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अमेरिका-तालिबान समझौते के बाद अफगानिस्‍तान में आम नागरिकों का बह रहा ज्‍यादा खून!

अमेरिका से समझौते के बाद तालिबान लगातार अपने खूनी खेल को अंजाम दे रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अब तक अधिक संख्‍या में आम लोग मारे और अगवा किए गए हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 04:19 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 05:45 PM (IST)
अमेरिका-तालिबान समझौते के बाद अफगानिस्‍तान में आम नागरिकों का बह रहा ज्‍यादा खून!
अमेरिका-तालिबान समझौते के बाद अफगानिस्‍तान में आम नागरिकों का बह रहा ज्‍यादा खून!

काबुल (न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स)। अफगानिस्‍तान के गजनी प्रांत में तालिबान ने एक जेल की महिला गार्ड को अगवा कर उसकी गोली मारकर हत्‍या कर दी है। इस घटना से आहत संयुक्‍त राष्‍ट्र ने अफगानिस्‍तान में जारी तालिबानी हिंसा पर नाराजगी जाहिर की है।

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23 वर्षीय फातिमा रजबी एक ट्रेंड पुलिस अधिकारी थी। एलवाईटी के मुताबिक दो सप्‍ताह पहले तालिबान आतंकियों ने उसको उस वक्‍त अगवा किया था जब वह एक मिनी बस से जाघोरी जिले स्थित अपने घर जा रही थी। उसके भाई समीउल्‍लाह रजबी ने बताया कि दो सप्‍ताह अपने गिरफ्त में रखने के बाद तालिबान ने उसकी हत्‍या कर शव को उसके परिजनों के पास भेज दिया। उसने बताया है कि उसकी बहन को आठ गोली मारी गईं। समीउल्‍लाह के मुताबिक जब उसका ताबूत खोला गया तो उसके हाथ पीछे थे। आप कह सकते हैं कि उसके हाथ पहले बंधे थे, लेकिन शव को घर भेजने से पहले उन्‍होंने हाथ खोल दिए।

सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में इस वर्ष में छह माह के अंदर मारे गए निर्दोष नागरिकों के बारे में बताया गया है। संयुक्‍त राष्‍ट्र ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि इस दौरान तालिबान आतंकियों द्वारा लोगों को अगवा किए जाने और उन्‍हें मौत के घाट उतारे जाने की घटनाओं में तेजी आई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान जितने नागरिक मारे गए हैं उनमें से करीब 43 फीसद अकेले तालिबान द्वारा मारे गए हैं जबकि 23 फीसद अफगान फोर्स द्वारा कार्रवाई के दौरान मारे गए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकियों द्वारा की जा रही हिंसा लगातार बढ़ रही है। इसी दौरान पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष इस तरह की घटनाओं में करीब 33 फीसद की तेजी देखने को मिली है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्‍तान में इस माह के शुरुआती छह माह में जितने आम नागरिक मारे गए हैं या घायल हुए हैं उनमें से 40 फीसद केवल महिलाएं और बच्‍चे ही हैं। इनकी मौत की वजह भी अधिकतर तालिबान आतंकी ही है। वहीं अफगान सेना द्वारा किए गए हवाई हमलों में मारे गए आम नागरिको की संख्‍या पिछले वर्ष इन्‍हीं दिनों के मुकाबले तीन गुणा अधिक हो चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि "वास्तविकता यह है कि अफगानिस्तान नागरिकों के लिए दुनिया के सबसे घातक संघर्षों में से एक बना हुआ है। हर वर्ष हजारों की संख्‍या में आम नागरिक मारे जाते हैं और घायल होते हैं। इसके अलावा अगवा किए जाने और धमकी देने या गायब हो जाने की घटनाएं अलग हैं।

हालांकि इस बार शुरुआती छह माह में अमेरिका की कार्रवाई के दौरान मारे गए आम नागरिकों की संख्‍या में जबरदस्‍त गिरावट आई है। इसके अलावा इस्‍लामिक स्‍टेट के हमले भी कम होने से थोड़ा राहत जरूर मिली है। आपको बता दें कि फरवरी 2020 में ही तालिबान और अमेरिका के बीच जो समझौता हुआ है उसके मुताबिक अमेरिका अपने जवानों को वापस बुला लेगा। हालांकि इस समझौते में देश में हिंसा में कमी लाने की बात भी कही गई थी, लेकिन तालिबान ने साफ कर दिया था कि अफगानिस्‍तान की सरकार से उसका इस तरह कोई समझौता नहीं है लिहाजा वो उनके निशाने पर बने रहेंगे। इसमें ये भी कहा गया है कि अमेरिका बहुत जरूरी होने पर ही तालिबान के ऊपर हवाई हमले करेगा। समझौते के मुताबिक 14 माह के अंदर अमेरिका अपनी फौज को वापस बुला लेगा।

यूएन महासचिव के विशेष प्रतिनिधि का कहना है कि इस वक्‍त तालिबान और अफगानिस्‍तान सरकार के बीच अच्‍छा और एतिहासिक अवसर है कि वो वार्ता के लिए एक साथ और और रोजाना होने वाले इस खून खराबे से अफगानिस्‍तान को निजाद दिलवाएं। उन्‍होंने ये भी कहा है कि ऐसा करके वे अपने आम नागरिकों की भी रक्षा कर सकेंगे। वहीं तालिबान के साथ हुई शांति वार्ता में शामिल अमेरिका के विशेष दूत जाल्‍मे खलिजाद दोहा में तालिबान से बात की है। उन्‍होंने कहा है कि शांति वार्ता लिए अफगान सरकार को सीधे तौर खुद आगे आना चाहिए।


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