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2020-2030 के बीच पैदा होने वाले 53 लाख बच्‍चे हो सकते हैं Hepatitis B के शिकार- WHO

WHO ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की वजह से वैक्‍सीन प्रोग्राम में आई रुकावट समस्‍या खड़ी कर सकती है। इसकी वजह से आने वाले 10 वर्षों में 10 लाख बच्‍चों की मौत हेपेटाइटिस

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 12:26 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 05:44 PM (IST)
2020-2030 के बीच पैदा होने वाले 53 लाख बच्‍चे हो सकते हैं Hepatitis B के शिकार- WHO
2020-2030 के बीच पैदा होने वाले 53 लाख बच्‍चे हो सकते हैं Hepatitis B के शिकार- WHO

जिनेवा (यूएन)। विश्व हेपेटाइटिस-बी दिवस के मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से एक अच्‍छी खबर सामने आई है। संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2019 में दुनिया भर में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में संभावित जानलेवा हेपेटाइटिस-बी की मौजूदगी में कमी आई है। संगठन के मुताबिक 1980-2000 के दौर में ये करीब 5 फीसद थी। हालांकि इस समय को हेपेटाइटिस-बी की वैक्सीन बनने से पहले का दौर कहा जाता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की तरफ से हेपेटाइटिस मुक्त भविष्य को इस वर्ष की थीम बनाया गया है। इसमें संगठन ने इस बीमारी के खात्‍मे पर जोर दिया है।

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डब्‍ल्‍यूएचओ की खबर में लंदन के इंपीरियल कॉलेज और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किये गए एक संयुक्त अध्ययन की भी जानकारी दी है। इसमें कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से संगठन द्वारा चलाए जा रहे हेपेटाइटिस-बी टीकाकरण कार्यक्रम रुकावट पैदा हुई है जिससे भविष्‍य के तय लक्ष्‍यों को हासिल करने में भी दिक्‍कत हो सकती है। डब्‍ल्‍यूएचओ का अनुमान है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो वर्ष 2020-2030 के बीच पैदा होने वाले लगभग 53 लाख अतिरिक्त बच्चों में दीर्घकालिक संक्रमण के मामले दर्ज हो सकते हैं। इन बच्चों में दस लाख बच्चों की मौत हेपेटाइटिस-बी से संबंधित बीमारियों के कारण हो सकती है।

आपको बता दें कि हेपेटाइटिस-बी को साइलेंट किलर कहा जाता है। हेपेटाइटिस-बी लिवर को प्रभावित करने वाला एक वायरस संक्रमण है जिससे अनेक तरह की बीमारियां होती हैं, जिनमें कैंसर भी शामिल है। इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के इरादे से हर वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस-बी दिवस मनाने का फैसला किया गया था।

इस रिपोर्ट को जारी करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडेनहॉम घेबरेयेसस ने कहा कि कोई भी नवजात शिशु अपनी उम्र में आगे चलकर हेपेटाइटिस-बी का शिकार केवल इसलिये नहीं हो जाना चाहिये कि उसे हेपेटाइटिस-बी से बचने की वैक्सीन नहीं मिली थी। उनके मुताबिक आज की उपलब्धि हमें बताती है कि हमनें लिवर क्षति के मामलों में कमी कर ली है। इसके साथ ही हमनें भविष्य की पीढ़ियों को लिवर कैंसर से भी बचा लिया है। इस दौरान केवल यही उपलब्धि हमारे सामने दर्ज नहीं की गई है बल्कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों हो हासिल करने में एक अति महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल दर्ज हुई है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने इस मौके पर कहा कि हेपेटाइटिस-बी को मां से बच्चे में फैलने से रोकना होगा। इस बीमारी से छुटकारा पाने और लोगों की जिंदगियां बचाने के लिये यह एक सर्वाधिक प्रभावशाली रणनीति है। उन्‍होंने पूरी दुनिया से इस बात की भी अपील की है कि सभी देश गर्भवती महिलाओं का परीक्षण सुनिश्चित करवाने का प्रयास करें। इसके अलावा उन्‍होंने इस बात की भी अपील की है कि हेपेटाइडिस बी का टीकाकरण बढ़ाने और जन्म के समय बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन की खुराक बढ़ाई जाई। संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में 25 करोड़ से ज़्यादा लोग हेपेटाइटिस-बी के दीर्घकालीन संक्रमण के शिकार हैं।

संगठन का कहना है कि जो बच्चे अपने जन्म के पहले वर्ष में हेपेटाइटस-बी के संक्रमण का शिकार हो जाते हैं उनमें से 90 फीसद बच्चों में ये संक्रमण लंबे समय तक रह जाता है। हेपेटाइटिस-बी बीमारी से हर वर्ष लगभग 9 लाख लोगों की मौत हो जाती है। नवजात शिशुओं को हेपेटाइटिस-बी से एक ऐसी वैक्सीन के माध्‍यम से बचाया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये भी कहा है कि सभी नवजात शिशुओं को हेपेटाइटिस-बी की पहली खुराक जन्म के बाद जल्‍द से जल्‍द मिल जानी चाहिए। बेहतर होगा यदि ये खुराक जन्म के 24 घंटो के भीतर ही मिल जाए। इसके बाद अगली दो खुराक भी समय से ही मिल जानी चाहिए। आपको बता दें कि वर्ष 2019 के दौरान नवजात बच्चों की 85 प्रतिशत आबादी को इसकी तीन खुराक देने के अभियान से जोड़ा गया था। वर्ष 2000 में ये केवल 30 फीसद तक ही सीमित था।


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