपनी जड़ें जमानी शुरू की थी। वर्ष 2007 में कराची की एक मस्जिद पर किए गए हमले में भी इसी संगठन का नाम सामने आया था।

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