अमेरिका-उत्तर कोरिया तकरार से एक करोड़ लोगों की जिंदगी दांव पर, सुलह का रास्ता भी
उत्तर कोरिया और अमेरिका एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। लेकिन एक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि अगर ट्रंप चाहें तो वो बीच का रास्ता निकाल सकते हैं।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । अमेरिका से बढ़ते तनाव के बीच यदि उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल और जापान पर हमला कर दिया तो करीब 20 लाख लोगों की जान एक झटके में चली जाएगी। इतना ही नहीं इस हमले में कुछ हजार या कुछ लाख नहीं, बल्कि करीब 70 लाख लोग घायल भी होंगे। इस रिपोर्ट की जानकारी योनहॉप एजेंसी ने दी है। इस रिपोर्ट में उत्तर कोरिया की मौजूदा ताकत को देखते हुए इस तरह की आशंका जताई गई है। यह रिपोर्ट उस वक्त सामने आई है जब हाल ही में उत्तर कोरिया ने सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण किया था और जापान के ऊपर से दो मिसाइल भी दागी थीं। इसके बाद पूरी दुनिया ने उत्तर कोरिया के इस कदम की कड़ी आलोचना की थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो किम को सीधे तौर पर चेतावनी देते हुए दुनिया के नक्शे से उत्तर कोरिया को मिटा देने तक की धमकी दे डाली थी। लेकिन अब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति कार्टर ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की अपील की है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति कार्टर ने की पहल
उत्तर कोरिया के साथ अमेरिका की तनातनी को दूर करने के प्रयास भी जारी हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने दोनों देशों के गतिरोध को दूर करने के लिए ट्रंप प्रशासन की ओर से उत्तर कोरिया जाने की इच्छा जताई है। कार्टर ने कहा, वह उत्तर कोरिया जा सकते हैं। ऐसा वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए कर सकते हैं। तीन सितंबर को उत्तर कोरिया के छठे परमाणु परीक्षण के बाद दोनों देश युद्ध के कगार पर खड़े हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के कार्टर 1977 से 1981 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे थे। कार्टर ने अपने दोस्त और ट्रंप के सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एचआर मैकमास्टर से अपनी इच्छा जताई है। लेकिन अभी तक उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। कार्टर ने कहा, मैंने उन्हें बता दिया है कि समस्या के समाधान के प्रयास करने के लिए मैं उपलब्ध हूं। जब उन्हें मेरी जरूरत हो, बता दें।
पूर्व राष्ट्रपति कार्टर ने कहा कि वाशिंगटन में सत्ता से जुड़े लोग राष्ट्रपति ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच चल रहे वाक् युद्ध से डरे हुए हैं। में भी हालात को लेकर आशंकित हूं। कार्टर ने कहा, दोनों ही नेता अपनी सत्ता को बरकरार रखना चाहते हैं। उत्तर कोरिया पर चीन के प्रभाव को ज्यादा करके आंका जा रहा है। लेकिन जहां तक उन्हें जानकारी है, किम जोंग उन का चीन के साथ खास रिश्ता नहीं है। हां, उनके पिता किम जोंग-इल जरूर चीन जाते थे और उनके वहां खास रिश्ते थे।
कार्टर के अनुसार किम जोंग उन के बारे में कुछ भी अंदाजा लगाना मुश्किल है। उन्होंने चिंता जताई कि अगर किम जोंग को लगा कि ट्रंप उत्तर कोरिया के खिलाफ कुछ बड़ा करने जा रहे हैं तो वह उससे पहले ही बड़ा कदम उठा सकते हैं। इस स्थिति में उत्तर कोरिया परमाणु हमला कर सकता है, जिससे दक्षिण कोरिया, जापान और प्रशांत क्षेत्र में स्थित अमेरिकी ठिकाने बर्बाद हो सकते हैं। राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में उनकी आपत्ति के बावजूद कार्टर एक बार प्योंगयांग गए थे और उन्होंने उत्तर कोरिया के तत्कालीन शासक किम इल सुंग से समझौते का प्रयास किया था। किम इल सुंग वर्तमान शासक किम जोंग के दादा थे।
जानकार की राय
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर एचवी पंत ने Jagran.Com से खास बातचीत में कहा कि यदि युद्ध होता है तो टोक्यो ही नहीं सियोल भी उत्तर कोरिया के निशाने पर होगा। उनका मानना है कि उत्तर कोरिया की ताकत इतनी नहीं है कि वह अमेरिका तक अपनी मिसाइलों से मार कर सके। लेकिन इतनी जरूर है कि सियोल और जापान को बर्बाद कर सके। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि उत्तर कोरिया से सियोल महज 40 मील की दूरी पर है। ऐसे में उत्तर कोरिया की रेंज में आसानी से आ जाता है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए हर्ष वी पंत का कहना है कि अगर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति कार्टर पहल करते हैं तो ये शुभ संकेत होगा। लेकिन इस बात की संभावना कम है कि ट्रंप उन्हें उत्तर कोरिया भेजें। उन्होंने कहा कि अमेरिका के लिए किम जोंग उन सीधे तौर पर खतरा नहीं है। लेकिन किम जोंग उन के सनकी व्यवहार का खामियाजा जापान और दक्षिण कोरिया को उठाना पड़ेगा। जापान और दक्षिण कोरिया के तबाही का मतलब ये है कि पूर्व एशिया में कई अमेरिकी ठिकानों को नुकसान उठाना पड़ेगा और उसका असर ये होगा कि चीन को अपने कब्जे में लाने की अमेरिकी रणनीति नाकाम हो जाएगी।
कुछ गलत हुआ तो उसका जिम्मेदार होगा यूएस
उत्तर कोरिया बार-बार इस बात को कह चुका है कि यदि अमेरिका इस बाबत कोई भी गलती करता है तो इसके उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उत्तर कोरिया बार-बार इसको लेकर चेतावनी भी देता रहा है कि यदि उस पर आक्रमण किया गया तो उत्तर कोरिया भी अपनी मिसाइलों से गुआम को निशाना बनाने से पीछे नहीं हटेगा। उत्तर कोरिया गुआम पर मिसाइलों की झड़ी लगा देगा। उनका यह भी कहना है कि यदि इस क्षेत्र में कुछ भी गलत और चौंकाने वाला होता है तो इसके लिए अमेरिका खुद जिम्मेदार होगा। क्योंकि उसकी कार्रवाई लगातार इस क्षेत्र को विस्फोटक बनाने का काम कर रही है। अमेरिका को सीधेतौर चेतावनी देते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि जिस आग को अमेरिका भड़काने का काम कर रहा है उसको यह भी याद रखना चाहिए कि उत्तर कोरिया के हाथों में ट्रिगर मौजूद है जो कभी भी दब सकता है। अमेरिका को यह समझना चाहिए कि वह आग से खेल रहा है।
ओबामा के वक्त में भी था तनाव
अमेरिका में भारतीय राजदूत रह चुकी मीरा शंकर का भी मानना है कि कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी माना कि यह विवाद कोई नया नहीं है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय में भी यह तनाव कायम था। उस वक्त उन्होंने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए थे, जिसे मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने और कड़ा किया है। उनके मुताबिक यही सही कदम भी है, क्योंकि लड़ाई से सभी का नुकसान होना तय है।
यह भी पढ़ें: उ.कोरिया पर ट्रंप की चेतावनी बेअसर, कहा- कुत्ते के भौंकने जैसी है US की धमकी